Saturday 14 March 2015

गैंगस्टर महादेव महार हत्याकांड फैसला (क्र. 51 से 60)

 

0सा01 तारकेश्वर सिंह एवं अ0सा07 चंदन साव के साक्ष्य की विवेचना 
51- इस न्यायालय इस निर्णय की उपर की कण्डिकाओं में अ0सा01 तारकेश्वर सिंह एवं अ0सा07 चंदन सिंह के साक्ष्य एवं मुख्य परीक्षण में किये गये कथनों की विश्वसनीयता का सुक्ष्म एवं सावधानीपूर्वक परीक्षण कर यह निष्कर्ष दिया जा चुका है कि अ0सा01 तारकेश्वर सिंह का दिनांक 27/4/2006 को लिया गया साक्ष्य एवं अ0सा07 चंदन साव का दिनांक 2/8/2007 को लिया गया मुख्य परीक्षण विश्वास के योग्य है। अतः उक्त दोनों साक्षियों के साक्ष्य का अवलोकन किया गया। सर्वप्रथम अ0सा07 चंदन साव के साक्ष्य की कण्डिका 2 और 3 का अवलोकन किया गया।
52- अ0सा07 चंदन साव ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 2 में कथन किया है कि दिनांक 11/2/2005 को ‘‘6 से 6.30 बजे के लगभग‘‘ वह अपने घर से निकलकर सुभाष चौक सुपेला गया था, वहां पर पहले से महादेव पहलवान, गुड्डा और गिरवर खड़े थे (इस साक्षी ने अभियोजन साक्षी गुड्डा, गिरवर के घटनास्थल पर खड़े होने की पुष्टि की है), तब उसने पुछा कि क्या कर रहे हो, तब वे लोग बोले कि क्लब जा रहे हैं। वे लोग आपस में बात कर रहे थे, उसी समय कल्लू की घर की तरफ से दो बाइक और चैम्पियन मिनीडोर आकर रूकी, एक बाइक से बॉबी उर्फ विद्युत चौधरी, छोटू उर्फ कृष्णा तथा दूसरी बाइक से गोल्डी व पिताम्बर उतरे। चैम्पियन मिनीडोर से तपन सरकार, मंगल सिंह, प्रभाष सिंह, गोविन्द विश्वकर्मा (मृत), राजू खंजर, अनिल शुक्ला, बिज्जू, सत्येन माधवन, शैलन्द्र ठाकुर, बच्चा उर्फ अब्दुल जायद, रंजीत सिंह उतरे। इस साक्षी का इसी कण्डिका में यह भी कथन है कि मृत आरोपी गोविन्द विश्वकर्मा गाली देते हुये पास में आया और महादेव पहलवान के सिर में खुखरी से वार किया, जिससे महादेव पहलवान तारकेश्वर के घर के पास गिर पड़ा। उसके बाद आरोपी तपन सरकार, मंगलसिंह, प्रभाष सिंह, बॉबी उर्फ विद्युत चौधरी, बच्चा उर्फ अब्दुल जायद, सत्येन माधवन और राजू खंजर ये लोग कट्टा पिस्टल लेकर महादेव पहलवान, जो गिरा पड़ा था, की ओर दौड़े और महादेव को गोली मारने लगे। बाकी गोल्डी, पिताम्बर, छोटू उर्फ कृष्णा, मंगल सिंह, अनिल शुक्ला, बिज्जू, रंजीत सिंह, सत्येन माधवन उनकी ओर दौड़े, जो सभी तलवार, डण्डा, राड, नारियल कांटने का औजार, कट्टा, पिस्टल रखे हुये थे और फायर करते हुये और गाली बकते हुये उनकी ओर दौड़े, तो वे डर के कारण वहां से भाग गये और मुरली के घर के पास छिप गये।
53- अ0सा07 चंदन साव का अपने साक्ष्य की कण्डिका 3 में कथन है कि मुरली के घर के पास से दस मिनट बाद घटनास्थल पर आये, तो देखे कि महादेव पहलवान खुन से लथपथ चित्त हालत में तारकेश्वर सिंह के घर के पास गिरा पड़ा था, उसकी मृत्यु हो चुकी थी। उसके थोड़ी देर बाद पुलिस घटनास्थल पर आ गयी। इस साक्षी का अपने साक्ष्य की कण्डिका 4 में यह भी कथन है कि घटना के संबंध में उन्होंने न्यायिक मजिस्टेंट प्रथम श्रेणी, श्री देवांगन के न्यायालय में बयान भी दिया था।
