Saturday 17 August 2019
Motor accident claim Award श्रीमती शांति देवी विरुद्ध विक्रम सिंह यादव
न्यायालय: प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण दुर्ग (छत्तीसगढ़)
(पीठासीन अधिकारी: अजीत कुमार राजभानू)
Motor accident claims tribunal
क्लेम प्रकरण क्रमांक-213/2017
संस्थित दिनांक: 18-05-2017
1. श्रीमती शांति देवी जौजे स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 65 वर्ष ।
2. महेन्द्र यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 45 वर्ष ।
3. नरेन्द्र यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 42 वर्ष ।
4. सुरेन्द्र यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 40 वर्ष ।
5. राजकुमार यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 37 वर्ष ।
सभी निवासी: बजरंग पारा, भिलाई-3
तहसील पाटन, जिला दुर्ग (छ.ग.) .... आवेदकगण
।। विरुद्ध ।।
1. विक्रम सिंह यादव पिता आनंदराम यादव, उम्र 26 वर्ष
2. आनेदी राम यादव पिता गजाराम यादव, उम्र 42 वर्ष
दोनों निवासी: ग्राम बरबंदा, थाना विधानसभा रायपुर, जिला रायपुर (छ.ग.)
(मोटरसायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 के क्रमशः चालक एवं स्वामी)
3. रिलायेस इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा: शाखा प्रबंधक, शॉप नंबर 412-413, फोर्थ फ्लोर, रवि भवन जय स्तम्भ चौक, रायपुर, जिला रायपुर (छ.ग.)
(मोटरसायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 का बीमा कम्पनी) ..... अनावेदकगण
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आवेदकगण की ओर से श्री अवधेश सिंह Mr. Awadhesh Singh, अधिवक्ता ।
अनावेदक क्रमांक-1 व 2 की ओर से श्री रवि शर्मा Mr. Ravi Sharma, अधिवक्ता ।
अनावेदक क्रमांक-3 की ओर से श्री ललित जोशी Mr. Lalit Joshi, अधिवक्ता Advocate ।
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।। अधिनिर्णय Award।।
(आज दिनांक 06 अगस्त, 2019 को घोषित किया गया)
1- आवेदकगण की ओर से यह दावा आवेदन, वाहन दुर्घटना accident में आवेदिका क्रमांक-1 के पति तथा शेष आवेदकगण के पिता किशनलाल यादव की मृत्यु हो जाने के परिणामस्वरूप अनावेदकगण से कुल 82,98,400/-रुपये क्षतिपूर्ति compensation दिलाये जाने हेतु मोटर यान अधिनियम की धारा-166 Section -166 of Motor vehicle act के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया है ।
2- प्रकरण में यह अविवादित undisputed है कि दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 को अनावेदक क्रमांक-2 के स्वामित्व की दुर्घटनाकारित वाहन मोटरसायकल क्रमांक सीजी. 04 - सी.एल. 5347 को अनावेदक क्रमांक-1 चला रहा था तथा उक्त वाहन का बीमा अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी Insurance company के द्वारा किया गया था।
3- आवेदकगण की ओर से प्रस्तुत दावा Claim आवेदन का सार इस प्रकार है कि दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 को किशनलाल यादव (अब मृत) रात्रि लगभग 8.00 बजे अपने बेटे के बच्चों के लिये चाकलेट खरीदकर वापस आ रहे थे, तभी रोड क्रॉस करते समय मेन रोड पर भिलाई-3 Bhilai-3 on Main Road स्थित सेण्ट्रल बैंक एटीएम के सामने मोटर सायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 के चालक द्वारा अपनी वाहन को तेजी एवं लापरवाही पूर्वक Carelessly चलाते हुये किशनलाल यादव को ठोकर मारकर दुर्घटना कारित कर दिया, जिससे उसे तथा बच्चों रिद्धिमा यादव एवं आर्यन यादव को गम्भीर चोटें आयी। उपचार हेतु उन्हें चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने किशन लाल को मृत घोषित pronounced dead कर दिया तथा डॉक्टरों द्वारा वहां रिद्धिमा का उपचार सम्भव नहीं होना बताये जाने पर उसे अपोलो बी.एस.आर.हॉस्पिटल, भिलाई ले जाकर भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान दिनांक 16-03-2017 को रिद्धिमा यादव की मृत्यु हो गई । दुर्घटना की रिपोर्ट accident report पुलिस थाना पुरानी भिलाई Police Station Old Bhilai, जिला दुर्ग में दर्ज करायी गई थी, जहां अनावेदक क्रमांक-1 के विरुद्ध भा.दं.संहिता की धारा-279, 337 एवं 304 (ए) Sections 279, 337 and 304 (A) of the Indian Penal Code के अंतर्गत अपराध क्रमांक-87/2017 पंजीबद्ध Registered किया जाकर विवेचना उपरान्त, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, भिलाई-3 के न्यायालय में अभियोग-पत्र Charge sheet प्रस्तुत किया गया था ।
4- दुर्घटना के समय मृतक किशनलाल साउथ ईस्टर्न रेल्वे से इलेक्ट्रो ड्राईवर के पद से सेवानिवृत्त हुआ था और उसे प्रतिमाह 29,160/-रुपये प्राप्त होता था । स्व.किशनलाल पर पूरे परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी थी । उसके लड़के नरेन्द्र यादव की किडनी खराब हो जाने से वर्ष 2009 से हर माह 8-9 बार डायलिसिस हो रहा है, जिसका खर्च भी मृतक ही उठाते थे । यदि किशनलाल जीवित रहते, तो उपरोक्तानुसार पेंशन की राशि अर्जित करके अपने परिवार का पालन-पोषण Family upbringing करते, जिसकी असामयिक मृत्यु हो जाने से उसके परिवार के सदस्य उचित देखरेख से वंचित हो गये हैं तथा नरेन्द्र यादव का डायलिसिस रूक गया है, जिसके कारण उसके जीवित रहने की सम्भावना क्षीण होती जा रही है, जिसे भविष्य में कभी पूरा नहीं किया जा सकता है । अतः मोटर दुर्घटना में किशनलाल की मृत्यु होने से आवेदिका क्रमांक-1 को पति के स्नेह Husband's affection, साहचर्य सुख Associative pleasure से वंचित होने तथा शेष आवेदकगण को पितृ-स्नेह व संरक्षण Paternal Affection and Protection से वंचित होने, मृतक के अन्तिम संस्कार Funeral, आश्रितता एवं सम्पदा की हानि , मानसिक सन्ताप एवं पीड़ा इत्यादि विभिन्न मदों में कुल 82,98,400/-रुपये क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का निवेदन किया गया है ।
5- अनावेदक क्रमांक-1 तथा 2 की ओर से, दावा आवेदन के तथ्यों से इन्कार करते हुये इस आशय का जवाबदावा rejoinder प्रस्तुत किया गया है कि आवेदकगण के द्वारा क्षतिपूर्ति राशि का आंकलन झूठे एवं असत्य आधारों पर बढा़-चढा़कर किया गया है । मृतक किशनलाल यादव द्वारा लापरवाहीपूर्वक सड़क पार करने के कारण वे दुर्घटनाग्रस्त हुये हैं, जिसमें स्वयं किशनलाल की लापरवाही थी । अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा वाहन का किसी भी प्रकार से लापरवाहीपूर्वक चालन नहीं किया गया है, बल्कि आवेदकगण द्वारा उसके विरुद्ध झूठी रिपोर्ट False report दर्ज करायी गई है, इसके बाद भी यदि अनावेदक क्रमांक-1 व 2 को प्रकरण में आलिप्त होना पाया जाता है, तो अंशदायी उपेक्षा माना जाना उचित होगा । अनावेदक क्रमांक-1 वैध चालन अनुज्ञप्तिधारी चालक है तथा अनावेदक क्रमांक-2 का वाहन बीमा कम्पनी के पास विधिवत् बीमित था, इसलिये क्षतिपूर्ति राशि की अदायगी के लिये अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी की जवाबदारी है, अतः इनके विरुद्ध दावा निरस्त किया जावे।
6- अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी की ओर से दावा आवेदन के समस्त तथ्यों से इन्कार करते हुये अपने जवाबदावा में आवेदन-पत्र के अभिवचनों को जानकारी के अभाव में अस्वीकार किया गया है तथा यह अभिवचन है कि दुर्घटना, अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा उपेक्षापूर्ण वाहन चालन के कारण नहीं हुई है, बल्कि मृतक किशनलाल द्वारा बिना दांये-बांये देखे, लापरवाहीपूर्वक हाईवे रोड पार करने के कारण घटित हुई है, जिसके लिये मृतक स्वये जिम्मेदार है । किसी व्यक्ति के विरुद्ध दाण्डिक कार्यवाही Criminal proceedings किये जाने मात्र से ही दुर्घटना के लिये उसे पूर्ण रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है । आवेदकगण द्वारा असत्य एवं कपोल-कल्पित आधारों पर क्षतिपूर्ति राशि की मांग की गई है । बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार दुर्घटना दिनांक को बीमाधारी वाहन का पंजीकृत स्वामी हो, वाहन का उपयोग पॉलिसी में उल्लेखित उपयोगिता के लिये ही किया जाना चाहिये । वाहन चालक का ड्राईविंग लाईसेंस, परमिट एवं फिटनैस बनावटी, फर्जी अथवा अनुपयुक्त पाये जाने की दशा में बीमा पॉलिसी की शर्तो का स्पष्ट उल्लंघन होने से अनावेदक क्रमांक-3 प्रतिकर राशि Compensation amount की अदायगी हेतु जिम्मेदार नहीं होगा । यदि न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि दुर्घटना में मोटरसायकल चालक की भी लापरवाही थी, तो उक्त दुर्घटना के लिये योगदायी-उपेक्षा Contributory neglect के सिद्धान्त के आधार पर समान रूप से जिम्मेदार एवं उत्तरदायी मानते हुये क्षतिपूर्ति अदायगी का निर्धारण किया जावे। मोटर यान अधिनियम की धारा-147 एवं 149 का उल्लंघन होने की दशा में क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु बीमा कम्पनी का कोई दायित्व नहीं है, अतः आवेदकगण का दावा आवेदन निरस्त किया जावे ।
7- उभय-पक्षकारों के अभिवचनों pleadings एवं प्रकरण में संलग्न दस्तावेजों के आधार पर निम्नलिखित वाद-प्रश्न issues विरचित किये गये हैं, जिन पर साक्ष्य-विवेचना के आधार पर निष्कर्ष दिया जा रहा है:-
वाद-प्रश्न निष्कर्ष
1. क्या घटना दिनांक 13-03-2017 को सेण्ट्रल बैंक एटीएम, भिलाई-3, मेन रोड के सामने मोटरसायकल क्रमांक सी.जी. 04- सी.एल. 5347 के चालक द्वारा वाहन को तेजी एवं लापरवाहीपूर्वक चलाकर मृतिका रिधिमा को ठोकर मारकर दुर्घटना कारित की गई, जिससे उसे गम्भीर चोटें आयी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई ?
