अ0सा02 केशवप्रसाद चौबे, अ0सा05 लिंगाराजू, अ0सा08 प्रशांत शर्मा उर्फ गुड्डा, अ0सा09 गिरवर साहू के साक्ष्य की विवेचना के संबंध मे।
72- अभियोजन के अनुसार इस प्रकरण में अ0सा05 लिंगाराजू, अ0सा08 प्रशांत शर्मा उर्फ गुड्डा उर्फ संतोष शर्मा एवं अ0सा09 गिरवर साहू भी घटना के प्रत्यक्षदर्शी साक्षी हैं। लेकिन वे सभी साक्षी पक्षद्रोही हुये हैं। अतः उनके दं0प्र0सं0 की धारा 164 के तहत अभिलिखित कथन प्रदर्श पी 26, प्रदर्श पी 18 एवं प्रदर्श पी 30 को साक्ष्य के रूप में ग्राह्य नही किया जा सकता है, जैसा कि माननीय उच्चतम एवं उच्च न्यायालय की उक्त उल्लेखित विधि में निर्धारित हुआ है। लेकिन उक्त तीनों साक्षियों ने अपने-अपने साक्ष्य में अभियोजन के मामले की आंशिक रूप से पुष्टि की है।
73- अ0सा05 लिंगाराजू ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में कथन किया है कि प्रातः 8-9 बजे किसी ने उसे बताया कि महादेव की हत्या हो गयी है। तब वह सुभाष चौक सुपेला पहुंचा, वहां पर भीड़ लगी थी, भीड़ में तारकेश्वर सिंह मौजुद था। इसी प्रकार अ0सा06 मुरली ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में कथन किया है कि 11 फरवरी 2005 की सुबह 6.30 बजे की बात है, वह अपने घर में था, तभी गुड्डा उर्फ प्रशांत उसके घर आया और बताया कि महादेव का मर्डर हो गया है। इस साक्षी का अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में यह भी कथन है कि प्रशांत उर्फ गुड्डा ने उसके घर से सुपला थाने फोन किया फिर उसके घर से चला गया। इसी प्रकार अ0सा09 गिरवर साहू ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 2 में कथन किया है कि वह सुबह उठकर अपने घर से 7-सवा सात बजे सुबह चौक के पास आया तो देखा कि महादेव मरा पड़ा था। उसके पहुंचने के पहले तारकेश्वर सिंह, संतोष शर्मा, लिंगाराजू और बहुत से लोग खड़े थे उसके पहुंचने के तुरन्त बाद पुलिस वाले मौके पर आ गये थे। अ0सा09 गिरवर साहू ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 4 में कथन किया है कि यह कहना सही है कि जब उसने महादेव के शव को सुभाष चौक में देखा तो उसके मुंह, पीठ और सिर में चोट लगी थी और जमीन पर खुन बह रहा था। इस प्रकार उक्त तीनों साक्षियों के साक्ष्य से निम्नलिखित तथ्य प्रमाणित होते है:-
1- घटना दिनांक 11/2/2005 को अ0सा08 प्रशांत उर्फ गुड्डा द्वारा फोन से थाना सुपेला को मृतक महादेव महार की हत्या की सूचना दी गयी।
2- मृतक महादेव महार की हत्या प्रातः 6 बजे से 7 बजे के मध्य हुयी है।
3- घटनास्थल पर प्रत्यक्षदर्शी साक्षी तारकेश्वर सिंह खड़ा हुआ था।
4- इस साक्षी के पहुंचते ही अर्थात् सात से सवा सात के मध्य पुलिस वाले मौके पर आ गये थे।
5- घटनास्थल पर खुन फैला हुआ था।