54- अ0सा07 चंदन साव का प्रतिपरीक्षण केवल आरोपी तपन और आरोपी सत्येन माधवन के विद्वान अधिवक्ता द्वारा किया गया है, शेष आरोपीगण के अधिवक्ताओं ने इस साक्षी से कोई भी प्रश्न नही किया है। आरोपी तपन सरकार और सत्येन माधवन के विद्वान अधिवक्ता ने इस साक्षी का जो प्रति परीक्षण किया है उसमें उक्त अभिकथित तथ्यों के संबध में कोई भी प्रश्न नही पुछा है, बल्कि वे इस साक्षी से यही प्रश्न करते रहे कि उसने अपने मुख्य परीक्षण के कथन पुलिस के दबाव में कहे है। चुंकि यह न्यायालय अ0सा07 चंदन साव के ‘‘पुलिस दबाव‘‘ के कथन को विश्वास के योग्य नही पाया है। अतः स्पष्ट है कि अ0सा07 चंदन साव ने अपने मुख्य परीक्षण में जो भी कथन किया है, वह प्रति परीक्षण के अभाव में अखण्डित रहा है। इसके अतिरिक्त अ0सा07 चंदन साव के मुख्य परीक्षण में किया गया कथन केवल आरोपी बिज्जू, शैलेन्द्र ठाकुर व आरोपी रंजीत सिंह को एवं बाईक से उतरने वाले छोटू उर्फ कृष्णा व पिताम्बर को छोड़कर शेष के संबंध में ठीक वैसा ही है, जैसा उन्होने अ0सा059 रामजीवन देवांगन के समक्ष प्रदर्श पी 22 का दिया था। इस प्रकरण में अभियोजन द्वारा आरोपी पिताम्बर, आरोपी छोटू उर्फ कृष्णा एवं आरोपी बिज्जू उर्फ महेश यादव की पहचान की कार्यवाही साक्षियों से करवायी गयी है, जिसके संबंध में प्रस्तुत साक्ष्य का विवेचन इस निर्णय में उचित अवसर पर किया जावेगा। जहां तक अ0सा07 चंदन साव के साक्ष्य में किये गये कथन का प्रश्न है तो अ0सा07 चंदन साव ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 2 और 3 में अभियोजन के मामले को प्रमाणित किया है। लेकिन अभी तक यह निष्कर्ष दिया जाना शेष है कि मृतक महादेव की हत्या में अ0सा07 चंदन साव द्वारा उल्लेखित उक्त सभी आरोपियों की संलिप्तता है या किसी आरोपी की संलिप्तता नही है, इसका विवेचन भी अ0सा01 तारकेश्वर सिंह के मुख्य परीक्षण में किये गये कथनों के विवेचन के बाद किया जावेगा।
55- अ0सा01 तारकेश्वर सिह ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में कथन किया है कि वह प्रतिदिन सुबह घुमने जाता है और वह सुभाष चौक में रहता है। इस साक्षी का यह भी कथन है कि महादेव, गिरवर, गुड्डा, चंदन साव (इस साक्षी ने भी गिरवर, गुड्डा, चंदन साव की घटनास्थल पर उपस्थिती को प्रमाणित किया है) ये चारों सुभाष चौक में खड़े थे, तब वह घुमने गया था, उसी समय उसने देखा कि प्रभाष सिंह, मंगल सिंह, तपन, सत्येन, गुल्लु श्रीवास्तव, गोविन्द विश्वकर्मा, बेनी चौधरी, बच्चा और इनके साथ आठ-दस आदमी और थे, वे टेम्पो समान एक गाड़ी व मोटर सायकल से आये और आकर महादेव को मां-बहन की गाली देने लगे।
56- अ0सा01 तारकेश्वर का अपने साक्ष्य की कण्डिका 2 में कथन है कि गोविन्द विश्वकर्मा (मृत) ने महादेव को उसके सिर में कटार मारा, तब महादेव गिर गया, फिर तपन, सत्येन, मंगल पिस्टल से फायर किये। तब उसने आवाज दिया कि मत मारो, मत मारो, तब आरोपी तपन ने उसके सिर में पिस्टल लगा दिया तो वह चुप हो गया। उसका लिंगा, गिरवर, चंदन का मकान सुभाष चौक में है, उसका लड़का संतोष सिंह (जिसका मर्डर हो गया है) उसके मकान के उपर मंजिल में चढ़ा था, तब वह नीचे आया, तो उसने अपने पुत्र को आवाज दिया कि भाग बेटा भाग, तो वह घर में चला गया। उस समय गिरवर (अ0सा09), लिंगा (अ0सा05) व चंदन (अ0सा07) भी वहां से भाग गये और फिर मौके पर पुलिस आ गयी, लेकिन पुलिस के आने के पहले आरोपीगण मौके से भाग गये।