’’प्रमाणित’’
2. क्या उक्त दुर्घटना, मृतिका रिधिमा की लापरवाही के कारण घटित हुई थी ?
’’प्रमाणित नहीं’’
3. क्या अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा प्रश्नगत् वाहन का चालन बीमा कम्पनी की शर्तो के उल्लंघन मे किया जा रहा था ?
’’प्रमाणित नहीं’’
4. क्या आवेदकगण, अनावेदकगण से संयुक्त या पृथक्तः क्षतिपूर्ति राशि पाने के अधिकारी हैं ?
’आवेदकगण, अनावेदक क्रमांक-1 से 3 से संयुक्त एवं पृथक्-पृथक् रूप से 8,97,640/- रुपये क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने के अधिकारी हैं’’
5. सहायता एवं वाद व्यय ? ’’अधिनिर्णय की अन्तिम कंडिका के अनुसार’’
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-1 व 2 पर सकारण निष्कर्ष ।।
8- आवेदकगण की ओर से अपने पक्ष-समर्थन में राजकुमार यादव (आसा-1) तथा प्रवीण सिरिया का कथन कराया जाकर प्रदर्श पी-1 से प्रदर्श पी-30 तक के दस्तावेजों को प्रमाणित करते हुये प्रदर्श अंकित कराया गया है, जबकि अनावेदकगण की ओर से किसी भी साक्षी का कथन नहीं कराया गया है ।
9- आवेदक राजकुमार यादव (आ.सा-1), जो मृतिका रिधिमा यादव का पिता है, ने अपने साक्ष्य में कथन किया है कि स्वर्गीय रिधिमा यादव इनकी बेटी थी । घटना दिनांक 13-03-2017 की रात्रि लगभग 8.00 बजे की है, इनके पिताजी इसके भतीजे आर्यन और इसकी बेटी रिद्धिमा को लेकर चाकलेट खिलाने के लिये जी.ई.रोड के उस पर गये हुये थे। चाकलेट खिलाकर वापस आ रहे थे और जैसे ही सर्विस रोड पार करके जी.ई.रोड के किनारे खड़े थे, तभी दुर्ग की ओर से आ रही मोटर सायकल क्रमांक सी.जी. 04- सी.एल. 5347 के चालक द्वारा तेजी एवं लापरवाही पूर्वक चलाकर इनके पिताजी तथा दोनों बच्चों को काफी गम्भीर चोटें पहुंचायी, जिन्हें उपचार हेतु चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल ले जाया गया, जहां इनके पिता किशनलाल यादव को ईलाज के पश्चात् मृत घोषित कर दिया गया एवं डॉक्टरों द्वारा रिद्धिमा का ईलाज सम्भव नहीं होना बताये जाने से उसे अपोलो अस्पताल, नेहरू नगर भिलाई लेजाकर भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान दिनांक 16-03-2017 को रिद्धिमा यादव की भी मृत्यु हो गई । दुर्घटना की रिपोर्ट इसके भाई सुरेन्द्र यादव द्वारा भिलाई-3 थाने में दर्ज करायी गई थी ।
10- आवेदक ने दुर्घटना से सम्बंधित दाण्डिक प्रकरण से सम्बंधित दस्तावेज अन्तिम प्रतिवेदन प्रदर्श पी-1, प्रथम सूचना प्रतिवेदन प्रदर्श पी-2, मर्ग इंटीमेशन प्रदर्श पी-3, पुलिस इन्फार्मेंशन प्रदर्श पी-4, पुलिस विभाग द्वारा दी गई सूचना प्रदर्श पी-5, नक्शा पंचायतनामा प्रदर्श पी-6, शव परीक्षण आवेदन एवं रिपोर्ट प्रदर्श पी-7 व प्रदर्श
पी-8, अपराध विवरण फार्म प्रदर्श पी-9, सम्पत्ति जप्ती पत्रक प्रदर्श पी-10, गिरफ्तारी पत्रक प्रदर्श पी-11, वाहन स्वामी का प्रमाण-पत्र प्रदर्श पी-12, वाहन मुलाहिजा रिपोर्ट प्रदर्श पी-13 एवं सुपुर्दनामा आदेश प्रदर्श पी-14 प्रस्तुत किया है ।
प्रतिपरीक्षण में साक्षी ने अस्वीकार किया है कि यह घटनास्थल पर नहीं था और घटना देखने का झूठा कथन कर रहा है । इसने कथन किया है कि घटना दिनांक को यह घटनास्थल से 100 फीट की दूरी पर स्थित तिवारी पान की दुकान में बैठा था, उस समय इसके साथ इसके दोस्त प्रवीण सिरिया एवं धनराज भी बैठे हुये थे। यह
अस्वीकार किया है कि घटना के समय घटनास्थल पर अंधेरा था, स्वतः कहा कि वहां लाईट थी । यह स्वीकार किया है कि घटनास्थल पर रोड पार करने के लिये जेब्रा क्रॉसिंग नहीं है । साक्षी ने इस तथ्य से इन्कार किया है कि इनके पिताजी की लापरवाही के कारण दुर्घटना हुई थी ।
11- दुर्घटना के बिंदु पर साक्षी प्रवीण सिरिया (आ.सा-2), जो कि घटना का प्रत्यक्षदर्शी साक्षी Eye witness है, ने भी घटना का समर्थन करते हुये इस आशय का कथन किया है कि घटना दिनांक 13-03-2017 कों रात्रि लगभग 8.00 बजे की है, स्व. किशनलाल यादव दो बच्चों के साथ जी.ई.रोड के किनारे सर्विस रोड पर खड़े थे, एक बच्चा उनके गोद में था और दूसरू बच्चे के हाथ को पकड़कर खड़े थे, जहां से 50 कदम की दूरी पर यह साक्षी खड़ा था । दुर्ग की तरफ से एक मोटर सायकल क्रमांक सी.जी. 04- सी.एल. 5347 के चालक ने तेजी एवं लापरवाही पूर्वक चलाकर ठोकर मार दिया, जिससे किशनलाल यादव तथा दोनों बच्चों को चोटें आयी थी । इसने चोट लगे व्यक्तियों को चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में भर्ती करवाया था, जहां किशनलाल यादव की मृत्यु हो गई तथा रिद्धिमा यादव को उक्त अस्पताल से अपोलो बी.एस.आर.अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां ईलाज के दौरान रिद्धिमा यादव की भी मृत्यु हो गई ।
12- साक्षी ने प्रतिपरीक्षण में अस्वीकार किया है कि घटनास्थल रोड पर डिवाईडर बना हुआ है, किन्तु इस तथ्य कों स्वीकार किया है कि घटनास्थल से पैदल चलकर रोड पार करने के लिये कोई जेब्रा क्रॉसिंग नहीं बना है । इस बात की जानकारी नहीं है कि पुलिस ने घटनास्थल को जी.ई. रोड में होना दर्शाया है, साक्षी स्वतः कहता है कि घटना जी.ई.रोड के किनारे घटी थी । यह कहना गलत है कि मोटर सायकल का चालक घटना के समय धीमी एवं सावधानी पूर्वक वाहन चला रहा था । इस साक्षी ने भी इस तथ्य को अस्वीकार किया है कि मृतक द्वारा बिना आगे- पीछे देखे, दौड़कर रोड पार करने के कारण घटना घटित हुई थी तथा घटनास्थल पर यह मौजूद नहीं था । यह अस्वीकार किया है कि सुरेन्द्र यादव के कहे अनुसार बयान दे रहा है ।
13- अनावेदक-पक्ष की ओर से आवेदक साक्षीगण के साक्ष्य से प्रकट होने वाली स्थितियों का उल्लेख करते हुये यह तर्क किया गया है कि मामले में अनावेदक वाहन चालक की उपेक्षा प्रमाणित नहीं होती है, बल्कि मृतक की ही उपक्षा प्रकट होती है । यह तर्क किया गया है कि घटना के समय मृतक सड़क पार कर रहा था एवं घटनास्थल पर कोई भी जेब्रा क्रॉसिंग नहीं था, साथ ही घटनास्थल पर स्ट्रीट लाईट होने का साक्ष्य नहीं है, अर्थात् अंधेरे में सड़क पार करने का कृत्य, स्वयं में मृतक की उपेक्षा को दर्शित करता है, ऐसी स्थिति में अनावेदक की उपेक्षा प्रमाणित नहीं होती है तथा तर्क के दौरान न्याय दृष्टान्त ओरिएण्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड विरुद्ध प्रेमलता शुक्ला Oriental Insurance Company Limited Vs Premlata Shukla, 2007(भाग-3) दु.मु.प्र. 154 सुप्रीम कोर्ट पर निर्भरता व्यक्त किया गया है, जिसमें यह ठहराया गया है कि मोटर यान अधिनियम की धारा 166 के तहत् चालक के पक्ष में उपेक्षा को प्रमाणित किया जाना अनिवार्य है, जिसके अभाव में दावा पोषणीय नहीं होगा । इसके अतिरिक्त, दुर्घटना में मृतक की ही योगदायी-उपेक्षा होने के सन्दर्भ में न्याय दृष्टान्त मंगल प्रसाद विरुद्ध शेरा खान एवं अन्य Mangal Prasad vs Shera Khan and others, 2017(भाग-2) ए.सी.सी.डी. 795 म.प्र.उच्च न्यायालय का अवलम्ब लिया गया है।
