यह अधिनियम निम्नलिखित प्रतिष्ठानों पर लागू होता है:-
कारखानों, खान, बागान या सरकारी प्रतिष्ठान तथा ऐसे सभी प्रतिष्ठान जहां घुड़सवारी, कलाबाजी और करतबों के प्रदर्शन के लिए लोगों को काम पर रखा जाता है।
कोई दुकान या प्रतिष्ठान जिसमें कम से कम 10 व्यक्ति काम करते हों या पिछले 12 महीनों से किसी भी दिन वहां काम करने वालों की संख्या कम से कम 10 रही हो।
राज्य सरकार, केंद्रीय सरकार की स्वीकृति से दो महीने की सूचना देने के पश्चात् इस अधिनियम के सभी या कोई उपबंध औद्योगिक, वाणिज्यिक कृषि या अन्य प्रकार के किसी प्रतिष्ठान या प्रतिष्ठानों के वर्ग पर भी लागू कर सकती है।
परिभाषा -
मालिक - प्रतिष्ठान जो सरकार के नियंत्रण में है, वहां पर निरीक्षण व नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा नियुक्त व्यक्ति, मालिक कहलाएगा। जहां पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति नहीं की गई हो, वहां पर विभाग का प्रधान अधिकारी मालिक माना जाएगा।
स्थानीय अथारिटी के संबंध में वह व्यक्ति मालिक माना जावेगा, जो निरीक्षण व नियंत्रण के लिए नियुक्त किया गया हो। जहां पर ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति न की गई हो, वहॉ पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी मालिक माना जावेगा।
किसी अन्य दशा में वह व्यक्ति जिसका प्रतिष्ठान के कार्य पर पूरा नियंत्रण हो, चाहे वह प्रबंधक हो या प्रबंध निदेशक, प्रबंध अभिकर्ता, या किसी और नाम से जाना जाता हो, वह मालिक माना जावेगा।
मजदूरी - किसी महिला को मालिक द्वारा उसके काम के बदले दिया जाने वाला पैसा मजदूरी कहलाता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित भी आते हैं:-
1- ऐसे भत्ते (जिनके अंतर्गत महंगाई भत्ता व आवास भत्ता है) जिनकी महिला हकदार है। महंगाई और आवास भत्ते से अर्थ उस पैसे से है, जो मालिक द्वारा मजदूरी के अलावा महंगाई एवं मकान के किराए आदि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिया जाता है। या
2- प्रोत्साहन बोनस, या
3- रियायत पर दिए गए खाद्यानों या अन्य वस्तुओं का धनमूल्य। परंतु मजदूरी में कई चीजें नहीं आती हैं, जैसे -
1- कोई भी बोनस सिवाय प्रोत्साहन बोनस के।
2- समय से ज्यादा काम करने के लिए दिया जाने वाला पैसा (अतिकाल/ओव्हरटाईम) जुर्माने के लिए की गई कटौती या भुगतान
3- कोई अंशदान जो मालिक द्वारा पेंशन फंड या भविष्य फंड (निधि) में जमा किया गया है या किया जाएगा या महिलाओं के फायदे के लिए किया गया है।
4- कोई उपदान (ग्रेच्युटी) जो सेवा की समाप्ति पर दिया जाता है।
इस अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित समय में महिलाओं से काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है:-
1- कोई भी मालिक किसी महिला को, बच्चे के जन्म से, या गर्भपात होने के छः सप्ताह तक काम नहीं करा सकता है तथा महिला भी इस दौरान कहीं काम नहीं करेगी।
2- यदि कोई भी गर्भवती महिला, मालिक से निवेदन करती है तो मालिक गर्भवती महिला से ऐसा कोई भी काम नहीं करवा सकता है, जो कठोर प्रकृति का हो या जिसमें ज्यादा देर तक खड़ा रहना पड़ता हो, या जिससे उसकी गर्भावस्था या भू्रण के विकास पर बुरा असर पड़ता हो।
प्रसूति प्रसुविधा के भुगतान का अधिकार -
- प्रत्येक महिला बच्चों के जन्म के एक दिन पहले से लेकर जब तक वह इस अधिनियम के अंतर्गत छुट्टी पर रहती है, प्रसूति प्रसुविधा के हकदार होगी, जो उसे मालिक द्वारा दी जाएगी।
- प्रसूति प्रसुविधा उस महिला को पिछले तीन महीनों में मिली मजदूरी के औसत के अनुसार तय की जाएगी।
