Friday, 28 October 2016
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948
अधिनियम के अंतर्गत परिभाषाएं:-
1. मजदूरी:- इस अधिनियम के अनुसार मजदूरी का अर्थ उस धन से है, जो किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति के लिये किये गये श्रम के बदले प्राप्त होती है। मजदूरी के अंतर्गत घर का किराया भी आता है, लेकिन मजदूरी के अंतर्गत कुछ ऐसी चीजें नहीं आती।
जैसे:- गृहवास सुविधा, बिजली व पानी का खर्च, पेंशन या भविष्य निधि, यात्रा का खर्चा और ग्रेच्युटी इत्यादि।
2. कर्मचारी:- इस अधिनियम के अंतर्गत वह व्यक्ति कर्मचारी माना जाता है, जो भाड़े या पारिश्रमिक के लिये चाहे वह कुशल या अकुशल कार्य शारीरिक या लिपिकीय कार्य करता हो, जिसकी न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की जा चुकी हो। इसमें वह बाहरी मजदूर भी आते हैं जो किसी भी प्रकार के परिसर में निम्नलिखित कार्य करते हैं:-
1. वस्तु को बनाने का कार्य करता हो।
2. साफ करने का कार्य करता हो।
3. मरम्मत करता हो। 4. वस्तु को बेचता हो। या
5. हाथ से किया गया क्लर्क (लिखा-पढ़ी) का कार्य करता हो।
3. नियोजक/मालिक:- इस अधिनियम के अंतर्गत नियोजक या मालिक वह व्यक्ति कहलाता है जो किसी कर्मचारी को कोई कार्य करने के लिए स्वयं या दूसरे के द्वारा उन प्रतिष्ठानों में जिन पर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू होता है, कार्य पर लगाता है:
1. इसके अतिरिक्त फैक्ट्री मालिक या मैनेजर।
2. कोई भी ऐसा कार्य जिसका नियंत्रण सरकार के हाथों में है वहॉं पर सरकार द्वारा नियंत्रण एवं देखरेख के लिये नियुक्त व्यक्ति मालिक कहा जावेगा और जहॉं ऐसे किसी व्यक्ति की नियुक्ति नहीं हुई है, वहॉं उस विभाग का प्रधान अधिकारी मालिक कहा जायेगा।
मजदूरी की न्यूनतम दर क्या है ?
मजदूरी की न्यूनतम दर को सरकार समय-समय पर तय करती है। यह न्यूनतम दर रहने के खर्च के साथ भी हो सकती है और उसके बिना भी।
सरकार हर पॉंच वर्ष के अंतराल पर मजदूरी की न्यूनतम दर तय करेगी।
वेतन के स्थान पर वस्तु:- इस अधिनियम के अंतर्गत वेतन-भत्ता रूपये में दिया जायेगा लेकिन अगर सरकार को ऐसा लगता है कि किसी क्षेत्र में यह रीति-रिवाज चली आ रही है कि काम के बदले धन की जगह वस्तु प्रदान की जाती है तो सरकार इसे अधिसूचित कर सकती है।
आवश्यक वस्तुओं को रियायती दरों पर देने के लिए प्रावधान बनाया जाना जरूरी हो तो वह ऐसा कर सकती है।
कार्य पर अतिरिक्त समय:- कोई मजदूर जिसकी न्यूनतम मजदूरी इस अधिनियम के अंतर्गत घंटे, दिन इत्यादि के अनुसार तय की गई हो, अगर अपने काम के साधारण समय से ज्यादा काम करता है तो मालिक अतिरिक्त समय (ओवरटाईम) का वेतन भी मजदूर को देगा।
असमान कार्यों के लिये न्यूनतम वेतन:- अगर कोई मजदूर एक से ज्यादा कार्य करता है जो एक समान नहीं है और जिनकी न्यूनतम मजदूरी की दर भी एक समान नहीं होती तो मालिक को उसके कार्य के समय के अनुसार उस संबंधित कार्य की उपलब्ध न्यूनतम मजदूरी देनी होगी।
अगर किसी कार्य की मजदूरी वस्तु बनाने पर आधारित है एवं उसकी न्यूनतम मजदूरी समय पर आधारित है तो मालिक को उस समय की तय न्यूनतम मजदूरी देनी होगी। इस अधिनियम के अंतर्गत मजदूरों के द्वारा किये जाने वाले काम के घंटे भी तय किये जायेंगे और मजदूरों को सप्ताह में एक दिन छुट्टी भी दी जायेगी।
रजिस्टर एवं रिकार्ड आदि का रखना:- प्रत्येक मालिक का यह कर्तव्य है कि वह अपने यहॉं काम करने वाले मजदूरों के बारे में जानकारी देगा और उनके द्वारा किया जाने वाला काम और उनको मिलने वाली मजदूरी आदि को रजिस्टर में दर्ज करेगा।
निरीक्षक:- सरकार न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत निरीक्षक नियुक्त कर सकती है और उसके कार्य करने के अधिकार शक्तियॉं और सीमाओं को निश्चित कर सकती है। निरीक्षक किसी भी स्थान जहॉं मजदूर काम करते हों, वहां निरीक्षण कर सकता है, किसी भी रिकार्ड को जप्त कर सकता है और उस रिकार्ड की छायाप्रति भी ले सकता है। निरीक्षक इस बात की भी जानकारी ले सकता है कि मजदूरी की न्यूनतम दर क्या है ?
