Saturday 14 March 2015

गैंगस्टर महादेव महार हत्याकांड फैसला (क्र. 210 से 214)

 

अपराध का हेतुक
210- इस संबंध में अ0सा076 आर0के0राय ने अपने प्रति परीक्षण की कण्डिका 52 में आरोपीगण के अधिवक्ता द्वारा दिये गये सुझाव को स्वीकार करते हुये कथन किया है कि महादेव महार के आपराधिक प्रतिद्वंद्वी एवं शत्रु थे, स्वतः होकर कथन है कि जिनमें से प्रमुख आरोपीगण थे। इसी प्रकार अ0सा077 राकेश भट्ठ ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 23 में स्वतः होकर कथन किया है कि मृतक महादेव महार के गैंग और आरोपी तपन सरकार के गैंग के मध्य दुश्मनी थी। प्रकरण में इस तथ्य का भी साक्ष्य है कि उभयपक्ष आपराधिक पृष्ठभूमि के थे, औैर उनके मध्य आपराधिक गतिविधियों के वर्चस्व को लेकर प्रतिद्वन्दिता थी। अतः उक्त दोनों साक्ष्य के माध्यम से अभियोजन आपराधिक के हेतुक को भी प्रमाणित करने में सफल हुआ है। वैसे भी किसी नृशंस हत्या के अपराध में जहां प्रत्यक्षदर्शी साक्षी हो, हेतुक महत्वपूर्ण नही होता है। इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिनांक 11 मार्च 2015 को निराकृत क्रिमनल अपील क्रमांक 2194/2011 ‘‘पवन कुमार वगैरह बनाम स्टेट आफ यु0पी0 अवलोकनीय है, जिसके कतिपय तथ्य व परिस्थितियां इस प्रकरण के तथ्य और परिस्थितियों से मिलते हैं। इस न्यायदृष्टांत में भी आरोपीगण का यही तर्क था कि 1- हेतुक प्रमाणित नही है, 2- सिराजिकल की रिपोर्ट में रक्त नही पाया गया, 3- बैलेस्टिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट में व्यक्तिशः लक्षण अनुपस्थित था, 4- ग्यारह बुलेट फायर करना बताया गया था, जबकि मात्र छः आर्म इंजुरी थी, 5- फायर आर्म के केवल दो बाह्य घाव था, 6- आरोपी क्रमांक 8 राजेश कुमार वर्मा से जप्त आयुध को मौके पर सीलबंद करने का साक्ष्य नही था, 7- सभी बुलेट्स घटनास्थल पर नही पायी गयी थी, 8- घटनास्थल को लेकर भी संदेह था, 9- विवेचक ने सबूत प्लाण्ट किये हैं। तब माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय ने अपीलार्थीगण की अपील निरस्त करते हुये विचारण न्यायालय द्वारा भा0दं0सं0 की धारा 302 के तहत की गयी दोषसिद्धी को स्थिर रखा था। इस न्यायालय द्वारा निराकृत इस प्रकरण में भी आरोपीगण के अधिवक्ता का भी उक्तानुसार प्रतिरक्षा ही है, जिसका विस्तार से विवेचन इस न्यायालय द्वारा इस निर्णय के उपर की कण्डिकाओं मे किया गया है। अतः इस प्रकरण में भी आरोपीगण की कोई भी प्रतिरक्षा स्वीकार योग्य नही है, अतः अस्वीकार की जाती है।