14- उपरोक्त तर्कों के परिप्रेक्ष्य में विचार किया जाये, तो मामले में अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक द्वारा इस बिंदु पर स्वयं का परीक्षण नहीं कराया गया है कि उसके द्वारा कोई उपेक्षा नहीं बरती गई थी और वाहन को सावधानीपूर्वक चलाया जा रहा था । मामले में यह अविवादित तथ्य है कि उपरोक्त दुर्घटना के सन्दर्भ में अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक के विरुद्ध धारा-279, 337 एवं 304 (ए) भा.दं.संहिता के तहत् अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया गया है एवं दाण्डिक प्रकरण लम्बित है, ऐसी स्थिति में अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से साक्ष्य के अभाव में यह प्रमाणित नहीं होता है कि उसके द्वारा उतावलेपन या उपेक्षा से वाहन नहीं चलाया गया था, बल्कि आवेदक की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजी एवं मौखिक साक्ष्य से अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक की उपेक्षा प्रमाणित होती है, ऐसी स्थिति में अनावेदक क्रमांक-1 के उतावलेपन से वाहन चलाकर दुर्घटना कारित करने से मृतक किशनलाल यादव की मृत्यु कारित होना प्रमाणित होता है । तद्नुसार वाद-प्रश्न क्रमांक-1 का निष्कर्ष ’’प्रमाणित’’ में दिया जाता है । चूकि उपरोक्त विवेचना अनुसार मृतक की स्वये की उपेक्षा के सम्बंध में साक्ष्य नहीं है, अतः ’’योगदायी-उपेक्षा’’ भी प्रमाणित नहीं होती है, अतः वाद-प्रश्न क्रमांक-2 का निष्कर्ष भी ’’प्रमाणित नहीं’’ में दिया जाता है ।
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-3 पर सकारण निष्कर्ष ।।
15- अनावेदक-पक्ष की ओर से अपने जवाबदावा में किये गये अभिवचन के आधार पर इस वाद-प्रश्न की विरचना की गई है । अनावेदकगण की ओर से उक्त बिंदु पर किसी साक्षी का परीक्षण नहीं कराया गया है । प्रदर्श पी-10 के जप्ती पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि मोटरसायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 तथा अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक विक्रम सिंह के ड्राईविंग लाईसेंस की जप्ती की गई है, जिसकी म्याद अवधि दिनांक 06-10-2035 तक है । इसी प्रकार वाहन के इंश्योरेन्स के दस्तावेज की भी जप्ती की गई है, जिसकी म्याद अवधि दिनांक 16-09-2016 से 15-09-2017 तक है और दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 की है, अर्थात् दुर्घटना दिनांक को वाहन की बीमा पॉलिसी वैध थी । वैसे भी बीमा कम्पनी की ओर से इस तथ्य से भी स्पष्ट इन्कार नहीं किया गया है कि दुर्घटना दिनांक को दुर्घटना कारित मोटर सायकल उनके पास बीमित नहीं थी, ऐसी स्थिति में दस्तावेजों के अभाव में यह स्थापित नहीं होता है कि दुर्घटना दिनांक को अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा मोटर सायकल को बीमा शर्तो के उल्लंघन में चलाया जा रहा था, अतः तद्नुसार वाद-प्रश्न क्रमांक-3 का निष्कर्ष ’’प्रमाणित नहीं’’ में दिया जाता है।
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-4 पर सकारण निष्कर्ष ।।
16- आवेदक सुरेन्द्र यादव (आ.सा-1) ने कथन किया है कि दुर्घटना के समय उनके पिता की आयु 70 वर्ष थी, वे साउथ ईस्टर्न रेल्वे में इलेक्ट्रो ड्राईवर के पद से सेवानिवृत्त हुये थे और उन्हे प्रतिमाह 29,160/-रुपये पेंशन प्राप्त होता था । पिताजी की मृत्योपरान्त इसकी मॉं के खाते में 20,500/-रुपये पेंशन आता है । आवेदक ने उक्त तथ्यों के समर्थन में मृत्यु प्रमाण-पत्र प्रदर्श पी-20 प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार किशनलाल यादव की मृत्यु दिनांक 13-03-2017 को होना उल्लेखित किया गया है । प्रकरण में संलग्न मर्ग इंटीमेशन, नक्शा पंचायतनामा प्रदर्श पी-6, शव-परीक्षण रिपोर्ट प्रदर्श पी-7 एवं अपराध विवरण प्रदर्श पी-9 में भी मृतक की आयु 70 वर्ष होने का स्पष्ट उल्लेख दर्शित होता है ।
17- आवेदकगण की ओर से मृतक की आय के सन्दर्भ में अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है कि मृतक सेवानिवृत्ति के उपरान्त किसी प्रकार के आय अर्जित करने वाली व्यवसाय में संलग्न रहकर आय अर्जित करता था, अपितु मृतक कों प्राप्त होने वाली पेंशन को ही आय होना व्यक्त किया गया है एवं मृतक की मृत्यु से उसके परिवार कों पेंशन की राशि में से होने वाली क्षति कों आश्रितता की क्षति बताया गया है एवं तद्नुसार आश्रितता की हानि के मद में क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का निवेदन किया गया है । अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी की ओर से तर्क किया गया है कि पेंशन की राशि कों आय की श्रेणी में नही रखा जा सकता है, अतः आवेदकगण की आय शून्य मानी जायेगी तथा किसी भी प्रकार की आश्रितता की क्षति, मामले में प्रमाणित नहीं होती है, अतः आवेदकगण, आश्रितता के मद में क्षतिपूर्ति पाने के अधिकारी नहीं हैं ।
18- तत्सम्बंध में विचार किया गया । यह स्पष्ट है कि मृतक वर्ष 2002 में साउथ ईस्टर्न रेल्वे से सेवानिवृत्त हुये थे और पेंशन प्राप्त करते थे । आवेदक साक्षी क्रमांक-3 प्रबोध बंसोड़ के साक्ष्य के अनुसार मृतक का पेंशन खाता सम्बंधी एकाउण्ट स्टेटमेंट दिनांक 01-01-2017 से 01-03-2017 प्रदर्श पी-23 के अनुसार मृतक को 27,587/-रुपये दिनांक 30-01-2017 को एवं 27,588/-रुपये फरवरी, 2017 का पेंशन दिया गया है । उनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी पत्नी श्रीमती शांतिदेवी यादव को रेल्वे से पेंशन प्राप्त हो रही है, तत्सम्बंध में प्रदर्श पी-24 का दस्तावेज पेश किया गया है, जिसके अनुसार मृतक की पत्नी श्रीमती शांति देवी यादव को 20,906/- रुपये पेंशन प्राप्त हो रहा है ।
19- आवेदक-पक्ष की ओर से यह तर्क किया गया है कि दुर्घटना में मृतक की मृत्यु होने के कारण उसके परिवार कों प्राप्त होने वाली पेंशन की राशि 27,588/ रुपये में से कम होकर 20,906/-रुपये हो गया है, जिससे परिवार को लगभग 14,224/-रुपये की क्षति हुई है, अतः उक्त क्षति के आधार पर गुणक लगाकर क्षतिपूर्ति राशि निर्धारित की जावे ।
20- उक्त तर्क पर विचार किया गया । इस बिंदु पर आवेदकगण की ओर से न्याय दृष्टान्त तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम लिमिटेड विरुद्ध बी.वेंकटराघवन एवं अन्य Tamil Nadu State Transport Corporation Limited vs. B. Venkataraghavan and others, 2018 (भाग-1) ए.सी.सी.डी. 33 (मद्रास) तथा बीणापाणि घोष एवं अन्य विरुद्ध न्यू इण्डिया इंश्योरेंन्स कम्पनी लिमिटेड एवं अन्य New India Insurance Company Limited and others against Binapani Ghosh and others, 2014 (भाग-1) ए.सी.सी.डी. 322 (कलकत्ता) का अवलम्ब लिया गया है, जिसमें मृतक को प्राप्त होने वाली पेंशन की राशि कों उसकी आय होना मान्य किया गया है । उपरोक्त अभिमत के प्रतिकूल बीमा कम्पनी की ओर से कोई न्याय दृष्टान्त पेश नहीं किया गया है, अतः वर्तमान मामले में भी मृतक की पेंशन राशि को आश्रितता की हानि की गणना हेतु आय के रूप में स्वीकार किया जाना उपयुक्त पाया जाता है ।
