Saturday 17 August 2019
Bail Case : दिलीप कुमार साहू विरुद्ध छत्तीसगढ़ शासन
B.A.No. 881/2019 (Cr.No.48/2019, Mahila Thana Durg)
न्यायालय: अजीत कुमार राजभानू, प्रथम अति. सत्र न्यायाधीश, दुर्ग (छ.ग.)
Court: Ajit Kumar Rajbhanu, First High. Sessions Judge, Durg (Chhattisgarh)
जमानत आवेदन Bail application क्रमांक-881/2019
----------------------------------------
दिलीप कुमार साहू आत्मज कृपाराम साहू उम्र 32 वर्ष, निवासी: इंदिरा चौक, संजय नगर, टिकरापारा, रायपुर, जिला रायपुर (छ.ग.)
।। विरुद्ध ।।
छत्तीसगढ़ शासन, द्वारा: थाना प्रभारी महिला थाना दुर्ग (छ.ग.)
----------------------------------------
07-08-2019 यह जमानत आवेदन माननीय सत्र न्यायाधीश Session judge के न्यायालय से अन्तरण पर प्राप्त।
----------------------------------------
आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार साहू Applicant / accused Dilip Kumar Sahu की ओर से श्री संतोष वर्मा, अधिवक्ता Shri Santosh Verma, Advocate उपस्थित ।
अनावेदक/राज्य Non-Applicant State द्वारा सुश्री फरिहा अमीन, अपर लोक अभियोजक Ms. Fariha Amin, Additional Public Prosecutor उपस्थित ।
1- आवेदक/आरोपी की ओर से अग्रिम जमानत हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्र, अंतर्गत धारा-438 दण्ड प्रक्रिया संहिता Section-438 Code of Criminal Procedure पर सुना गया ।
2- संक्षेप में आवेदन-पत्र इस प्रकार है कि प्रार्थिया मंजूलता साहू Manjulata Sahu द्वारा की गई शिकायत के आधार पर महिला थाना, दुर्ग द्वारा आवेदक सहित उसके माता-पिता एवं बहनों के विरुद्ध भा.दं.संहिता की धारा-498/34 Section-498/34 of Indian Penal Code के तहत् अपराध पंजीबद्ध किये जाने की उसे जानकारी हुई है । आवेदक का विवाह प्रार्थिया मंजूलता साहू के साथ सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार ग्राम जेवरा-सिरसा, जिला दुर्ग में दिनांक 10-02-2017 को सम्पन्न हुआ था । विवाह के कुछ दिन बाद से ही प्रार्थिया अपने पति अर्थात् आवेदक को उसके माता-पिता से अलग रहने के लिये लगातार दबाव बनाती रही है, जिससे इन्कार करने पर विवाह के लगभग तीन माह बाद अपने पिता होरीलाल कों फोन करके बुलाकर जब आवेदक अपने कार्य से बाहर था, तब पति की बगैर सहमति एवं जानकारी के अपने पति का घर छोड़कर मायके चली गयी थी । आवेदक ने प्रार्थिया को ससम्मान अच्छे से रखने का कई प्रयास किया, किन्तु प्रार्थिया की हठधर्मिता के कारण ही दोनों एक साथ निवासरत नहीं हैं । आवेदक द्वारा प्रदेश साहू संघ, रायपुर Pradesh Sahu Sangh, Raipur में दिनांक 08-10-2018 को की गई शिकायत पर समाज के व्यक्तियों द्वारा प्रार्थिया को समझाईश देते हुये अपने पति के साथ रहने का सुझाव दिया गया था । प्रार्थिया द्वारा दिनांक 25-11- 2017 को पुत्री को जन्म देने के पश्चात् से ही लगातार आवेदक को उसके माता-पिता से अलग किराये के मकान में रहने हेतु दबाव बनाती रही और अपने इरादा में सफल नहीं हो सकी, तो उसने झूठी शिकायत की है । आवेदक एक शिक्षित एवं सामाजिक व्यक्ति है, समाज में उसकी काफी मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा है, उक्त अपराध में आवेदक को गिरफ्तार किये जाने की दशा में आवेदक का मान-सम्मान प्रभावित होगा । आवेदक, रायपुर जिले का मूल निवासी है, जमानत पर छूटने के पश्चात् अन्यत्र भागने अथवा फरार होने की सम्भावना नहीं है, न्यायालय द्वारा अधिरोपित सभी शर्तों का पालन करने के लिये तैयार है । प्रकरण के अन्य आरोपियों को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अग्रिम जमानत Anticipatory bail का लाभ प्रदान किया गया है, अतः आवेदक को भी अग्रिम जमानत पर छोड़ दिया जावे।