74- अ0सा02 केशवप्रसाद चौबे ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में कथन किया है कि 11/2/2005 को प्रातः 6-6.30 बजे वह अपने घर में सोया था, उसका घर सुभाष चौक से 50-60 मीटर की दूरी पर है। तब उसने धमाके की आवाज सुना, तो उसने सोचा कि हज यात्री हज से वापस आ रहे हैं, इस खुशी में फटाका फोड़ा जा रहा है, थोड़ी देर बाद उसके पड़ोस के मोचनलाल साहू ने उसके घर के अंदर आकर बताया कि चौक के पास किसी की हत्या हो गयी है, तो वह चौक में गया, तो देखा कि धनजी (अ0सा01 तारकेश्वर का पुत्र) के घर के पास मृतक महादेव की लाश पड़ी थी। उसके पीठ और सिर में चोट के निशान दिख रहे थे, तथा फायर की गयी गोली पड़ी थी, लाश औधें मुंह पड़ी थी, लाश से काफी खुन बह रहा था, थोड़ी देर बाद पुलिस आयी। इस साक्षी ने अपने प्रतिपरीक्षण की कण्डिका 7 में कथन किया है कि वह लगभग साढ़े छः पौने सात बजे चौक में पहुंचा था, उसके पहुंचने के करीब पन्द्रह-बीस मिनट बाद मौके पर पुलिस आ गयी थी। इस साक्षी के प्रतिपरीक्षण में अन्य कोई ऐसी बात नही है जिसके कारण इस साक्षी के साक्ष्य में किये गये उक्त कथनों पर अविश्वास किया जावे।
75- अतः अ0सा02 केशवप्रसाद चौबे, जो कि नगर निगम में पार्षद है, के साक्ष्य में किये गये कथनों से निम्न तथ्य प्रमाणित होते हैं-
1- यह साक्षी जिस धमाके की आवाज को फटाका होना कह रहा है, वह वस्तुतः फायरों की आवाज थी।
2- यह साक्षी साढ़े 6 बजे के पहले मृतक की हत्या हो गयी थी।
3- मृतक के शव के पास फायर की गयी गोली पड़ी थी।
4- मृतक की लाश से खुन बह रहा था।
5- इस साक्षी की उपस्थिति में ही पुलिस आयी।
अतः नगर निगम के पार्षद अ0सा02 केशवप्रसाद चौबे के साक्ष्य से आरोपीगण की यह प्रतिरक्षा ध्वस्त हो जाती है कि मृतक महादेव महार की हत्या किसी अन्य जगह पर किन्ही अन्य आरोपियों द्वारा की गयी थी, और बाद में उसके शव को घटनास्थल सुभाष चौक में डाल दिया गया था, क्योंकि अ0सा02 केशवप्रसाद चौबे ने जब मृतक के शव को देखा तो उसके शव से खुन बह रहा था, जिससे यह स्पष्ट है कि साक्षी के पहुंचने के ठीक थोड़ी देर पहले मृतक की हत्या हुई थी। इस साक्षी के साक्ष्य में किये गये उक्त कथन से आरोपीगण की यह प्रतिरक्षा भी ध्वस्त हो जाती है कि पुलिस वालों ने सबूत प्लाण्ट कर आरोपीगण को फंसाया है, क्योंकि इस साक्षी ने पुलिस के आने के पहले ही घटनास्थल पर फायर की हुई गोली घटनास्थल पर पड़ी होना पाया था।
आरोपी शैलन्द्र ठाकुर के संबध में 76- अ0सा07 चंदन साव के दं0प्र0सं0 की धारा 164 के बयान में आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर का नाम अभियोजित अपराध के संबंध में नही है। लेकिन अ0सा07 चंदन साव ने अपने साक्ष्य दिनांक 2/8/2007 को आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर का नाम अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में उसे पहचानने के संबंध में लिया है एवं अपने साक्ष्य की कण्डिका 2 में मिनीडोर से अन्य आरोपियों के साथ उतरने का कथन किया है। अतः स्पष्ट है कि अ0सा07 चंदन साव ने प्रथम बार अपने साक्ष्य दिनांक 2/8/2007 को आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर का नाम अभियोजित अपराध के संबंध में लिया है। अ0सा052 यामिनी पाण्डे गुप्ता ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में कथन किया है कि उन्होंने दिनांक 8/11/2005 को आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर की पहचान की कार्यवाही केन्द्रीय जेल परिसर रायपुर में दोपहर 2.55 बजे करवायी थी। शिनाख्ती के समय समान डील-डौल के सात व्यक्ति अभियुक्त के साथ मिलाये गये थे, जिनके पहचान पत्र में हस्ताक्षर है। तब आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर को गिरवर साहू एवं संतोष शर्मा उर्फ गुड्डा ने सही पहचान किया था। पहचान पत्र प्रदर्श पी 17 है, जिसके ब से ब भाग पर गिरवर साहू एवं अ से अ भाग पर संतोष शर्मा ने हस्ताक्षर किये।