21- आवेदक साक्ष्य के अनुसार मृतक की माह फरवरी, 2017 की पेंशन 27,588/-रुपये थी, जिसे उसकी आय के रूप में स्वीकार किया जाता है तथा चूंकि वर्तमान मामले में आवेदक क्रमांक-2 से 5 वयस्क हैं एवं उन्हें मृतक पर आश्रित नहीं माना जा सकता, अतः मात्र आवेदिका क्रमांक-1 को मृतक पर आश्रित होना पाते हुये मृतक की आय में से स्वयं के व्यय के लिये 1/2 भाग की कटौती किये जाने पर परिवार को प्रदान की जाने वाली राशि 13,794/-रुपये निर्धारित की जाती है । अतः मृतक की वार्षिक आश्रितता की राशि 1,65,528/-रुपये निर्धारित की जाती है ।
चूंकि मृतक की आयु 70 वर्ष थी एवं न्याय दृष्टान्त नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी विरुद्ध प्रणय शेट्टी National Insurance Company Vs Prannoy Shetty, जे.टी. 2017(भाग-10) सुप्रीम कोर्ट-450 में ठहराये गये विधि सिद्धान्त के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के सम्बंध में किसी प्रकार के भविष्य की आय में वृद्धि हेतु कोई व्यवस्था नहीं दी गई है, अतः वर्तमान मामले में भविष्यवर्ती आय में वृद्धि लागू किये जाने का कोई आधार नहीं है ।
22- न्याय दृष्टान्त श्रीमती सरला वर्मा विरुद्ध दिल्ली ट्रांसपोर्ट निगम Smt Sarla Verma Vs Delhi Transport Corporation, ए.आईआर. 2009 (सु.को.) 3104 के परिप्रेक्ष्य में गुणक के निर्धारण के लिये मृतक की आयु
महत्वपूर्ण कारक है । अनावेदक बीमा कम्पनी की ओर से यह तर्क किया गया है कि आवेदक साक्षी के अनुसार मृतक वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुआ था तथा दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 की है, अर्थात् मृतक लगभग 15 वर्ष से सेवानिवृत्त था तथा मृतक की सेवानिवृत्ति आयु यदि 58 वर्ष भी मानी जाये, तो दुर्घटना दिनांक को मृतक की वर्तमान आयु 72 वर्ष होती है एवं श्रीमती सरला वर्मा के प्रकरण में 72 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिये कोई गुणांक निर्धारित नहीं किया गया है । तत्सम्बंध में विचार किया गया । आवेदकगण द्वारा मृतक की आयु 70 वर्ष बतायी गई है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृतक की आयु 70 वर्ष बतायी गई है तथा मृतक की जन्मतिथि के सम्बंध में कोई साक्ष्य नहीं है एवं यह अनावेदक-पक्ष पर प्रमाण-भार था कि वह, यह स्थापित करे कि मृतक की आयु 70 वर्ष से अधिक थी । अनावेदक की ओर से मात्र सेवानिवृत्ति तिथि से मृत्यु की तिथि की अवधि के आधार पर मृतक की आयु 70 वर्ष से अधिक माने जाने का तर्क किया गया है, किन्तु उक्त तर्क, साक्ष्य के अभाव में स्वीकार योग्य नहीं हो सकती है, क्योंकि सेवानिवृत्ति सम्पूर्ण सेवाकाल की अवधि के उपरान्त भी दिया जा सकता है, अथवा सम्पूर्ण सेवा अवधि पूर्ण होने से पहले भी कर्मचारी को सेवानिवृत्त किया जा सकता है । अतः मामले में, अनावेदक- पक्ष का तर्क, मृतक की आयु के निर्धारण के लिये स्वीकार योग्य नहीं है । तद्नुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दुर्घटना दिनांक कों मृतक की आयु 70 वर्ष होना निर्धारित किया जाता है एवं मृतक की आयु के आधार पर वर्तमान मामले में 05 का गुणांक लागू किये जाने योग्य है ।
23- अतः आवेदकगण की आश्रितता की राशि 1,65,528/-रुपये वार्षिक लिये जाने पर 05 का गुणक लागू किये जाने पर आश्रितता की कुल राशि 8,27,640/- रुपये निर्धारित की जाती है । इसके अतिरिक्त न्याय दृष्टान्त नेशनल
इंश्योरेन्स कम्पनी विरुद्ध प्रणय शेट्टी, जे.टी. 2017(भाग-10) सुप्रीम कोर्ट-450 में प्रतिपादित विधिक सिद्धान्तों के अनुसार आवेदकगण को सम्पदा की हानि के मद में 15,000/-रुपये, प्रेम एवं स्नेह की हानि के मद में 40,000/-रुपये तथा अंत्येष्टि व्यय के मद में 15,000/-रुपये दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है । इस प्रकार आवेदकगण कुल 8,97,640/- रुपये बतौर क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने के अधिकारी होना पाया जाता है ।
24- जहां तक क्षतिपूर्ति की अदायगी के उत्तरदायित्व का सम्बंध है, अनावेदक क्रमांक-3 यह प्रमाणित करने में विफल रहा है कि अनावेदक क्रमांक-1 व 2 के द्वारा दुर्घटना दिनांक कों दुर्घटनाकारित वाहन को बीमा की शर्तां के उल्लंघन में चलाया जा रहा था । चूंकि अनावेदक क्रमांक-1 व 2 दुर्घटनाकारित वाहन के क्रमशः चालक व पंजीकृत स्वामी हैं तथा वाहन अनावेदक क्रमांक-3 के पास बीमित थी, अतः ’’आवेदकगण, अनावेदक क्रमांक-1 से 3 से संयुक्त एवं पृथक्-पृथक् रूप से 8,97,640/-रुपये क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकारी हैं’’, के रूप में इस वाद-प्रश्न कों निराकृत किया जाता है ।
25- चूंकि आवेदक क्रमाक-1 मृतक की पत्नी है तथा आवेदक क्रमांक-2 से 5 मृतक के वयस्क पुत्र हैं तथा मृतक पर आश्रित नहीं थे, अतः आवेदक क्रमांक-2 से 5 कों क्षतिपूर्ति प्राप्त किये जाने के अधिकारी नहीं पाये जाते हैं । तद्नुसार मामले की परिस्थितियों पर विचार करते हुये मृतक की पत्नी आवेदिका क्रमांक-1 श्रीमती शांति देवी कों ही 8,97,640/-रुपये क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने की अधिकारी होना ठहराया जाता है ।
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-5: सहायता एवं व्यय ।।
26- उपरोक्त साक्ष्य-विवेचना के आधार पर आवेदकगण अपना दावा आंशिक रूप से प्रमाणित करने में सफल रहे हैं, अतः आवेदकगण की ओर से प्रस्तुत दावा आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आशय का अधिनिर्णय पारित किया जाता है:-
1. अनावेदक क्रमांक-1 से 3 संयुक्त एवं पृथक्-पृथक् रूप से आवेदकगण को 8,97,640/-(आठ लाख सन्तानबे हजार छः सौ चालीस) रुपये अधिनिर्णय दिनांक से एक माह के भीतर अधिकरण के माध्यम से प्रदान करेंगे ।
2. अनावेदकगण, आवेदकगण को उपरोक्त राशि पर आवेदन प्रस्तुति दिनांक 18-05-2017 से सम्पूर्ण रकम की अदायगी दिनांक तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज भी अदा करेंगे ।
3. आवेदिका क्रमांक-1 ने यदि अंतरिम क्षतिपूर्ति प्राप्त किया हो, तो उक्त राशि अवार्ड की मूल राशि में समायोजित किया जावे।
4. आवेदिका क्रमांक-1 श्रीमती शांति देवी को प्राप्त होने वाली राशि में से उसे 1,00,000/-रुपये नगद प्रदान किया जाकर शेष राशि को उसके नाम से तीन वर्ष की अवधि के लिये किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा योजना के तहत् जमा किया जावेगा, जिस पर वह किसी भी प्रकार की अग्रिम अथवा लोन की सुविधा प्राप्त नहीं कर सकेगी तथा परिपक्वता अवधि पूर्ण होने पर सम्पूर्ण राशि वे स्वयं प्राप्त कर सकेंगी।
5. अधिवक्ता-शुल्क प्रमाणित होने पर 1,000/-(एक हजार) रुपये
निर्धारित किया जाता है ।
........... तद्नुसार व्यय-तालिका बनाई जावे ।
सही/-
दिनांक: 06 अगस्त, 2019
(अजीत कुमार राजभानू)
प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण
दुर्ग (छ.ग.)