3- आवेदन-पत्र की कंडिका-11 में यह भी उल्लेख किया गया है कि अग्रिम जमानत हेतु यह प्रथम आवेदन-पत्र first application for anticipatory bail है, इसके अतिरिक्त अन्य कोई जमानत आवेदन-पत्र किसी सक्षम न्यायालय अथवा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष न तो लम्बित है और न ही निरस्त किया गया है । आवेदन के समर्थन में आवेदक द्वारा स्वयं का शपथ-पत्र Own affidavit प्रस्तुत किया गया है ।
4- राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया है ।
5- आवेदक/आरोपी की ओर से अग्रिम जमानत हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्र के परिप्रेक्ष्य में महिला थाना, दुर्ग के अपराध क्रमांक-48/2019, अंतर्गत धारा-498(ए)/34 भा.दं. संहिता, सहपठित धारा-4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम Section-4 Dowry Prohibition Act की पुलिस केस डायरी तथा आवेदकगण की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया ।
6- केस डायरी के अनुसार प्रार्थिया श्रीमती नम्रता उर्फ मंजूलता साहू द्वारा इस आशय का लिखित शिकायत Written complaint प्रस्तुत किया गया है कि दिलीप साहू के साथ उसका विवाह हिन्दू रीति -रिवाज के अनुसार दिनांक 01-02-2017 को सम्पन्न हुआ था। विवाह के उपरान्त उसके सास-ससुर द्वारा कहा गया कि उनका इकलौता बेटा है, शिक्षक होते हुये भी उनके सोचे अनुसार दहेज नहीं दिये । उसके पति की बहनें एक राय होकर मीटिंग करते और इसके पति को कहते थे कि तुम गलत जगह विवाह कर लिये हो, तुम्हारा बाप दहेज में गाड़ी नहीं दिया है । इसे टोनही Tonahi कहकर प्रताडि़त करते हैं और सास ने कोटनी के पांच तांत्रिक कों बुलाकर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त किया है। उसके पति द्वारा कहा गया कि सभी ने इसे टोनही कहा है, इसलिये दाम्पत्य सम्बंधों Marriage relationship का निर्वहन नहीं कर सकता। दिनांक 25-11-2017 को पुत्री का जन्म हुआ, जिसमें डिलीवरी का सारा खर्च इसके पिता द्वारा उठाया गया । इसके सास, ससुर एवं ननद द्वारा कहा गया कि 5,00,000/-रुपये तथा कार कोई बड़ी चीज नहीं है, कार व नगद 5,00,000/-रुपये लाकर दो, तो तुम्हारी लड़की को साथ में रखेंगे, अन्यथा भूल जावो। अक्टूबर, 2018 में यह अपनी बच्ची तथा पिता, भाई, मामा एवं नाना सहित समाज के लोगों के साथ ससुराल गयी, तो इसकी सास ने घर के अन्दर ताला लगाकर प्रवेश देने से मना कर दी। उपरोक्तानुसार की गई रिपोर्ट के आधार पर आवेदकगण के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया जाकर अन्वेषण investigation किया जा रहा है।
