Monday 14 March 2016

गैंगस्टर महादेव महार हत्याकांड फैसला (क्र. 215 से 219)

 

215- आरोपीगण को दण्ड के प्रश्न पर सुना गया। आरोपीगण ने व्यक्त किया कि उन्हें न्युनतम से न्युनतम दण्ड दिया जावे। अभियोजन की ओर से उपस्थित होने वाले विशेष लोक अभियोजक ने आरोपीगण को प्रावधानित अधिकतम दण्ड दिये जाने का निवेदन किया है। भा0दं0सं0 की धारा 302 में अधिकतम दण्ड मृत्युदण्ड है, जबकि न्युनतम दण्ड आजीवन कारावास है। आजीवन कारावास का तात्पर्य सम्पूर्ण जीवन से होता है, अर्थात् आरोपी जब तक जीवित होते हैं, तब तक वे आजीवन कारावास का दण्ड भुगतते हैं। भा0दं0सं0 की धारा 302 के तहत अधिकतम दण्ड दिये जाने के लिये यह स्थापित विधि है कि ‘‘आरोपीगण का अपराध विरलतम से विरलतम श्रेणी का होना चाहिये‘‘ लेकिन इस प्रकरण में आरोपीगण के अपराध को विरलतम से विरलतम श्रेणी का नही माना जा सकता है। मृत्युदण्ड के लिये दं0प्र0सं0 की धारा 354 (3) के तहत विशेष कारण अभिलिखित किये जाने चाहिये। जबकि इस प्रकरण में मृत्युदण्ड अधिरोपित किये जाने संबंधी कोई विशेष कारण दर्शित नही होते हैं। अतः आरोपी तपन सरकार, सत्येन माधवन, बॉबी उर्फ विद्युत चौधरी, मंगल सिंह, अनिल शुक्ला, राजू खंजर, पिताम्बर साहू, छोटू उर्फ कृष्णा, रंजीत सिंह, बिज्जु उर्फ महेश यादव, शैलेन्द्र ठाकुर, अब्दुल जायद उर्फ बच्चा एवं आरोपी प्रभाष सिंह को भा0दं0सं0 की धारा 302 सहपठित धारा 149 के आरोप में क्रमशः आजीवन कारावास एवं तीस-तीस हजार रूपये के अर्थदण्ड, अर्थदण्ड नही पटाने पर दो-दो वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 148 के तहत तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस-दस हजार रूपये के अर्थदण्ड, अर्थदण्ड न दिये जाने की अवस्था में आठ-आठ माह के सश्रम कारावास एवं आरोपी तपन सरकार, सत्येन माधवन, प्रभाष सिंह, शैलेन्द्र सिंह ठाकुर एवं मंगल सिंह को आयुध अधिनियम की धारा 25 (1B) (a) के तहत तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस-दस हजार रूपये के अर्थदण्ड तथा धारा 27 (1) के तहत पांच-पांच वर्ष के सश्रम कारावास एवं दस-दस हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है। दस-दस हजार रूपये का अर्थदण्ड न दिये जाने की अवस्था में आरोपियों को प्रत्येक धारा के लिये आठ-आठ माह का सश्रम कारावास अतिरिक्त रूप से भुगताया जावे। सभी सजाऐं साथ-साथ चलेंगी। 
216- आरोपीगण न्यायिक अभिरक्षा में भी रहे हैं, अतः उनकी न्यायिक अभिरक्षा की अवधि दं0प्र0सं0 की धारा 428 के तहत समायोजित की जावे। 
217- आरोपी पिताम्बर साहू, छोटू उर्फ कृष्णा, रंजीत सिंह, बिज्जु उर्फ महेश यादव एवं आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर जमानत पर स्वतंत्र हैं, उन्हें तत्काल अभिरक्षा मे लिया जावे एवं उक्तानुसार सजा भुगतने हेतु जेल भेजा जावे। आरोपी जयदीप, गुल्लू उर्फ अरविंद श्रीवास्तव, विनोद सिंह केन्द्रीय जेल दुर्ग में निरूद्ध हैं, उन्हें यदि अन्य प्रकरण में आवश्यकता न हो तो तत्काल मुक्त करने का आदेश जारी हो। लेकिन उनसे दं0प्र0सं0 की धारा 437 ए के तहत पचास-पचास हजार रूपये का बंधपत्र छः माह के लिये इस आशय का निष्पादित करवाया जावे कि यदि अभियोजन द्वारा इस निर्णय के विरूद्ध अपील होती है तो वे माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित होंगे। 
218- शेष आरोपीगण जो जमानत पर मुक्त हैं, उनके जमानत एवं बंधपत्र दं0प्र0सं0 की धारा 437 ए के तहत आगामी छः माह तक प्रभावशील रहेंगे। 
219- जप्तशुदा सम्पत्ति के संबंध में कोई आदेश नही किया जा रहा है, क्योंकि इस प्रकरण के शेष आरोपी शहजाद, पी. प्रीतिश एवं गया उड़िया उर्फ जयचंद प्रधान अभी भी फरार हैं।

 दुर्ग, दिनांक-13/03/2015
मेरे निर्देशानुसार टंकित किया गया ।

(राजेश श्रीवास्तव)
विशेष न्यायाधीश, दुर्ग (छ.ग.)
मूल न्‍याय निर्णय दुर्ग न्‍यायालय के न्‍यायनिर्णय वेब साईट से पीडीएफ फारमेट में प्राप्‍त की जा सकती है.

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