(पीठासीन अधिकारी: अजीत कुमार राजभानू)
Motor accident claims tribunal
क्लेम प्रकरण क्रमांक-213/2017
संस्थित दिनांक: 18-05-2017
1. श्रीमती शांति देवी जौजे स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 65 वर्ष ।
2. महेन्द्र यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 45 वर्ष ।
3. नरेन्द्र यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 42 वर्ष ।
4. सुरेन्द्र यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 40 वर्ष ।
5. राजकुमार यादव पिता स्व.किशनलाल यादव, उम्र लगभग 37 वर्ष ।
सभी निवासी: बजरंग पारा, भिलाई-3
तहसील पाटन, जिला दुर्ग (छ.ग.) .... आवेदकगण
।। विरुद्ध ।।
1. विक्रम सिंह यादव पिता आनंदराम यादव, उम्र 26 वर्ष
2. आनेदी राम यादव पिता गजाराम यादव, उम्र 42 वर्ष
दोनों निवासी: ग्राम बरबंदा, थाना विधानसभा रायपुर, जिला रायपुर (छ.ग.)
(मोटरसायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 के क्रमशः चालक एवं स्वामी)
3. रिलायेस इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा: शाखा प्रबंधक, शॉप नंबर 412-413, फोर्थ फ्लोर, रवि भवन जय स्तम्भ चौक, रायपुर, जिला रायपुर (छ.ग.)
(मोटरसायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 का बीमा कम्पनी) ..... अनावेदकगण
------------------------------------------------
आवेदकगण की ओर से श्री अवधेश सिंह Mr. Awadhesh Singh, अधिवक्ता ।
अनावेदक क्रमांक-1 व 2 की ओर से श्री रवि शर्मा Mr. Ravi Sharma, अधिवक्ता ।
अनावेदक क्रमांक-3 की ओर से श्री ललित जोशी Mr. Lalit Joshi, अधिवक्ता Advocate ।
------------------------------------------------
।। अधिनिर्णय Award।।
(आज दिनांक 06 अगस्त, 2019 को घोषित किया गया)
1- आवेदकगण की ओर से यह दावा आवेदन, वाहन दुर्घटना accident में आवेदिका क्रमांक-1 के पति तथा शेष आवेदकगण के पिता किशनलाल यादव की मृत्यु हो जाने के परिणामस्वरूप अनावेदकगण से कुल 82,98,400/-रुपये क्षतिपूर्ति compensation दिलाये जाने हेतु मोटर यान अधिनियम की धारा-166 Section -166 of Motor vehicle act के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया है ।
2- प्रकरण में यह अविवादित undisputed है कि दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 को अनावेदक क्रमांक-2 के स्वामित्व की दुर्घटनाकारित वाहन मोटरसायकल क्रमांक सीजी. 04 - सी.एल. 5347 को अनावेदक क्रमांक-1 चला रहा था तथा उक्त वाहन का बीमा अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी Insurance company के द्वारा किया गया था।
3- आवेदकगण की ओर से प्रस्तुत दावा Claim आवेदन का सार इस प्रकार है कि दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 को किशनलाल यादव (अब मृत) रात्रि लगभग 8.00 बजे अपने बेटे के बच्चों के लिये चाकलेट खरीदकर वापस आ रहे थे, तभी रोड क्रॉस करते समय मेन रोड पर भिलाई-3 Bhilai-3 on Main Road स्थित सेण्ट्रल बैंक एटीएम के सामने मोटर सायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 के चालक द्वारा अपनी वाहन को तेजी एवं लापरवाही पूर्वक Carelessly चलाते हुये किशनलाल यादव को ठोकर मारकर दुर्घटना कारित कर दिया, जिससे उसे तथा बच्चों रिद्धिमा यादव एवं आर्यन यादव को गम्भीर चोटें आयी। उपचार हेतु उन्हें चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने किशन लाल को मृत घोषित pronounced dead कर दिया तथा डॉक्टरों द्वारा वहां रिद्धिमा का उपचार सम्भव नहीं होना बताये जाने पर उसे अपोलो बी.एस.आर.हॉस्पिटल, भिलाई ले जाकर भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान दिनांक 16-03-2017 को रिद्धिमा यादव की मृत्यु हो गई । दुर्घटना की रिपोर्ट accident report पुलिस थाना पुरानी भिलाई Police Station Old Bhilai, जिला दुर्ग में दर्ज करायी गई थी, जहां अनावेदक क्रमांक-1 के विरुद्ध भा.दं.संहिता की धारा-279, 337 एवं 304 (ए) Sections 279, 337 and 304 (A) of the Indian Penal Code के अंतर्गत अपराध क्रमांक-87/2017 पंजीबद्ध Registered किया जाकर विवेचना उपरान्त, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, भिलाई-3 के न्यायालय में अभियोग-पत्र Charge sheet प्रस्तुत किया गया था ।
4- दुर्घटना के समय मृतक किशनलाल साउथ ईस्टर्न रेल्वे से इलेक्ट्रो ड्राईवर के पद से सेवानिवृत्त हुआ था और उसे प्रतिमाह 29,160/-रुपये प्राप्त होता था । स्व.किशनलाल पर पूरे परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी थी । उसके लड़के नरेन्द्र यादव की किडनी खराब हो जाने से वर्ष 2009 से हर माह 8-9 बार डायलिसिस हो रहा है, जिसका खर्च भी मृतक ही उठाते थे । यदि किशनलाल जीवित रहते, तो उपरोक्तानुसार पेंशन की राशि अर्जित करके अपने परिवार का पालन-पोषण Family upbringing करते, जिसकी असामयिक मृत्यु हो जाने से उसके परिवार के सदस्य उचित देखरेख से वंचित हो गये हैं तथा नरेन्द्र यादव का डायलिसिस रूक गया है, जिसके कारण उसके जीवित रहने की सम्भावना क्षीण होती जा रही है, जिसे भविष्य में कभी पूरा नहीं किया जा सकता है । अतः मोटर दुर्घटना में किशनलाल की मृत्यु होने से आवेदिका क्रमांक-1 को पति के स्नेह Husband's affection, साहचर्य सुख Associative pleasure से वंचित होने तथा शेष आवेदकगण को पितृ-स्नेह व संरक्षण Paternal Affection and Protection से वंचित होने, मृतक के अन्तिम संस्कार Funeral, आश्रितता एवं सम्पदा की हानि , मानसिक सन्ताप एवं पीड़ा इत्यादि विभिन्न मदों में कुल 82,98,400/-रुपये क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का निवेदन किया गया है ।
5- अनावेदक क्रमांक-1 तथा 2 की ओर से, दावा आवेदन के तथ्यों से इन्कार करते हुये इस आशय का जवाबदावा rejoinder प्रस्तुत किया गया है कि आवेदकगण के द्वारा क्षतिपूर्ति राशि का आंकलन झूठे एवं असत्य आधारों पर बढा़-चढा़कर किया गया है । मृतक किशनलाल यादव द्वारा लापरवाहीपूर्वक सड़क पार करने के कारण वे दुर्घटनाग्रस्त हुये हैं, जिसमें स्वयं किशनलाल की लापरवाही थी । अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा वाहन का किसी भी प्रकार से लापरवाहीपूर्वक चालन नहीं किया गया है, बल्कि आवेदकगण द्वारा उसके विरुद्ध झूठी रिपोर्ट False report दर्ज करायी गई है, इसके बाद भी यदि अनावेदक क्रमांक-1 व 2 को प्रकरण में आलिप्त होना पाया जाता है, तो अंशदायी उपेक्षा माना जाना उचित होगा । अनावेदक क्रमांक-1 वैध चालन अनुज्ञप्तिधारी चालक है तथा अनावेदक क्रमांक-2 का वाहन बीमा कम्पनी के पास विधिवत् बीमित था, इसलिये क्षतिपूर्ति राशि की अदायगी के लिये अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी की जवाबदारी है, अतः इनके विरुद्ध दावा निरस्त किया जावे।
6- अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी की ओर से दावा आवेदन के समस्त तथ्यों से इन्कार करते हुये अपने जवाबदावा में आवेदन-पत्र के अभिवचनों को जानकारी के अभाव में अस्वीकार किया गया है तथा यह अभिवचन है कि दुर्घटना, अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा उपेक्षापूर्ण वाहन चालन के कारण नहीं हुई है, बल्कि मृतक किशनलाल द्वारा बिना दांये-बांये देखे, लापरवाहीपूर्वक हाईवे रोड पार करने के कारण घटित हुई है, जिसके लिये मृतक स्वये जिम्मेदार है । किसी व्यक्ति के विरुद्ध दाण्डिक कार्यवाही Criminal proceedings किये जाने मात्र से ही दुर्घटना के लिये उसे पूर्ण रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है । आवेदकगण द्वारा असत्य एवं कपोल-कल्पित आधारों पर क्षतिपूर्ति राशि की मांग की गई है । बीमा पॉलिसी की शर्तों के अनुसार दुर्घटना दिनांक को बीमाधारी वाहन का पंजीकृत स्वामी हो, वाहन का उपयोग पॉलिसी में उल्लेखित उपयोगिता के लिये ही किया जाना चाहिये । वाहन चालक का ड्राईविंग लाईसेंस, परमिट एवं फिटनैस बनावटी, फर्जी अथवा अनुपयुक्त पाये जाने की दशा में बीमा पॉलिसी की शर्तो का स्पष्ट उल्लंघन होने से अनावेदक क्रमांक-3 प्रतिकर राशि Compensation amount की अदायगी हेतु जिम्मेदार नहीं होगा । यदि न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि दुर्घटना में मोटरसायकल चालक की भी लापरवाही थी, तो उक्त दुर्घटना के लिये योगदायी-उपेक्षा Contributory neglect के सिद्धान्त के आधार पर समान रूप से जिम्मेदार एवं उत्तरदायी मानते हुये क्षतिपूर्ति अदायगी का निर्धारण किया जावे। मोटर यान अधिनियम की धारा-147 एवं 149 का उल्लंघन होने की दशा में क्षतिपूर्ति अदायगी हेतु बीमा कम्पनी का कोई दायित्व नहीं है, अतः आवेदकगण का दावा आवेदन निरस्त किया जावे ।
7- उभय-पक्षकारों के अभिवचनों pleadings एवं प्रकरण में संलग्न दस्तावेजों के आधार पर निम्नलिखित वाद-प्रश्न issues विरचित किये गये हैं, जिन पर साक्ष्य-विवेचना के आधार पर निष्कर्ष दिया जा रहा है:-
वाद-प्रश्न निष्कर्ष
1. क्या घटना दिनांक 13-03-2017 को सेण्ट्रल बैंक एटीएम, भिलाई-3, मेन रोड के सामने मोटरसायकल क्रमांक सी.जी. 04- सी.एल. 5347 के चालक द्वारा वाहन को तेजी एवं लापरवाहीपूर्वक चलाकर मृतिका रिधिमा को ठोकर मारकर दुर्घटना कारित की गई, जिससे उसे गम्भीर चोटें आयी, जिससे उसकी मृत्यु हो गई ?