7- विचार किया गया । केस डायरी के अनुसार प्रार्थिया द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट First Information Report दिनांक 10-07-2019 को काउंसिलिंग की कार्यवाही के उपरान्त दर्ज करायी गई है । काउंसिलिंग की रिपोर्ट आवेदकगण की ओर से संलग्न की गई है, जिसमें उभय-पक्षों के द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किये गये हैं । प्रार्थिया द्वारा दहेज एवं मानसिक प्रताड़ना की बात बतायी गई है, जबकि अनावेदक पति ने प्रार्थिया को सास-ससुर से अलग रहने के लिये दबाव डालने तथा इकलौता पुत्र होने से मॉ-बाप को छोड़ने में असमर्थता व्यक्त किया है तथा प्रार्थिया द्वारा भी सास-ससुर से दुर्व्यवहार करने की बात बताया है । मामले में, धारा-498 (ए) भा.दं.संहिता के तहत् अन्वेषण किया जा रहा है । वर्तमान मामले में अन्य आरोपीगण कृपाराम साहू Kriparam Sahu, जो आवेदक/आरोपी के पिता हैं, कौशिल्या साहू Kaushilya Sahu, जो आरोपी की माता है, लता साहू एवं शैलेन्द्री साहू Lata Sahu and Shailendri Sahu, जो आरोपी की बहनें हैं, को पूर्व में इस न्यायालय द्वारा जमानत याचिका क्रमांक 800/2019 में पारित आदेश दिनांक 23-07-2019 एवं जमानत याचिका क्रमांक 823/2019 में पारित आदेश दिनांक 26-07-2019 के अनुसार केस डायरी में उक्त आरोपीगण के विरुद्ध संकलित सामग्री के आधार पर अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान किया गया है।
8- किन्तु वर्तमान आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार, प्रार्थिया का पति है तथा पत्नी के प्रति पति का, अन्य रिश्तेदारों की अपेक्षा अधिक जिम्मेदारी रहती है कि वह अपनी पत्नी के प्रति उचित व्यवहार करे तथा वर्तमान मामले में आवेदक/आरोपी पति के विरुद्ध प्रार्थिया को प्रताड़ित करने के सम्बंध में जो सामग्री उपलब्ध है, वह अन्य आरोपीगण की अपेक्षा गम्भीर है तथा अन्य आरोपीगण को अग्रिम जमानत का लाभ प्राप्त होने के आधार पर आवेदक/आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान किये जाने हेतु समरूप मामला प्रकट नहीं होता है । अतः आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार साहू, जो प्रार्थिया का पति है, के विरुद्ध संकलित साक्ष्य को देखते हुये उसे अग्रिम जमानत Anticipatory bail का लाभ प्रदान किये जाने हेतु उचित मामला निर्मित नहीं होता है, अतः आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार साहू की ओर से अग्रिम जमानत हेतु प्रस्तुत आवेदन, अंतर्गत धारा-438 दं.प्र.संहिता, निरस्त किया जाता है ।
9- आदेश की प्रति के साथ पुलिस केस डायरी वापस हो तथा आदेश की एक प्रति, प्रकरण के विचारण का क्षेत्राधिकार रखने वाले सम्बंधित न्यायालय को सूचनार्थ प्रेषित किया जावे ।
10- जमानत प्रकरण का परिणाम दर्ज कर प्रकरण अभिलेखागार भेजा जावे ।
सही/-
(अजीत कुमार राजभानू)
प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश
दुर्ग (छ.ग.)
न्यायालय: अजीत कुमार राजभानू, प्रथम अति. सत्र न्यायाधीश, दुर्ग (छ.ग.)
Court: Ajit Kumar Rajbhanu, First High. Sessions Judge, Durg (Chhattisgarh)
जमानत आवेदन Bail application क्रमांक-881/2019
----------------------------------------
दिलीप कुमार साहू आत्मज कृपाराम साहू उम्र 32 वर्ष, निवासी: इंदिरा चौक, संजय नगर, टिकरापारा, रायपुर, जिला रायपुर (छ.ग.)
।। विरुद्ध ।।
छत्तीसगढ़ शासन, द्वारा: थाना प्रभारी महिला थाना दुर्ग (छ.ग.)
