Tuesday 1 November 2016
छत्तीसगढ़ पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना- 2011
’’पीड़ित का आशय’’ ऐसे व्यक्ति से है जिसे किसी अपराध के कारण नुकसान या क्षति हुई हो तथा इसके अंतर्गत उसके आश्रित परिवारजन भी शामिल है।
स्वयं कोई नुकसान या क्षति सहा हो अथवा किसी अपराध के फलस्वरूप जिसे चोट आई हो एवं जिसे पुनर्वास की आवश्यकता हो, इसके अंतर्गत पीड़ित के आश्रित परिवारजन भी शामिल है।
क्षतिपूर्ति के लिए अर्हताएं:- निम्नलिखित अर्हताएं पूर्ण करने वाला पीड़ित व्यक्ति या उसका आश्रित इस योजना के अंतर्गत क्षतिपूर्ति के पात्र होंगे।
पीड़ित को चोट अथवा क्षति के कारण उसके परिवार की आय में पर्याप्त कमी हो गयी हो, जिसके कारण आर्थिक सहायता के बिना परिवार का जीवन यापन कठिन हो गया हो अथवा मानसिक/शारीरिक चोट के उपचार में उसे उसके सामर्थ्य से ज्यादा व्यय करना पड़ता हो।
पीड़ित अथवा उसके परिजन द्वारा अपराध की रिपोर्ट संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी/कार्यपालिक दण्डाधिकारी/न्यायिक दण्डाधिकारी को बिना अनुचित विलम्ब के किया गया हो।
पीड़ित/आश्रित व्यक्ति अपराध की विवेचना एवं अभियोजन कार्यवाही में क्रमशः पुलिस एवं अभियोजन पक्ष का सहयोग करता हो।
क्षतिपूर्ति की स्वीकृति की प्रक्रिया:- अधिनियम की धारा 357 के अंतर्गत जब किसी सक्षम न्यायालय के द्वारा क्षतिपूर्ति की अनुशंसा की जाती है अथवा धारा 357 ए की उपधारा 4 के अंतर्गत किसी पीड़ित व्यक्ति अथवा उसके आश्रित के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आवेदन पत्र प्रस्तुत किया जाता है तब उक्त प्राधिकरण संबंधित पुलिस अधीक्षक से परामर्श तथा समुचित जांच पश्चात तथ्य एवं दावे की पुष्टि करेगा तथा 02 माह के अंदर जांच पूर्ण कर योजना के प्रावधानों के अनुरूप पर्याप्त क्षतिपूर्ति की घोषणा करेगा।
इस योजना के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का भुगतान इस शर्त पर किया जायेगा कि यदि बाद में निर्णय पारित करते हुए विचारण न्यायालय आरोपित व्यक्तियों द्वारा अधिनियम की धारा 357 के उप नियम 3 के अंतर्गत क्षतिपूर्ति दिये जाने हेतु आदेशित करता है तो जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पूर्व में घोषित क्षतिपूर्ति को उसमें समायोजित किया जावेगा। इस आशय का एक वचन पत्र पीड़ित/दावेदार द्वारा क्षतिपूर्ति के भुगतान के पूर्व दिया जायेगा।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा पीड़ित या उसके आश्रित के लिए क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित करने में पीड़ित को हुए नुकसान, उपचार खर्च, पुनर्वास हेतु आवश्यक न्यूनतम निर्वाह राशि तत्समय लागू न्यूनतम मजदूरी एवं अन्य प्रासंगिक व्यय जैसे अंत्येष्ठि व्यय इत्यादि को ध्यान में रखा जायेगा। तथ्यों के आधार पर क्षतिपूर्ति की राशि में प्रकरण दर प्रकरण भिन्नता हो सकती है।
पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्रश्नाधीन अपराध के संबंध में किसी अन्य स्त्रोत जैसे बीमा राशि, अनुग्रह राशि अथवा केन्द्र/राज्य सरकार के किसी अधिनियम/योजनान्तर्गत भुगतान से प्राप्त क्षतिपूर्ति को इस योजना अंतर्गत क्षतिपूर्ति के अंश के रूप में माना जायेगा तथा इस योजनान्तर्गत घोषित क्षतिपूर्ति के विरूद्ध समायोजित किया जायेगा।
पीड़ित अथवा उसके आश्रितों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की अधिकतम सीमा अनुसूची में दी गयी राशि से अधिक नहीं होगी।
मोटर यान अधिनियम 1988 (1988 का अधिनियम क्रमांक 59) के अंतर्गत शामिल प्रकरणों को जिनमें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा क्षतिपूर्ति का आदेश दिया जाना है, इस योजना में शामिल नहीं किया जायेगा।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, पीड़ित व्यक्ति के कष्ट को कम करने के लिए, संबंधित थाना प्रभारी अथवा क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट के प्रमाण पत्र के आधार पर पीड़ित व्यक्ति को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा सुविधा अथवा निःशुल्क चिकित्सा लाभ अथवा अन्य अंतरिम सहायता जैसा भी उचित हो, उपलब्ध कराने हेतु आदेशित कर सकता है।
परिसीमन:- अधिनियम की धारा 357 ए की उपधारा 4 के अंतर्गत पीड़ित अथवा उसके आश्रितों के द्वारा प्रस्तुत कोई आवेदन चोट/क्षति कारित किये जाने की एक एक वर्ष की समयावधि के पश्चात ग्राह्य नहीं होगा।
अपील:- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा किसी पीड़ित अथवा उसके परिवारजन को क्षतिपूर्ति देने से इंकार करने की दशा में वह व्यक्ति 90 दिनों के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में अपील प्रस्तुत कर सकता है।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को यदि संतुष्टि हो तो तत्संबंधी कारणों का उल्लेख करते हुए अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब की अवधि को माफ कर सकता है।
अनुसूची-
क्षतिपूर्ति की अधिकतम सीमा
1.जीवन की क्षति - रूपये 1,00,000/-
2.एसीड अटैक के कारण शरीर के अंग या भाग के 80 प्रतिशत या इससे अधिक विकलांगता या गंभीर क्षति - रूपये 50,000/-
3.शरीर के अंग या भाग की क्षति परिणामस्वरूप 40 प्रतिशत से अधिक एवं 80 प्रतिशत से कम विकलांगता - रूपये 25,000/- 4.अवयस्क का बलात्कार - रूपये 50,000/-
5.बलात्कार - रूपये 25,000/- 6.पुनर्वास - रूपये 20,000/-
7.शरीर के अंग या भाग की क्षति परिणामस्वरूप 40 प्रतिशत से कम विकलांगता- रू.10,000/-
8. महिलाओं एवं बच्चों के मानव तस्करी जैसे मामलों में गंभीर मानसिक पीड़ा के कारण क्षति - रूपये 20,000/-
9 साधारण क्षति या चोट से पीड़ित बच्चे - रूपये 10,000/-
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Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
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