’’प्रमाणित’’
2. क्या उक्त दुर्घटना, मृतिका रिधिमा की लापरवाही के कारण घटित हुई थी ?
’’प्रमाणित नहीं’’
3. क्या अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा प्रश्नगत् वाहन का चालन बीमा कम्पनी की शर्तो के उल्लंघन मे किया जा रहा था ?
’’प्रमाणित नहीं’’
4. क्या आवेदकगण, अनावेदकगण से संयुक्त या पृथक्तः क्षतिपूर्ति राशि पाने के अधिकारी हैं ?
’आवेदकगण, अनावेदक क्रमांक-1 से 3 से संयुक्त एवं पृथक्-पृथक् रूप से 8,97,640/- रुपये क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने के अधिकारी हैं’’
5. सहायता एवं वाद व्यय ? ’’अधिनिर्णय की अन्तिम कंडिका के अनुसार’’
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-1 व 2 पर सकारण निष्कर्ष ।।
8- आवेदकगण की ओर से अपने पक्ष-समर्थन में राजकुमार यादव (आसा-1) तथा प्रवीण सिरिया का कथन कराया जाकर प्रदर्श पी-1 से प्रदर्श पी-30 तक के दस्तावेजों को प्रमाणित करते हुये प्रदर्श अंकित कराया गया है, जबकि अनावेदकगण की ओर से किसी भी साक्षी का कथन नहीं कराया गया है ।
9- आवेदक राजकुमार यादव (आ.सा-1), जो मृतिका रिधिमा यादव का पिता है, ने अपने साक्ष्य में कथन किया है कि स्वर्गीय रिधिमा यादव इनकी बेटी थी । घटना दिनांक 13-03-2017 की रात्रि लगभग 8.00 बजे की है, इनके पिताजी इसके भतीजे आर्यन और इसकी बेटी रिद्धिमा को लेकर चाकलेट खिलाने के लिये जी.ई.रोड के उस पर गये हुये थे। चाकलेट खिलाकर वापस आ रहे थे और जैसे ही सर्विस रोड पार करके जी.ई.रोड के किनारे खड़े थे, तभी दुर्ग की ओर से आ रही मोटर सायकल क्रमांक सी.जी. 04- सी.एल. 5347 के चालक द्वारा तेजी एवं लापरवाही पूर्वक चलाकर इनके पिताजी तथा दोनों बच्चों को काफी गम्भीर चोटें पहुंचायी, जिन्हें उपचार हेतु चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल ले जाया गया, जहां इनके पिता किशनलाल यादव को ईलाज के पश्चात् मृत घोषित कर दिया गया एवं डॉक्टरों द्वारा रिद्धिमा का ईलाज सम्भव नहीं होना बताये जाने से उसे अपोलो अस्पताल, नेहरू नगर भिलाई लेजाकर भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान दिनांक 16-03-2017 को रिद्धिमा यादव की भी मृत्यु हो गई । दुर्घटना की रिपोर्ट इसके भाई सुरेन्द्र यादव द्वारा भिलाई-3 थाने में दर्ज करायी गई थी ।
10- आवेदक ने दुर्घटना से सम्बंधित दाण्डिक प्रकरण से सम्बंधित दस्तावेज अन्तिम प्रतिवेदन प्रदर्श पी-1, प्रथम सूचना प्रतिवेदन प्रदर्श पी-2, मर्ग इंटीमेशन प्रदर्श पी-3, पुलिस इन्फार्मेंशन प्रदर्श पी-4, पुलिस विभाग द्वारा दी गई सूचना प्रदर्श पी-5, नक्शा पंचायतनामा प्रदर्श पी-6, शव परीक्षण आवेदन एवं रिपोर्ट प्रदर्श पी-7 व प्रदर्श
पी-8, अपराध विवरण फार्म प्रदर्श पी-9, सम्पत्ति जप्ती पत्रक प्रदर्श पी-10, गिरफ्तारी पत्रक प्रदर्श पी-11, वाहन स्वामी का प्रमाण-पत्र प्रदर्श पी-12, वाहन मुलाहिजा रिपोर्ट प्रदर्श पी-13 एवं सुपुर्दनामा आदेश प्रदर्श पी-14 प्रस्तुत किया है ।
प्रतिपरीक्षण में साक्षी ने अस्वीकार किया है कि यह घटनास्थल पर नहीं था और घटना देखने का झूठा कथन कर रहा है । इसने कथन किया है कि घटना दिनांक को यह घटनास्थल से 100 फीट की दूरी पर स्थित तिवारी पान की दुकान में बैठा था, उस समय इसके साथ इसके दोस्त प्रवीण सिरिया एवं धनराज भी बैठे हुये थे। यह
अस्वीकार किया है कि घटना के समय घटनास्थल पर अंधेरा था, स्वतः कहा कि वहां लाईट थी । यह स्वीकार किया है कि घटनास्थल पर रोड पार करने के लिये जेब्रा क्रॉसिंग नहीं है । साक्षी ने इस तथ्य से इन्कार किया है कि इनके पिताजी की लापरवाही के कारण दुर्घटना हुई थी ।
11- दुर्घटना के बिंदु पर साक्षी प्रवीण सिरिया (आ.सा-2), जो कि घटना का प्रत्यक्षदर्शी साक्षी Eye witness है, ने भी घटना का समर्थन करते हुये इस आशय का कथन किया है कि घटना दिनांक 13-03-2017 कों रात्रि लगभग 8.00 बजे की है, स्व. किशनलाल यादव दो बच्चों के साथ जी.ई.रोड के किनारे सर्विस रोड पर खड़े थे, एक बच्चा उनके गोद में था और दूसरू बच्चे के हाथ को पकड़कर खड़े थे, जहां से 50 कदम की दूरी पर यह साक्षी खड़ा था । दुर्ग की तरफ से एक मोटर सायकल क्रमांक सी.जी. 04- सी.एल. 5347 के चालक ने तेजी एवं लापरवाही पूर्वक चलाकर ठोकर मार दिया, जिससे किशनलाल यादव तथा दोनों बच्चों को चोटें आयी थी । इसने चोट लगे व्यक्तियों को चंदूलाल चंद्राकर अस्पताल में भर्ती करवाया था, जहां किशनलाल यादव की मृत्यु हो गई तथा रिद्धिमा यादव को उक्त अस्पताल से अपोलो बी.एस.आर.अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां ईलाज के दौरान रिद्धिमा यादव की भी मृत्यु हो गई ।
12- साक्षी ने प्रतिपरीक्षण में अस्वीकार किया है कि घटनास्थल रोड पर डिवाईडर बना हुआ है, किन्तु इस तथ्य कों स्वीकार किया है कि घटनास्थल से पैदल चलकर रोड पार करने के लिये कोई जेब्रा क्रॉसिंग नहीं बना है । इस बात की जानकारी नहीं है कि पुलिस ने घटनास्थल को जी.ई. रोड में होना दर्शाया है, साक्षी स्वतः कहता है कि घटना जी.ई.रोड के किनारे घटी थी । यह कहना गलत है कि मोटर सायकल का चालक घटना के समय धीमी एवं सावधानी पूर्वक वाहन चला रहा था । इस साक्षी ने भी इस तथ्य को अस्वीकार किया है कि मृतक द्वारा बिना आगे- पीछे देखे, दौड़कर रोड पार करने के कारण घटना घटित हुई थी तथा घटनास्थल पर यह मौजूद नहीं था । यह अस्वीकार किया है कि सुरेन्द्र यादव के कहे अनुसार बयान दे रहा है ।
13- अनावेदक-पक्ष की ओर से आवेदक साक्षीगण के साक्ष्य से प्रकट होने वाली स्थितियों का उल्लेख करते हुये यह तर्क किया गया है कि मामले में अनावेदक वाहन चालक की उपेक्षा प्रमाणित नहीं होती है, बल्कि मृतक की ही उपक्षा प्रकट होती है । यह तर्क किया गया है कि घटना के समय मृतक सड़क पार कर रहा था एवं घटनास्थल पर कोई भी जेब्रा क्रॉसिंग नहीं था, साथ ही घटनास्थल पर स्ट्रीट लाईट होने का साक्ष्य नहीं है, अर्थात् अंधेरे में सड़क पार करने का कृत्य, स्वयं में मृतक की उपेक्षा को दर्शित करता है, ऐसी स्थिति में अनावेदक की उपेक्षा प्रमाणित नहीं होती है तथा तर्क के दौरान न्याय दृष्टान्त ओरिएण्टल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड विरुद्ध प्रेमलता शुक्ला Oriental Insurance Company Limited Vs Premlata Shukla, 2007(भाग-3) दु.मु.प्र. 154 सुप्रीम कोर्ट पर निर्भरता व्यक्त किया गया है, जिसमें यह ठहराया गया है कि मोटर यान अधिनियम की धारा 166 के तहत् चालक के पक्ष में उपेक्षा को प्रमाणित किया जाना अनिवार्य है, जिसके अभाव में दावा पोषणीय नहीं होगा । इसके अतिरिक्त, दुर्घटना में मृतक की ही योगदायी-उपेक्षा होने के सन्दर्भ में न्याय दृष्टान्त मंगल प्रसाद विरुद्ध शेरा खान एवं अन्य Mangal Prasad vs Shera Khan and others, 2017(भाग-2) ए.सी.सी.डी. 795 म.प्र.उच्च न्यायालय का अवलम्ब लिया गया है।