57- अ0सा01 तारकेश्वर सिंह का प्रति परीक्षण किया गया है,तब अ0सा01 तारकेश्वर सिंह ने अपने प्रति परीक्षण की विभिन्न कण्डिकाओं में पुनः अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में बताये गये आरोपीगण की अभियोजित अपराध में संलिप्तता की पुष्टि की है। अ0सा01 तारकेश्वर सिंह ने अपने प्रति परीक्षण में कथन किया है कि उसके रूकने के तुरन्त बाद आरोपीगण आये थे। यह कहना सही है कि जो आरोपीगण मौके पर आना बताया है, वे सभी गाली देते हुये आ रहे थे। यह सही है कि उसने चार लोगों के हाथ में पिस्टल, रिवाल्वर, माउजर देखा था। आरोपी तपन माउजर रखा था, पिस्टल मंगल, सत्येन और प्रभाष के पास था। यह सही है कि चारों आरोपीगण ने महादेव के सिर में पिस्टल मारे थे और आरोपी तपन ने उसके (साक्षी के) सिर में पिस्टल टिकाया था। दो-चार-पांच मिनट के अंदर पूरी घटना हो गयी। इस साक्षी का अपने प्रति परीक्षण की कण्डिका 11 में यह भी कथन है कि मौके पर पिस्टल चलने से काफी आवाजें आयी थी। इस साक्षी का अपने साक्ष्य की कण्डिका 18 में कथन है कि पुलिस महादेव को गोली मारने के 15-20 मिनट बाद आयी थी (तात्पर्य यह है कि घटनास्थल पर पुलिस घटना के तुरन्त बाद पहुंची थी)। यह कहना सही है कि मौके पर बहुत सारा खुन बहा था (तात्पर्य यह है कि घटनास्थल सुभाष चौक ही है)। इस साक्षी ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 22 में घटना के दूसरे दिन बयान लिये जाने का कारण बताते हुये कथन किया है कि उसका पुलिस बयान घटना के दूसरे दिन हुआ था, उस दिन नही हो पाया क्योंकि उस दिन माहौल खराब था।
58- उक्त विवेचन से स्पष्ट यह होता है कि अ0सा01 तारकेश्वर सिंह के मुख्य परीक्षण में किया गया कथन का खण्डन उसके उसी दिन किये गये प्रतिपरीक्षण में नही होता है, बल्कि प्रति परीक्षण में भी अ0सा01 तारकेश्वर सिंह ने उक्तानुसार कतिपय तथ्यों की पुष्टि की है। यद्यपि अ0सा01 तारकेश्वर सिंह ने अपने पुलिस बयान प्रदर्श डी 1 में अपने सिर में आरोपी तपन द्वारा पिस्तौल रखकर धमकी देने, अपना मकान तिमंजिला होने, आरोपी तपन द्वारा गाली देने की बात नही बताया है, लेकिन उक्त लोप महत्वपूर्ण प्रकृति का नही है, जो अ0सा01 तारकेश्वर सिंह के साक्ष्य में किये गये कथन के जड़ को प्रभावित करता हो। अ0सा01 तारकेश्वर सिंह ने सम्पूर्ण घटना देखी है और उसने यह भी प्रमाणित किया है कि घटनास्थल सुभाष चौक है।