----------------------------------------
07-08-2019 यह जमानत आवेदन माननीय सत्र न्यायाधीश Session judge के न्यायालय से अन्तरण पर प्राप्त।
----------------------------------------
आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार साहू Applicant / accused Dilip Kumar Sahu की ओर से श्री संतोष वर्मा, अधिवक्ता Shri Santosh Verma, Advocate उपस्थित ।
अनावेदक/राज्य Non-Applicant State द्वारा सुश्री फरिहा अमीन, अपर लोक अभियोजक Ms. Fariha Amin, Additional Public Prosecutor उपस्थित ।
1- आवेदक/आरोपी की ओर से अग्रिम जमानत हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्र, अंतर्गत धारा-438 दण्ड प्रक्रिया संहिता Section-438 Code of Criminal Procedure पर सुना गया ।
2- संक्षेप में आवेदन-पत्र इस प्रकार है कि प्रार्थिया मंजूलता साहू Manjulata Sahu द्वारा की गई शिकायत के आधार पर महिला थाना, दुर्ग द्वारा आवेदक सहित उसके माता-पिता एवं बहनों के विरुद्ध भा.दं.संहिता की धारा-498/34 Section-498/34 of Indian Penal Code के तहत् अपराध पंजीबद्ध किये जाने की उसे जानकारी हुई है । आवेदक का विवाह प्रार्थिया मंजूलता साहू के साथ सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार ग्राम जेवरा-सिरसा, जिला दुर्ग में दिनांक 10-02-2017 को सम्पन्न हुआ था । विवाह के कुछ दिन बाद से ही प्रार्थिया अपने पति अर्थात् आवेदक को उसके माता-पिता से अलग रहने के लिये लगातार दबाव बनाती रही है, जिससे इन्कार करने पर विवाह के लगभग तीन माह बाद अपने पिता होरीलाल कों फोन करके बुलाकर जब आवेदक अपने कार्य से बाहर था, तब पति की बगैर सहमति एवं जानकारी के अपने पति का घर छोड़कर मायके चली गयी थी । आवेदक ने प्रार्थिया को ससम्मान अच्छे से रखने का कई प्रयास किया, किन्तु प्रार्थिया की हठधर्मिता के कारण ही दोनों एक साथ निवासरत नहीं हैं । आवेदक द्वारा प्रदेश साहू संघ, रायपुर Pradesh Sahu Sangh, Raipur में दिनांक 08-10-2018 को की गई शिकायत पर समाज के व्यक्तियों द्वारा प्रार्थिया को समझाईश देते हुये अपने पति के साथ रहने का सुझाव दिया गया था । प्रार्थिया द्वारा दिनांक 25-11- 2017 को पुत्री को जन्म देने के पश्चात् से ही लगातार आवेदक को उसके माता-पिता से अलग किराये के मकान में रहने हेतु दबाव बनाती रही और अपने इरादा में सफल नहीं हो सकी, तो उसने झूठी शिकायत की है । आवेदक एक शिक्षित एवं सामाजिक व्यक्ति है, समाज में उसकी काफी मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा है, उक्त अपराध में आवेदक को गिरफ्तार किये जाने की दशा में आवेदक का मान-सम्मान प्रभावित होगा । आवेदक, रायपुर जिले का मूल निवासी है, जमानत पर छूटने के पश्चात् अन्यत्र भागने अथवा फरार होने की सम्भावना नहीं है, न्यायालय द्वारा अधिरोपित सभी शर्तों का पालन करने के लिये तैयार है । प्रकरण के अन्य आरोपियों को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अग्रिम जमानत Anticipatory bail का लाभ प्रदान किया गया है, अतः आवेदक को भी अग्रिम जमानत पर छोड़ दिया जावे।
3- आवेदन-पत्र की कंडिका-11 में यह भी उल्लेख किया गया है कि अग्रिम जमानत हेतु यह प्रथम आवेदन-पत्र first application for anticipatory bail है, इसके अतिरिक्त अन्य कोई जमानत आवेदन-पत्र किसी सक्षम न्यायालय अथवा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष न तो लम्बित है और न ही निरस्त किया गया है । आवेदन के समर्थन में आवेदक द्वारा स्वयं का शपथ-पत्र Own affidavit प्रस्तुत किया गया है ।
4- राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया है ।
5- आवेदक/आरोपी की ओर से अग्रिम जमानत हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्र के परिप्रेक्ष्य में महिला थाना, दुर्ग के अपराध क्रमांक-48/2019, अंतर्गत धारा-498(ए)/34 भा.दं. संहिता, सहपठित धारा-4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम Section-4 Dowry Prohibition Act की पुलिस केस डायरी तथा आवेदकगण की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों का अवलोकन किया गया ।
6- केस डायरी के अनुसार प्रार्थिया श्रीमती नम्रता उर्फ मंजूलता साहू द्वारा इस आशय का लिखित शिकायत Written complaint प्रस्तुत किया गया है कि दिलीप साहू के साथ उसका विवाह हिन्दू रीति -रिवाज के अनुसार दिनांक 01-02-2017 को सम्पन्न हुआ था। विवाह के उपरान्त उसके सास-ससुर द्वारा कहा गया कि उनका इकलौता बेटा है, शिक्षक होते हुये भी उनके सोचे अनुसार दहेज नहीं दिये । उसके पति की बहनें एक राय होकर मीटिंग करते और इसके पति को कहते थे कि तुम गलत जगह विवाह कर लिये हो, तुम्हारा बाप दहेज में गाड़ी नहीं दिया है । इसे टोनही Tonahi कहकर प्रताडि़त करते हैं और सास ने कोटनी के पांच तांत्रिक कों बुलाकर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त किया है। उसके पति द्वारा कहा गया कि सभी ने इसे टोनही कहा है, इसलिये दाम्पत्य सम्बंधों Marriage relationship का निर्वहन नहीं कर सकता। दिनांक 25-11-2017 को पुत्री का जन्म हुआ, जिसमें डिलीवरी का सारा खर्च इसके पिता द्वारा उठाया गया । इसके सास, ससुर एवं ननद द्वारा कहा गया कि 5,00,000/-रुपये तथा कार कोई बड़ी चीज नहीं है, कार व नगद 5,00,000/-रुपये लाकर दो, तो तुम्हारी लड़की को साथ में रखेंगे, अन्यथा भूल जावो। अक्टूबर, 2018 में यह अपनी बच्ची तथा पिता, भाई, मामा एवं नाना सहित समाज के लोगों के साथ ससुराल गयी, तो इसकी सास ने घर के अन्दर ताला लगाकर प्रवेश देने से मना कर दी। उपरोक्तानुसार की गई रिपोर्ट के आधार पर आवेदकगण के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध किया जाकर अन्वेषण investigation किया जा रहा है।
7- विचार किया गया । केस डायरी के अनुसार प्रार्थिया द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट First Information Report दिनांक 10-07-2019 को काउंसिलिंग की कार्यवाही के उपरान्त दर्ज करायी गई है । काउंसिलिंग की रिपोर्ट आवेदकगण की ओर से संलग्न की गई है, जिसमें उभय-पक्षों के द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किये गये हैं । प्रार्थिया द्वारा दहेज एवं मानसिक प्रताड़ना की बात बतायी गई है, जबकि अनावेदक पति ने प्रार्थिया को सास-ससुर से अलग रहने के लिये दबाव डालने तथा इकलौता पुत्र होने से मॉ-बाप को छोड़ने में असमर्थता व्यक्त किया है तथा प्रार्थिया द्वारा भी सास-ससुर से दुर्व्यवहार करने की बात बताया है । मामले में, धारा-498 (ए) भा.दं.संहिता के तहत् अन्वेषण किया जा रहा है । वर्तमान मामले में अन्य आरोपीगण कृपाराम साहू Kriparam Sahu, जो आवेदक/आरोपी के पिता हैं, कौशिल्या साहू Kaushilya Sahu, जो आरोपी की माता है, लता साहू एवं शैलेन्द्री साहू Lata Sahu and Shailendri Sahu, जो आरोपी की बहनें हैं, को पूर्व में इस न्यायालय द्वारा जमानत याचिका क्रमांक 800/2019 में पारित आदेश दिनांक 23-07-2019 एवं जमानत याचिका क्रमांक 823/2019 में पारित आदेश दिनांक 26-07-2019 के अनुसार केस डायरी में उक्त आरोपीगण के विरुद्ध संकलित सामग्री के आधार पर अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान किया गया है।