14- उपरोक्त तर्कों के परिप्रेक्ष्य में विचार किया जाये, तो मामले में अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक द्वारा इस बिंदु पर स्वयं का परीक्षण नहीं कराया गया है कि उसके द्वारा कोई उपेक्षा नहीं बरती गई थी और वाहन को सावधानीपूर्वक चलाया जा रहा था । मामले में यह अविवादित तथ्य है कि उपरोक्त दुर्घटना के सन्दर्भ में अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक के विरुद्ध धारा-279, 337 एवं 304 (ए) भा.दं.संहिता के तहत् अभियोग-पत्र प्रस्तुत किया गया है एवं दाण्डिक प्रकरण लम्बित है, ऐसी स्थिति में अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से साक्ष्य के अभाव में यह प्रमाणित नहीं होता है कि उसके द्वारा उतावलेपन या उपेक्षा से वाहन नहीं चलाया गया था, बल्कि आवेदक की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजी एवं मौखिक साक्ष्य से अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक की उपेक्षा प्रमाणित होती है, ऐसी स्थिति में अनावेदक क्रमांक-1 के उतावलेपन से वाहन चलाकर दुर्घटना कारित करने से मृतक किशनलाल यादव की मृत्यु कारित होना प्रमाणित होता है । तद्नुसार वाद-प्रश्न क्रमांक-1 का निष्कर्ष ’’प्रमाणित’’ में दिया जाता है । चूकि उपरोक्त विवेचना अनुसार मृतक की स्वये की उपेक्षा के सम्बंध में साक्ष्य नहीं है, अतः ’’योगदायी-उपेक्षा’’ भी प्रमाणित नहीं होती है, अतः वाद-प्रश्न क्रमांक-2 का निष्कर्ष भी ’’प्रमाणित नहीं’’ में दिया जाता है ।
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-3 पर सकारण निष्कर्ष ।।
15- अनावेदक-पक्ष की ओर से अपने जवाबदावा में किये गये अभिवचन के आधार पर इस वाद-प्रश्न की विरचना की गई है । अनावेदकगण की ओर से उक्त बिंदु पर किसी साक्षी का परीक्षण नहीं कराया गया है । प्रदर्श पी-10 के जप्ती पत्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि मोटरसायकल क्रमांक सी.जी.04-सी.एल./5347 तथा अनावेदक क्रमांक-1 वाहन चालक विक्रम सिंह के ड्राईविंग लाईसेंस की जप्ती की गई है, जिसकी म्याद अवधि दिनांक 06-10-2035 तक है । इसी प्रकार वाहन के इंश्योरेन्स के दस्तावेज की भी जप्ती की गई है, जिसकी म्याद अवधि दिनांक 16-09-2016 से 15-09-2017 तक है और दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 की है, अर्थात् दुर्घटना दिनांक को वाहन की बीमा पॉलिसी वैध थी । वैसे भी बीमा कम्पनी की ओर से इस तथ्य से भी स्पष्ट इन्कार नहीं किया गया है कि दुर्घटना दिनांक को दुर्घटना कारित मोटर सायकल उनके पास बीमित नहीं थी, ऐसी स्थिति में दस्तावेजों के अभाव में यह स्थापित नहीं होता है कि दुर्घटना दिनांक को अनावेदक क्रमांक-1 द्वारा मोटर सायकल को बीमा शर्तो के उल्लंघन में चलाया जा रहा था, अतः तद्नुसार वाद-प्रश्न क्रमांक-3 का निष्कर्ष ’’प्रमाणित नहीं’’ में दिया जाता है।
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-4 पर सकारण निष्कर्ष ।।
16- आवेदक सुरेन्द्र यादव (आ.सा-1) ने कथन किया है कि दुर्घटना के समय उनके पिता की आयु 70 वर्ष थी, वे साउथ ईस्टर्न रेल्वे में इलेक्ट्रो ड्राईवर के पद से सेवानिवृत्त हुये थे और उन्हे प्रतिमाह 29,160/-रुपये पेंशन प्राप्त होता था । पिताजी की मृत्योपरान्त इसकी मॉं के खाते में 20,500/-रुपये पेंशन आता है । आवेदक ने उक्त तथ्यों के समर्थन में मृत्यु प्रमाण-पत्र प्रदर्श पी-20 प्रस्तुत किया है, जिसके अनुसार किशनलाल यादव की मृत्यु दिनांक 13-03-2017 को होना उल्लेखित किया गया है । प्रकरण में संलग्न मर्ग इंटीमेशन, नक्शा पंचायतनामा प्रदर्श पी-6, शव-परीक्षण रिपोर्ट प्रदर्श पी-7 एवं अपराध विवरण प्रदर्श पी-9 में भी मृतक की आयु 70 वर्ष होने का स्पष्ट उल्लेख दर्शित होता है ।
17- आवेदकगण की ओर से मृतक की आय के सन्दर्भ में अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है कि मृतक सेवानिवृत्ति के उपरान्त किसी प्रकार के आय अर्जित करने वाली व्यवसाय में संलग्न रहकर आय अर्जित करता था, अपितु मृतक कों प्राप्त होने वाली पेंशन को ही आय होना व्यक्त किया गया है एवं मृतक की मृत्यु से उसके परिवार कों पेंशन की राशि में से होने वाली क्षति कों आश्रितता की क्षति बताया गया है एवं तद्नुसार आश्रितता की हानि के मद में क्षतिपूर्ति दिलाये जाने का निवेदन किया गया है । अनावेदक क्रमांक-3 बीमा कम्पनी की ओर से तर्क किया गया है कि पेंशन की राशि कों आय की श्रेणी में नही रखा जा सकता है, अतः आवेदकगण की आय शून्य मानी जायेगी तथा किसी भी प्रकार की आश्रितता की क्षति, मामले में प्रमाणित नहीं होती है, अतः आवेदकगण, आश्रितता के मद में क्षतिपूर्ति पाने के अधिकारी नहीं हैं ।
18- तत्सम्बंध में विचार किया गया । यह स्पष्ट है कि मृतक वर्ष 2002 में साउथ ईस्टर्न रेल्वे से सेवानिवृत्त हुये थे और पेंशन प्राप्त करते थे । आवेदक साक्षी क्रमांक-3 प्रबोध बंसोड़ के साक्ष्य के अनुसार मृतक का पेंशन खाता सम्बंधी एकाउण्ट स्टेटमेंट दिनांक 01-01-2017 से 01-03-2017 प्रदर्श पी-23 के अनुसार मृतक को 27,587/-रुपये दिनांक 30-01-2017 को एवं 27,588/-रुपये फरवरी, 2017 का पेंशन दिया गया है । उनकी मृत्यु के पश्चात् उनकी पत्नी श्रीमती शांतिदेवी यादव को रेल्वे से पेंशन प्राप्त हो रही है, तत्सम्बंध में प्रदर्श पी-24 का दस्तावेज पेश किया गया है, जिसके अनुसार मृतक की पत्नी श्रीमती शांति देवी यादव को 20,906/- रुपये पेंशन प्राप्त हो रहा है ।
19- आवेदक-पक्ष की ओर से यह तर्क किया गया है कि दुर्घटना में मृतक की मृत्यु होने के कारण उसके परिवार कों प्राप्त होने वाली पेंशन की राशि 27,588/ रुपये में से कम होकर 20,906/-रुपये हो गया है, जिससे परिवार को लगभग 14,224/-रुपये की क्षति हुई है, अतः उक्त क्षति के आधार पर गुणक लगाकर क्षतिपूर्ति राशि निर्धारित की जावे ।
20- उक्त तर्क पर विचार किया गया । इस बिंदु पर आवेदकगण की ओर से न्याय दृष्टान्त तमिलनाडु राज्य परिवहन निगम लिमिटेड विरुद्ध बी.वेंकटराघवन एवं अन्य Tamil Nadu State Transport Corporation Limited vs. B. Venkataraghavan and others, 2018 (भाग-1) ए.सी.सी.डी. 33 (मद्रास) तथा बीणापाणि घोष एवं अन्य विरुद्ध न्यू इण्डिया इंश्योरेंन्स कम्पनी लिमिटेड एवं अन्य New India Insurance Company Limited and others against Binapani Ghosh and others, 2014 (भाग-1) ए.सी.सी.डी. 322 (कलकत्ता) का अवलम्ब लिया गया है, जिसमें मृतक को प्राप्त होने वाली पेंशन की राशि कों उसकी आय होना मान्य किया गया है । उपरोक्त अभिमत के प्रतिकूल बीमा कम्पनी की ओर से कोई न्याय दृष्टान्त पेश नहीं किया गया है, अतः वर्तमान मामले में भी मृतक की पेंशन राशि को आश्रितता की हानि की गणना हेतु आय के रूप में स्वीकार किया जाना उपयुक्त पाया जाता है ।