77- अ0सा08 प्रशांत शर्मा उर्फ गुड्डा ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 3 में कथन किया है कि उसे कुछ मुलजिमों को देखकर पहचानने के लिये बलौदा बाजार और रायपुर जेल ले जाया गया था। जबकि अ0सा09 गिरवर साहू ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 2 में कथन किया है कि उसे पुलिस वाले एक बार दुर्ग व बलौदा बाजार जेल लेकर गये थे। इस साक्षी ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 6 में रायपुर सेन्टंल जेल में पहचान की कार्यवाही कराये जाने के तथ्य से इंकार किया है। लेकिन अ0सा08 प्रशांत शर्मा एवं अ0सा09 गिरवर दोनों किन्ही अज्ञात कारणों से पक्षद्रोही हुये हैं, उन्होंने प्रदर्श पी 17 के अ से अ एवं ब से ब भाग पर अपने हस्ताक्षर को स्वीकार किया है। अतः ऐसी स्थिति में नायब तहसीलदार अ0सा052 यामिनी पाण्डे गुप्ता के साक्ष्य में किये गये कथनों पर अविश्वास किये जाने का कोई कारण इस न्यायालय के समक्ष नही है। अ0सा052 यामिनी पाण्डे गुप्ता के प्रतिपरीक्षण में पहचान की कार्यवाही प्रदर्श पी 17 के संबंध में ऐसी कोई अनियमितता या अवैधता नही हुई है जिसके कारण पहचान की कार्यवाही प्रदर्श पी 17 को दुषित माना जावे। इसके अतिरिक्त अ0सा07 चंदन साव के साक्ष्य के समर्थनकारी साक्ष्य के रूप में पहचान की कार्यवाही प्रदर्श पी 17 का उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त सारभूत साक्ष्य न्यायालय में की गई पहचान है।
78- आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर का बयान मेमोरेण्डम अ0सा076 आर0के0राय द्वारा लेखबद्ध किया गया है। अ0सा076 आर0के0राय ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 8 में आरोपी शैलेन्द्र का बयान लेखबद्ध करने का कथन किया है। इस साक्षी ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 10 में कथन किया है कि आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर ने गवाह मनोज साहू और अरूण निर्मलकर के समक्ष अपने मकान में रखे दीवान के अंदर से निकालकर एक लाल रंग का रेगजीन का थैला, जिसके मुंह पर चेन लगा था, जिसके अंदर से एक लोहे का कट्टा 303 बोर का, कट्टे में बैरल, टिंगर, हेयरपिन, हेयरपिन से फटी केच लगा हुआ है, एक लोहे का 303 बोर का कट्टा, जिसमें लकड़ी की मूठ लगी हुई थी, दो बटनदार लोहे का चाकू की जप्ती किया था, जिसकी जप्ती पत्र प्रदर्श पी 43 है जिसमें उनके और आरोपी के हस्ताक्षर है। आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर के बयान मेमोरेण्डम एवं जप्ती को अ0सा054 अरूण कुमार निर्मलकर ने अपने साक्ष्य में प्रमाणित करते हुये कथन किया है कि थाना सुपेला में पुलिस वालों ने आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर से पुछताछ कर मेमोरेण्डम बयान लिया था। तब आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर बताया था कि सेक्टर 6 स्थित अपने घर में कट्टा, कारतूस और चाकु को रखा है, जिसकी पुलिस वाले लिखापढ़ी किये थे, जो प्रदर्श पी 42 है जिसके ब से ब भाग पर उसके हस्ताक्षर है।
