महादेव महार हत्याकांड दुर्ग-भिलाई में चल रहे गैंगवार की एक परिणति थी। घटना के ट्विनसिटी में कई दिनों तक सनसनी फैली रही। वहीं महीनों तक इस घटना की चर्चा यहां होती रही। प्रकरण में आरोपी बनाए गए अनिल शुक्ला उसी दिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया था। वहीं अन्य आरोपी एक के बाद एक गिरफ्तार होते रहे और जमानत पर रिहा भी होते रहे। लेकिन कई आरोपी ऐसे भी है जो गिरफ्तार होने के बाद बाहरी दुनिया की तस्वीर तक नहीं देख पाए। वारदात के बाद कई आरोपी महीनों तक फरार रहे। इनमें कुछबिलासपुर, कोरबा व जबलपुर में पनाह लिए हुए थे।कुछ गोवा व केरल तक भी घूम आये। यह मामला पुलिस के लिए भी एक बड़ी चुनौती थी और इसे सुलझाने पुलिस ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।
महादेव हत्याकांड में पुलिस ने कुल 37 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें 18 पर हत्या का आरोप था।इन आरोपियों में एक की मौत हो चुकी है।तीन फरार है।13 को आज सजा हुई है। शेषदोषमुक्त करार दिए गए है।प्रकरण में अभियोजन ने कुल 82 साक्षियों की सूची न्यायालय में पेश किया था।इनमें 77 गवाहों के बयान 400 पृष्ठ में दर्ज किए गए।पुलिस ने प्रकरण के संबंध में 256 दस्तावेजी साक्ष्य जुटाएं थे।विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से आरोपियों से कुल 747 प्रश्न पुछे गए।जिस पर बचाव पक्ष की ओर से 144 तर्क प्रस्तुत किए गए। प्रकरण में अभियोजन साक्षी तारकेश्वर व चंदन साव ने मुख्य परीक्षण में अभियोजन का सर्मथन किया था। लेकिन प्रतिपरीक्षण में दोनों पक्ष द्रोही हो गए थे। पुलिस द्वारा प्रस्तुत बेलेस्टिक रिपोर्ट में मृतक के शरीर में लगी गोली व आरोपियों से बरामद पिस्तोल के बारूद में समानता होने की पुष्टि हुई। यही प्रकरण में सजा का आधार भी बना। न्यायालय ने अपना फैसला कुल 211 पृष्ठों में सुनाया। यह है न्यायालयीन मजबुन
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