8- किन्तु वर्तमान आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार, प्रार्थिया का पति है तथा पत्नी के प्रति पति का, अन्य रिश्तेदारों की अपेक्षा अधिक जिम्मेदारी रहती है कि वह अपनी पत्नी के प्रति उचित व्यवहार करे तथा वर्तमान मामले में आवेदक/आरोपी पति के विरुद्ध प्रार्थिया को प्रताड़ित करने के सम्बंध में जो सामग्री उपलब्ध है, वह अन्य आरोपीगण की अपेक्षा गम्भीर है तथा अन्य आरोपीगण को अग्रिम जमानत का लाभ प्राप्त होने के आधार पर आवेदक/आरोपी को अग्रिम जमानत का लाभ प्रदान किये जाने हेतु समरूप मामला प्रकट नहीं होता है । अतः आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार साहू, जो प्रार्थिया का पति है, के विरुद्ध संकलित साक्ष्य को देखते हुये उसे अग्रिम जमानत Anticipatory bail का लाभ प्रदान किये जाने हेतु उचित मामला निर्मित नहीं होता है, अतः आवेदक/आरोपी दिलीप कुमार साहू की ओर से अग्रिम जमानत हेतु प्रस्तुत आवेदन, अंतर्गत धारा-438 दं.प्र.संहिता, निरस्त किया जाता है ।
9- आदेश की प्रति के साथ पुलिस केस डायरी वापस हो तथा आदेश की एक प्रति, प्रकरण के विचारण का क्षेत्राधिकार रखने वाले सम्बंधित न्यायालय को सूचनार्थ प्रेषित किया जावे ।
10- जमानत प्रकरण का परिणाम दर्ज कर प्रकरण अभिलेखागार भेजा जावे ।
सही/-
(अजीत कुमार राजभानू)
प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश
दुर्ग (छ.ग.)
About 36solutions
Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Category
03 A Explosive Substances Act
149 IPC
295 (a) IPC
302 IPC
304 IPC
307 IPC
34 IPC
354 (3) IPC
399 IPC. 201 IPC
402 IPC
428 IPC
437 IPC
498 (a) IPC
66 IT Act
Aanand Math
Abhishek Vaishnav
Ajay Sahu
Ajeet Kumar Rajbhanu
Anticipatory bail
Arun Thakur
Awdhesh Singh
Bail
CGPSC
Chaman Lal Sinha
Civil Appeal
D.K.Vaidya
Dallirajhara
Durg
H.K.Tiwari
HIGH COURT OF CHHATTISGARH
Kauhi
Lalit Joshi
Mandir Trust
Motor accident claim
News
Patan
Rajkumar Rastogi
Ravi Sharma
Ravindra Singh
Ravishankar Singh
Sarvarakar
SC
Shantanu Kumar Deshlahare
Shayara Bano
Smita Ratnavat
Temporary injunction
Varsha Dongre
VHP
अजीत कुमार राजभानू
अनिल पिल्लई
आदेश-41 नियम-01
आनंद प्रकाश दीक्षित
आयुध अधिनियम
ऋषि कुमार बर्मन
एस.के.फरहान
एस.के.शर्मा
कु.संघपुष्पा भतपहरी
छ.ग.टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
जितेन्द्र कुमार जैन
डी.एस.राजपूत
दंतेवाड़ा
दिलीप सुखदेव
दुर्ग न्यायालय
देवा देवांगन
नीलम चंद सांखला
पंकज कुमार जैन
पी. रविन्दर बाबू
प्रफुल्ल सोनवानी
प्रशान्त बाजपेयी
बृजेन्द्र कुमार शास्त्री
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम
मुकेश गुप्ता
मोटर दुर्घटना दावा
राजेश श्रीवास्तव
रायपुर
रेवा खरे
श्री एम.के. खान
संतोष वर्मा
संतोष शर्मा
सत्येन्द्र कुमार साहू
सरल कानूनी शिक्षा
सुदर्शन महलवार
स्थायी निषेधाज्ञा
स्मिता रत्नावत
हरे कृष्ण तिवारी
No comments:
Write commentsमहत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
इस ब्लॉग की सामग्री का किसी भी कानूनी उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हमने सामग्री की सटीकता, पूर्णता, उपयोगिता या अन्यथा के संबंध में कोई ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं की है। उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी पर कार्य करने से पहले किसी भी जानकारी को सत्यापित / जांचें और किसी भी उचित पेशेवर से सलाह प्राप्त करें।