59- का उक्त विवेचन से स्पष्ट है कि अ0सा01 तारकेश्वर सिंह प्रतिपरीक्षण दिनांक 01/8/2008, 17/10/2008 व 24/11/2008 एवं अ0सा07 चंदन साव का प्रति परीक्षण में उक्तानुसार जो भी कथन किये हैं, वे विश्वास के योग्य नही है, बल्कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किये गये उक्त साक्ष्य से जिसका उक्तानुसार सुक्ष्मता से एवं सावधानीपूर्वक विवेचन किया गया है, जिससे यही निष्कर्ष निकलता है कि अ0सा01 तारकेश्वर सिंह एवं अ0सा07 चंदन साव ने अपने-अपने प्रतिपरीक्षण में आरोपीगण के डर या भय के कारण अथवा उनके द्वारा जीत (Win over)  लिये जाने के कारण उक्तानुसार कथन किये हैं। अ0सा01 तारकेश्वर सिंह अपने मुख्य परीक्षण एवं प्रति परीक्षण दिनांक 27/4/2006 में अडिग रहा है, बल्कि अ0सा01 तारकेश्वर सिंह ने अपने प्रतिपरीक्षण दिनांक 27/4/2006 में अभियोजन के मामले को प्रमाणित किया है। जहां तक अ0सा05 लिंगाराजू, अ0सा06 मुरली, अ0सा08 प्रशांत शर्मा उर्फ गुड्डा उर्फ संतोष शर्मा, अ0सा09 गिरवर साहू के साक्ष्य में किये गये कथनों का प्रश्न है, तो अभी तक इस न्यायालय ने उनके साक्ष्य का विवेचन नही किया है, लेकिन जहां तक अ0सा01 तारकेश्वर सिंह एवं अ0सा07 चंदन साव के साक्ष्य में किये गये कथनों का प्रश्न है तो उसके संबंध में इस न्यायालय का स्पष्ट निष्कर्ष है कि उक्त दोनों साक्षी घटना दिनांक 11/2/2005 को भी मृतक महादेव महार की घाटना के प्रत्यक्षदर्शी साक्षी हैं, उनके घटनास्थल के पास ही घर है, वे घटना दिनांक को घटना समय में मार्निंग वॉक में निकले थे। अतः वे स्वाभाविक साक्षी भी हैं। अतः अ0सा01 तारकेश्वर सिंह एवं अ0सा07 चंदन साव के साक्ष्य के संबध में आरोपीगण की प्रतिरक्षा क्रमांक 1, 2 एवं 3 स्वीकार योग्य नही है। अतः अस्वीकार की जाती है।
60- जहां तक अ0सा05 लिंगा राजू, अ0सा06 मुरली, अ0सा08 प्रशांत उर्फ गुड्डा उर्फ संतोष शर्मा व अ0सा09 गिरवर साहू के साक्ष्य का प्रश्न है तो इस संबंध में यह उल्लेखनीय है कि अ0सा059 राम जीवन देवांगन ने दं0प्र0सं0 की धारा 164 के तहत अ0सा05 लिंगाराजू, अ0सा08 प्रशांत शर्मा व अ0सा09 गिरवर साहू का कथन लेखबद्ध किया था। यद्यपि अ0सा059 रामजीवन देवांगन ने अपने साक्ष्य में इस तथ्य की पुष्टि किये हैं कि उन्होंने उक्त तीनों साक्षियों का दं0प्र0सं0 की धारा 164 के तहत कथन लेखबद्ध किया था, जो कि अ0सा05 लिंगाराजू का प्रदर्श पी 12, अ0सा08 प्रशांत शर्मा का प्रदर्श पी 18 व अ0सा09 गिरवर साहू का प्रदर्श पी 30 है, तथापि अ0सा05 लिंगाराजू, अ0सा08 प्रशांत शर्मा एवं अ0सा09 गिरवर साहू ने अपने-अपने साक्ष्य में दं0प्र0सं0 की धारा 164 के तहत अभिलिखित किये गये कथन प्रदर्श पी 12, प्रदर्श पी 18 एवं प्रदर्श पी 30 के संबंध में यह कथन है कि कथन के समय पुलिस वाले न्यायालय के बाहर खड़े थे और उन्होंने दबाववश बयान दिया था। इस संबंध में अ0सा08 प्रशांत शर्मा के साक्ष्य की कण्डिका 3, 6, 9 अवलोकनीय है, जबकि अ0सा05 लिंगाराजू के साक्ष्य की कण्डिका 3, 5, 6 अवलोकनीय है। उक्त सभी साक्षियों ने अपने-अपने साक्ष्य में स्वयं को प्रत्यक्षदर्शी साक्षी होने से भी इंकार किया है। चुकि वे सभी साक्षी पक्षद्रोही भी हुये हैं और जब विशेष लोक अभियोजक द्वारा उनसे प्रतिपरीक्षण में प्रश्न पुछा गया तो उन्होंने अपने-अपने साक्ष्य में यह तो स्वीकार किया है कि उन्होंने अ0सा059 रामजीवन देवांगन, न्यायिक मजिस्टेंट प्रथम श्रेणी, दुर्ग के न्यायालय में कथन किया था, लेकिन वह पुलिस के दबाव में दिये थे।

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