(छ.ग. राज्य उपचर्यागृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं अनुज्ञापन नियम 2013)
1- प्रत्येक अस्पताल/नर्सिंग होम में ईलाज के लिए भर्ती मरीजों के संबंध में जरूरी रजिस्टर एवं रिकार्ड रखा जाएगा।
2- प्रत्येक अस्पताल/नर्सिंग होम के मरीजों को निम्नानुसार जानकारी दिया जाना आवश्यक हैः-
(क) बीमारी/ईलाज/आपरेशन की प्रकृति उसके कारण एवं संभावित परिणाम की जानकारी,
(ख) ईलाज पर संभावित खर्चे तथा जटिलताओं की जानकारी,
(ग) भर्ती तथा ईलाज के दौरान तथा डिस्चार्ज के पश्चात् उसके ईलाज से संबंधित दस्तावेजों की जानकारी,
(घ) डिस्चार्ज या मृत्यु के बाद मेडिकल दस्तावेजों की फोटोप्रति (यदि कोई शुल्क निर्धारित हो तो शुल्क अदायगी के बाद) उपलब्ध कराना।
(ङ) डिस्चार्ज के समय बीमारी के निदान, ईलाज, आपरेषन और जांच संबंधी जानकारी का सारांश।
3- प्रत्येक अस्पताल/नर्सिंग होम मरीज और उसके परिचारक (अटेंडेंट) के निम्नलिखित अधिकारों को सुनिश्चित करेगाः
(क) मरीज की जांच एवं ईलाज के दौरान उसकी गरिमा और गोपनीयता को बनाए रखना।
(ख) मरीज के ईलाज के दौरान उसे बेहोश करने, शरीर के किसी भाग को शून्य करने, खून चढ़ाने संबंधी प्रक्रिया तथा उसके जोखिम, लाभ एवं अन्य विकल्पों के बारे में मरीज को सूचित करना तथा उसकी सहमति प्राप्त करना। ऐसी सूचना एवं सहमति उस भाषा में होगी, जिसे मरीज समझ सके।
(ग) जांच के दौरान महिला मरीज की गोपनीयता बनाए रखने का अधिकार। यदि महिला मरीज की जांच पुरूष डाक्टर द्वारा किया जाता है तो वहां महिला नर्स/परिचारिका की उपस्थिति अनिवार्य है।
(घ) बीमारी के संबंध में जांच रिपोर्ट को गोपनीय बनाए रखने का अधिकार। ऐसी रिपोर्ट मरीज अथवा उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति के अलावा दूसरों को नहीं बताया जाएगा।
(ङ) एच.आई.वी. पीड़ित व्यक्ति की ईलाज/देखभाल में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
स्वैच्छिक जांच एवं परामर्श केंद्र नहीं होने के आधार पर ईलाज से इंकार नहीं किया जा सकता।
(च) मरीज की मृत्यु पर अस्पताल द्वारा शव को गरिमा के साथ सम्मानजनक ढंग से रखा जाएगा।
(छ) मरीज/उसके परिचारक की इच्छा पर मरीज को अन्य चिकित्सा सुविधा केंद्र में रिफर/स्थानांतरण करने का अधिकार।
(ज) मेडिकल विद्यार्थी/ट्रेनी डाक्टर द्वारा मरीज की जांच एवं परीक्षण हेतु मरीज अथवा उसके परिचारक (अटेंडेंट) की सहमति लेना आवश्यक है।
4- अस्पताल/नर्सिंग होम में भर्ती सभी मरीज ईलाज करने वाले डाक्टर की अभिरक्षा में माना जाएगा तथा ऐसे मरीज की सुरक्षा के लिए वह डाक्टर पूर्णतः जिम्मेदार होगा।
आपातकालीन प्राथमिक उपचार
प्रत्येक चिकित्सक की व्यावसायिक बाध्यता है कि वह जीवन की सुरक्षा के लिए अपनी सेवा उपलब्ध कराएं। सभी अस्पताल/नर्सिंग होम आपातकालीन चिकित्सा के मामले में तत्काल प्राथमिक उपचार अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएंगे।
आपातकालीन मेडिकल सेवाएं
प्रत्येक अस्पताल/नर्सिंग होम मरीज की आर्थिक स्थिति पर विचार किए बिना प्राथमिक रूप से आपातकालीन मरीजों को सेवा एवं मूलभूत जीवनरक्षक सहयोग (उपचार) उपलब्ध कराएगा और यदि जरूरी हुआ तो उन्हें सबसे नजदीकी निजी/सरकारी अस्पताल में बीमारी के बारे में उचित मेडिकल रिपोर्ट के साथ यथाशीघ्र रिफर/स्थानांतरित करेंगे।
प्रत्येक अस्पताल/नर्सिंग होम प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ एवं आपातकालीन जीवनरक्षक सहयोग हेतु जरूरी उपकरण की उपलब्धतता को सुनिश्चित करेंगे।
प्रत्येक अस्पताल/नर्सिंग होम अपने मरीजों को अनिवार्य रूप से युक्तिसंगत दवाईयों की सुवाच्य पर्ची लिखकर देना सुनिश्चित करेंगे।
प्रत्येक अस्पताल/नर्सिंग होम आपातकाल की स्थिति में जीवनरक्षा हेतु उचित विशेषज्ञता के साथ अपनी सेवाएं अर्पित करने के लिए व्यवसायिक रूप से बाध्य हैं।
दुर्घटना मामलों में बिना पुलिस रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराना माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार दुर्घटना मामलों में पुलिस रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना अस्पताल/नर्सिंग होम के द्वारा आहत व्यक्ति को आवश्यक चिकित्सा उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जावे।
भ्रूण परीक्षण नही करने सबंधी सूचना पटल लगाना आवश्यक अस्पताल/नर्सिग होम के द्वारा पी.एन.डी.टी. एक्ट का पालन करते हुये भ्रूण परीक्षण कर प्रसव पूर्व लिंग ना बताने के संबंध में सहज दृश्य भाग पर सूचना प्रदर्शित किया जाना आवश्यक है।
शिकायतों का निराकरण
अस्पताल/नर्सिंग होम में मरीज के उपरोक्त वर्णित अधिकारों के हनन होने के संबंध में कोई भी शिकायत हाथों-हाथ, डाक, ई-मेल, फैक्स के माध्यम से पर्यवेक्षी प्राधिकारी (जिला कलेक्टर) को की जा सकती है। पर्यवेक्षी प्राधिकारी (जिला कलेक्टर) द्वारा उपरोक्तानुसार प्राप्त शिकायतों की जांच एवं निराकरण इस बाबत् गठित समिति के द्वारा किया जाएगा।
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Write commentsमहत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
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