79- अ0सा054 अरूण कुमार निर्मलकर ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 1 में यह भी कथन किया है कि शैलेन्द्र ठाकुर अपने घर सेक्टर 6 लेकर गया और वहां से दो देशी कट्टा और दो बटनदार चाकू और नौ कारतूस की जप्ती कराया था। कट्टा, चाकू और कारतूस लाल रंग के थैले में रखा था जिसका जप्ती पत्र प्रदर्श पी 43 है जिसके ब से ब भाग में उसके हस्ताक्षर है। इस साक्षी को न्यायालय में रखे हुये चाकू आर्टिकल डी और आर्टिकल ई को दिखाया गया तो इस साक्षी ने स्वीकार किया है कि यही वह चाकू है, जो आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर से जप्त हुआ था।
80- अ0सा054 अरूण कुमार निर्मलकर का प्रतिपरीक्षण आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर के विद्वान अधिवक्ता द्वारा किया गया है। तब अ0सा054 अरूण कुमार निर्मलकर को आरोपी के विद्वान अधिवक्ता ने आपराधिक प्रकरण क्रमांक 538/08 में अभिलिखित इस साक्षी के बयान को दिखाकर पुछा गया, जिसे प्रदर्श डी 3 , 4 एवं 5 अंकित किया गया है। तब इस साक्षी ने अपने साक्ष्य की कण्डिका 4 में कथन किया है कि यह कहना सही है कि उसने दिनांक 15/6/2007 को ए.सी.जे.एम दुर्ग के न्यायालय में आपराधिक प्रकरण क्रमांक 538/08 के जप्ती पत्रक प्रदर्श पी 4 एवं प्रदर्श पी 5 के संबंध में प्रदर्श डी 3 का बयान दिया था, जिसमें उसने कथन किया था कि वह कभी आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर के घर नही गया, दोनों आरोपीगण के घर कहां है, वह नही जानता, मै कभी कट्टा, रिवाल्वर नही देखा हूं। इस साक्षी के साक्ष्य में किये गये उक्त कथन के आधार पर आरोपी के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क प्रस्तुत किया है कि इस साक्षी ने अपने मुख्य परीक्षण में आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर के घर जाने की बात झूठी कही हैं । लेकिन अ0सा054 अरूण कुमार निर्मलकर ने इस न्यायालय में नगर पुलिस अधीक्षक अ0सा076 आर0के0राय के साक्ष्य की पुष्टि की है। उसने ए.सी.जे.एम. दुर्ग के न्यायालय में प्रदर्श डी 3 का जो बयान दिया है, कि वह आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर के घर कभी नही गया, वह आपराधिक प्रकरण क्रमांक 538/08 के संबंध में हो सकता है, लेकिन इस प्रकरण में अ0सा054 अरूण कुमार निर्मलकर अपने प्रतिपरीक्षण में अडिग रहा है। अतः अभियोजन अ0सा054 अरूण कुमार निर्मलकर के साक्ष्य से यह प्रमाणित करने में सफल हुआ है कि उसके आधिपत्य के निवास स्थान से आर्टिकल ए 5 का एक लोहे का कट्टा 303 बोर का, एक खोखा, आर्टिकल ए-6 का 303 बोर का कट्टा एवं 303 बोर के नौ नग जिंदा कारतूस, आर्टिकल डी और ई का बटनदार चाकू जप्त किया गया था।
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Write commentsमहत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
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