21- आवेदक साक्ष्य के अनुसार मृतक की माह फरवरी, 2017 की पेंशन 27,588/-रुपये थी, जिसे उसकी आय के रूप में स्वीकार किया जाता है तथा चूंकि वर्तमान मामले में आवेदक क्रमांक-2 से 5 वयस्क हैं एवं उन्हें मृतक पर आश्रित नहीं माना जा सकता, अतः मात्र आवेदिका क्रमांक-1 को मृतक पर आश्रित होना पाते हुये मृतक की आय में से स्वयं के व्यय के लिये 1/2 भाग की कटौती किये जाने पर परिवार को प्रदान की जाने वाली राशि 13,794/-रुपये निर्धारित की जाती है । अतः मृतक की वार्षिक आश्रितता की राशि 1,65,528/-रुपये निर्धारित की जाती है ।
चूंकि मृतक की आयु 70 वर्ष थी एवं न्याय दृष्टान्त नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी विरुद्ध प्रणय शेट्टी National Insurance Company Vs Prannoy Shetty, जे.टी. 2017(भाग-10) सुप्रीम कोर्ट-450 में ठहराये गये विधि सिद्धान्त के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के सम्बंध में किसी प्रकार के भविष्य की आय में वृद्धि हेतु कोई व्यवस्था नहीं दी गई है, अतः वर्तमान मामले में भविष्यवर्ती आय में वृद्धि लागू किये जाने का कोई आधार नहीं है ।
22- न्याय दृष्टान्त श्रीमती सरला वर्मा विरुद्ध दिल्ली ट्रांसपोर्ट निगम Smt Sarla Verma Vs Delhi Transport Corporation, ए.आईआर. 2009 (सु.को.) 3104 के परिप्रेक्ष्य में गुणक के निर्धारण के लिये मृतक की आयु
महत्वपूर्ण कारक है । अनावेदक बीमा कम्पनी की ओर से यह तर्क किया गया है कि आवेदक साक्षी के अनुसार मृतक वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुआ था तथा दुर्घटना दिनांक 13-03-2017 की है, अर्थात् मृतक लगभग 15 वर्ष से सेवानिवृत्त था तथा मृतक की सेवानिवृत्ति आयु यदि 58 वर्ष भी मानी जाये, तो दुर्घटना दिनांक को मृतक की वर्तमान आयु 72 वर्ष होती है एवं श्रीमती सरला वर्मा के प्रकरण में 72 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिये कोई गुणांक निर्धारित नहीं किया गया है । तत्सम्बंध में विचार किया गया । आवेदकगण द्वारा मृतक की आयु 70 वर्ष बतायी गई है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृतक की आयु 70 वर्ष बतायी गई है तथा मृतक की जन्मतिथि के सम्बंध में कोई साक्ष्य नहीं है एवं यह अनावेदक-पक्ष पर प्रमाण-भार था कि वह, यह स्थापित करे कि मृतक की आयु 70 वर्ष से अधिक थी । अनावेदक की ओर से मात्र सेवानिवृत्ति तिथि से मृत्यु की तिथि की अवधि के आधार पर मृतक की आयु 70 वर्ष से अधिक माने जाने का तर्क किया गया है, किन्तु उक्त तर्क, साक्ष्य के अभाव में स्वीकार योग्य नहीं हो सकती है, क्योंकि सेवानिवृत्ति सम्पूर्ण सेवाकाल की अवधि के उपरान्त भी दिया जा सकता है, अथवा सम्पूर्ण सेवा अवधि पूर्ण होने से पहले भी कर्मचारी को सेवानिवृत्त किया जा सकता है । अतः मामले में, अनावेदक- पक्ष का तर्क, मृतक की आयु के निर्धारण के लिये स्वीकार योग्य नहीं है । तद्नुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दुर्घटना दिनांक कों मृतक की आयु 70 वर्ष होना निर्धारित किया जाता है एवं मृतक की आयु के आधार पर वर्तमान मामले में 05 का गुणांक लागू किये जाने योग्य है ।
23- अतः आवेदकगण की आश्रितता की राशि 1,65,528/-रुपये वार्षिक लिये जाने पर 05 का गुणक लागू किये जाने पर आश्रितता की कुल राशि 8,27,640/- रुपये निर्धारित की जाती है । इसके अतिरिक्त न्याय दृष्टान्त नेशनल
इंश्योरेन्स कम्पनी विरुद्ध प्रणय शेट्टी, जे.टी. 2017(भाग-10) सुप्रीम कोर्ट-450 में प्रतिपादित विधिक सिद्धान्तों के अनुसार आवेदकगण को सम्पदा की हानि के मद में 15,000/-रुपये, प्रेम एवं स्नेह की हानि के मद में 40,000/-रुपये तथा अंत्येष्टि व्यय के मद में 15,000/-रुपये दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है । इस प्रकार आवेदकगण कुल 8,97,640/- रुपये बतौर क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने के अधिकारी होना पाया जाता है ।
24- जहां तक क्षतिपूर्ति की अदायगी के उत्तरदायित्व का सम्बंध है, अनावेदक क्रमांक-3 यह प्रमाणित करने में विफल रहा है कि अनावेदक क्रमांक-1 व 2 के द्वारा दुर्घटना दिनांक कों दुर्घटनाकारित वाहन को बीमा की शर्तां के उल्लंघन में चलाया जा रहा था । चूंकि अनावेदक क्रमांक-1 व 2 दुर्घटनाकारित वाहन के क्रमशः चालक व पंजीकृत स्वामी हैं तथा वाहन अनावेदक क्रमांक-3 के पास बीमित थी, अतः ’’आवेदकगण, अनावेदक क्रमांक-1 से 3 से संयुक्त एवं पृथक्-पृथक् रूप से 8,97,640/-रुपये क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकारी हैं’’, के रूप में इस वाद-प्रश्न कों निराकृत किया जाता है ।
25- चूंकि आवेदक क्रमाक-1 मृतक की पत्नी है तथा आवेदक क्रमांक-2 से 5 मृतक के वयस्क पुत्र हैं तथा मृतक पर आश्रित नहीं थे, अतः आवेदक क्रमांक-2 से 5 कों क्षतिपूर्ति प्राप्त किये जाने के अधिकारी नहीं पाये जाते हैं । तद्नुसार मामले की परिस्थितियों पर विचार करते हुये मृतक की पत्नी आवेदिका क्रमांक-1 श्रीमती शांति देवी कों ही 8,97,640/-रुपये क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने की अधिकारी होना ठहराया जाता है ।
।। वाद-प्रश्न क्रमांक-5: सहायता एवं व्यय ।।
26- उपरोक्त साक्ष्य-विवेचना के आधार पर आवेदकगण अपना दावा आंशिक रूप से प्रमाणित करने में सफल रहे हैं, अतः आवेदकगण की ओर से प्रस्तुत दावा आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आशय का अधिनिर्णय पारित किया जाता है:-
1. अनावेदक क्रमांक-1 से 3 संयुक्त एवं पृथक्-पृथक् रूप से आवेदकगण को 8,97,640/-(आठ लाख सन्तानबे हजार छः सौ चालीस) रुपये अधिनिर्णय दिनांक से एक माह के भीतर अधिकरण के माध्यम से प्रदान करेंगे ।
2. अनावेदकगण, आवेदकगण को उपरोक्त राशि पर आवेदन प्रस्तुति दिनांक 18-05-2017 से सम्पूर्ण रकम की अदायगी दिनांक तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज भी अदा करेंगे ।
3. आवेदिका क्रमांक-1 ने यदि अंतरिम क्षतिपूर्ति प्राप्त किया हो, तो उक्त राशि अवार्ड की मूल राशि में समायोजित किया जावे।
4. आवेदिका क्रमांक-1 श्रीमती शांति देवी को प्राप्त होने वाली राशि में से उसे 1,00,000/-रुपये नगद प्रदान किया जाकर शेष राशि को उसके नाम से तीन वर्ष की अवधि के लिये किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में सावधि जमा योजना के तहत् जमा किया जावेगा, जिस पर वह किसी भी प्रकार की अग्रिम अथवा लोन की सुविधा प्राप्त नहीं कर सकेगी तथा परिपक्वता अवधि पूर्ण होने पर सम्पूर्ण राशि वे स्वयं प्राप्त कर सकेंगी।
5. अधिवक्ता-शुल्क प्रमाणित होने पर 1,000/-(एक हजार) रुपये
निर्धारित किया जाता है ।
........... तद्नुसार व्यय-तालिका बनाई जावे ।
सही/-
दिनांक: 06 अगस्त, 2019
(अजीत कुमार राजभानू)
प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण
दुर्ग (छ.ग.)
Ajeet Kumar Rajbhanu,
Awdhesh Singh,
Lalit Joshi,
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अजीत कुमार राजभानू
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Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
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