211- अतः उक्त समस्त परिस्थितियों एवं उक्त विवेचन को दृष्टिगत रखते हुये यह स्पष्ट है कि अभियोजन अपने मामले को आरोपी तपन सरकार, सत्येन माधवन, बॉबी उर्फ विद्युत चौधरी, मंगल सिंह, अनिल शुक्ला, राजू खंजर, पिताम्बर साहू, छोटू उर्फ कृष्णा, रंजीत सिह, बिज्जु उर्फ महेश यादव, शैलेन्द्र ठाकुर, अब्दुल जायद उर्फ बच्चा एवं आरोपी प्रभाष सिंह के विरूद्ध भा0दं0सं0 की धारा 302 सहपठित धारा 149, 148 के तहत प्रमाणित करने में सफल हुआ है। इसी प्रकार अभियोजन आरोपी तपन सरकार, सत्येन माधवन, प्रभाष सिंह, शैलेन्द्र सिंह ठाकुर एवं मंगल सिंह के विरूद्ध आयुध अधिनियम की धारा 25 (1B) (a) एवं 27 (1) के तहत प्रमाणित करने में सफल हुआ है।
212- लेकिन अभियोजन सभी अभियोजित आरोपीगण के विरूद्ध भा0दं0सं0 की धारा 307 सहपठित धारा 149 एवं अनुसूचित जाति जनजाति(अ0नि0) अधिनियम 1989 की धारा 3 (2) (5) के आरोप को भी साक्ष्य के अभाव में प्रमाणित नही कर पाया है। इसी प्रकार अभियोजन आरोपी मुजीबुद्दीन, अरविंद श्रीवास्तव उर्फ गुल्लू, आरोपी जयदीप, आरोपी विनोद बिहारी के विरूद्ध अपने मामले को संदेह से परे भा0दं0सं0 की धारा 302 सहपठित धारा 149, 148 के तहत प्रमाणित नही कर पाया है। इसी प्रकार अभियोजन आरोपी रंजीत सिंह, बॉबी उर्फ विद्युत चौधरी के विरूद्ध अपने मामले को आयुध अधिनियम की धारा 39 की अभियोजन की स्वीकृति के प्रमाणीकरण के अभाव एवं फायर आर्म्स जप्त न होने के कारण आयुध अधिनियम की धारा 25 (1B) (a) एवं 27 (1) के तहत प्रमाणित नही कर पाया है। इसी प्रकार अभियोजन अभियोजित आरोपीगण के विरूद्ध साक्ष्य के अभाव में भा0दं0सं0 की धारा 212, 216, 120 बी के दण्डनीय आरोप को भी प्रमाणित नही कर पाया है।
213- अतः उक्त विवेचन अनुसार आरोपी तपन सरकार, सत्येन माधवन, बॉबी उर्फ विद्युत चौधरी, मंगल सिंह, अनिल शुक्ला, राजू खंजर, पिताम्बर साहू, छोटू उर्फ कृष्णा, रंजीत सिंह, बिज्जु उर्फ महेश, शैलेन्द्र ठाकुर, अब्दुल जायद उर्फ बच्चा एवं आरोपी प्रभाष सिंह को भा0दं0सं0 की धारा 302 सहपठित धारा 149, 148 के तहत दोषसिद्ध किया जाता है। इसी प्रकार आरोपी तपन सरकार, सत्येन माधवन, आरोपी प्रभाष सिंह, शैलेन्द्र सिंह ठाकुर एवं मंगल सिंह को आयुध अधिनियम की धारा 25 (1B) (a)  एवं 27 (1) के आरोप में दोषसिद्ध किया जाता है। लेकिन आरोपी मुजीबुद्दीन, अरविंद श्रीवास्तव उर्फ गुल्लू, जयदीप एवं विनोद बिहारी को भा0दं0सं0 की धारा 302 सहपठित धारा 149 व 148 के दण्डनीय आरोप से दोषमुक्त किया जाता है। सभी अभियोजित आरोपियों को भा0दं0सं0 की धारा 120 बी, 307 सहपठित धारा 149, 212, 216 एवं धारा 3(2)(5) अनु.जा.जन.(अ.नि.) अधिनियम के दण्डनीय आरोप से दोषमुक्त किया जाता है। आरोपी रंजीत सिंह, बॉबी उर्फ विद्युत चौधरी को आयुध अधिनियम की धारा 25 (1B) (a)  एवं 27 (1) के आरोप से दोषमुक्त किया जाता है।
214- आरोपीगण को दण्ड के प्रश्न पर सुनने के लिये निर्णय को अल्प समय के लिये स्थगित किया जाता है।

(राजेश श्रीवास्तव)
विशेष न्यायाधीश,
दुर्ग (छ.ग.)

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