दावे:- यदि किसी मजदूर को उसकी मजदूरी की न्यूनतम दर नहीं मिलती है तो वह श्रम-आयुक्त के सामने इसकी शिकायत कर सकता है। सरकार श्रम-आयुक्त की नियुक्ति करेगी। मजदूर इस अधिनियम के अंतर्गत अपने दावे के लिये खुद अपना पक्ष प्रस्तुत कर सकता है, उसे वकील की आवश्यकता नहीं है। अगर वह चाहे तो किसी वकील को या किसी मजदूर यूनियन के अधिकारी को अपने दावे को प्रस्तुत करने के लिये नियुक्त कर सकता है लेकिन यह जरूरी है कि जिस दिन से न्यूनतम मजदूरी की दर न मिली हो आवेदन उस दिन से छः महीने के भीतर पेश किया गया हो। दावे का आवेदन सम्मिलित होने के बाद श्रम-आयुक्त मजदूर और मालिक के पक्ष को सुनेगा और पूरी जॉंच के बाद निर्देश देगा।
श्रम आयुक्त मजदूर (आवेदनकर्ता) को यह रकम यदि उसे न्यूनतम मजदूरी से कम मिली हो तो देने का निर्देश दे सकता है और साथ ही मुआवजा भी दिला सकता है, जो कि ऐसे रकम से 10 गुना से ज्यादा नहीं होगी।
आवेदन पर सुनवाई करने वाले अधिकारी को दीवानी न्यायालय के समान माना जावेगा और वह सारी प्रक्रिया जो दीवानी मुकदमों में होती है, वही प्रक्रिया चलेगी। इस अधिनियम के अंतर्गत सुनवाई करने वाले अधिकारी का निर्णय अंतिम होगा।
जुर्म के लिए दण्ड:- अगर कोई भी मालिक किसी भी मजदूर को इस अधिनियम के अनुसार न्यूनतम मजदूरी नहीं देता है तो उसे छः महीने की जेल या 500/-रूपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
About Media4U
Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Category
03 A Explosive Substances Act
149 IPC
295 (a) IPC
302 IPC
304 IPC
307 IPC
34 IPC
354 (3) IPC
399 IPC. 201 IPC
402 IPC
428 IPC
437 IPC
498 (a) IPC
66 IT Act
Aanand Math
Abhishek Vaishnav
Ajay Sahu
Ajeet Kumar Rajbhanu
Anticipatory bail
Arun Thakur
Awdhesh Singh
Bail
CGPSC
Chaman Lal Sinha
Civil Appeal
D.K.Vaidya
Dallirajhara
Durg
H.K.Tiwari
HIGH COURT OF CHHATTISGARH
Kauhi
Lalit Joshi
Mandir Trust
Motor accident claim
News
Patan
Rajkumar Rastogi
Ravi Sharma
Ravindra Singh
Ravishankar Singh
Sarvarakar
SC
Shantanu Kumar Deshlahare
Shayara Bano
Smita Ratnavat
Temporary injunction
Varsha Dongre
VHP
अजीत कुमार राजभानू
अनिल पिल्लई
आदेश-41 नियम-01
आनंद प्रकाश दीक्षित
आयुध अधिनियम
ऋषि कुमार बर्मन
एस.के.फरहान
एस.के.शर्मा
कु.संघपुष्पा भतपहरी
छ.ग.टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
जितेन्द्र कुमार जैन
डी.एस.राजपूत
दंतेवाड़ा
दिलीप सुखदेव
दुर्ग न्यायालय
देवा देवांगन
नीलम चंद सांखला
पंकज कुमार जैन
पी. रविन्दर बाबू
प्रफुल्ल सोनवानी
प्रशान्त बाजपेयी
बृजेन्द्र कुमार शास्त्री
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम
मुकेश गुप्ता
मोटर दुर्घटना दावा
राजेश श्रीवास्तव
रायपुर
रेवा खरे
श्री एम.के. खान
संतोष वर्मा
संतोष शर्मा
सत्येन्द्र कुमार साहू
सरल कानूनी शिक्षा
सुदर्शन महलवार
स्थायी निषेधाज्ञा
स्मिता रत्नावत
हरे कृष्ण तिवारी
No comments:
Write commentsमहत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
इस ब्लॉग की सामग्री का किसी भी कानूनी उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हमने सामग्री की सटीकता, पूर्णता, उपयोगिता या अन्यथा के संबंध में कोई ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं की है। उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी पर कार्य करने से पहले किसी भी जानकारी को सत्यापित / जांचें और किसी भी उचित पेशेवर से सलाह प्राप्त करें।