- महिला ज्यादा से ज्यादा 12 सप्ताह, जिसमें छः सप्ताह बच्चे के जन्म से पहले हो, उसके लिए ही प्रसूति लाभ ले सकती हे।
- कोई भी महिला प्रसूति प्रसुविधा की हकदार तभी होगी, जब उसने बच्चे के जन्मदिन के पहले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन उसी मालिक के यहां कम किया हो, जिससे वह प्रसूति प्रसुविधा की मांग कर रही हो।
- अगर किसी महिला की मृत्यु बच्चे को जन्म देते समय या उसके तुरंत बाद होती है, तो वह उस दिन तक प्रसूति प्रसुविधा की हकदार होगी, लेकिन इस दौरान अगर बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो बच्चे की मृत्यु के दिन तक महिला प्रसूति प्रसुविधा की हकदार होगी।
प्रसूति प्रसुविधा के दावे की प्रक्रिया और उसका भुगतान -
प्रसूति प्रसुविधा की हकदार महिला लिखित में अपने मालिक से प्रसूति प्रसुविधा के भुगतान की मांग कर सकती है अथवा अपने दावे में उस व्यक्ति का नाम लिख सकती है, जिसे यह भुगतान किया जा सकता है। उसे यह भी लिखित में देना होगा कि इस दौरान वह कहीं और काम नहीं करेगी, और अगर यह दावा गर्भावस्था के दौरान किया जाता है तो उसे अपनी छुट्टी की तारीख जो बच्चे के जन्म की संभावित तारीख से छः सप्ताह के पहले नहीं हो सकता, दावे में बताना होगा।
यदि कोई गर्भवती महिला, ऐसी सूचना नहीं दे पाती है, तो वह बच्चे के जन्म होने के पश्चात् जितनी जल्दी हो सके सूचना देगी। अगर कोई ऐसी जानकारी प्रसूति प्रसुविधा के हकदार महिला द्वारा नहीं दी गई हो, तब भी निरीक्षक उसके भुगतान का आदेश दे सकता है। सूचना के मिलने पर मालिक महिला को उस अवधि के लिए अनुपस्थित रहने की अनुमति प्रदान करेगा।
प्रसूति प्रसुविधा की आधी रकम बच्चे के जन्म के पहले और आधी रकम बच्चे के जन्म के 48 घंटे के अंदर संबंधित कागजात/प्रमाण-पत्र दिखाने पर मालिक द्वारा दी जावेगी।
किसी महिला की मृत्यु होने पर प्रसूति प्रसुविधा का भुगतान - प्रसूति प्रसुविधा के हकदार महिला की मृत्यु होने पर इसका भुगतान उसके द्वारा नामित व्यक्ति को किया जावेगा अथवा उसके वारिस को दिया जावेगा।
चिकित्सा बोनस का भुगतान - अगर मालिक किसी प्रसूति प्रसुविधा की हकदार महिला को उसके बच्चे के जन्म से पहले और उसे बाद में मुफ्त चिकित्सकीय सुविधा नहीं देता है तो वह उस महिला को 250/- रू. देगा।
गर्भपात आदि के दौरान छुट्टी - अगर किसी महिला का गर्भपात हो जाता है, तो वह इससे संबंधित प्रमाण-पत्र दिखाकर प्रसूति प्रसुविधा के अंतर्गत गर्भपात के दिन से 6 सप्ताह की छुट्टी और मजदूरी की हकदार हो जावेगी। ऐसी महिला जो गर्भावस्था, बच्चे के जन्म से संबंधित समय से पहले शिशु के जन्म, या गर्भपात से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हो तो वह इस अधिनियम के अंतर्गत मिलने वाली छुट्टी के अलावा अधिकतमक एक महीने की छुट्टी पाने की हकदार होगी।
बच्चे को दूध पिलाने की छुट्टी - बच्चे के जन्म के बाद महिला को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए काम के दौरान दो बार का समय मिलेगा, जो नियमित आराम के समय के अलावा होगा।
यह सुविधा बच्चे के 15 महीने के होने तक मिलेगी।
गर्भावस्था के कारण अनुपस्थिति के दौरान सेवामुक्त - इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई महिला अपने काम से गर्भावस्था में अनुपस्थित रहती है तो इसके कारण अथवा इस दौरान मालिक उसको सेवामुक्त नहीं कर सकता।
अगर फिर भी उसे सेवामुक्त कर दिया जाता है तो वह सेवामुक्ति के 8 दिनों के अंदर संबंधित अधिकारी के पास दावा पेश कर सकती है।
सामान्य तौर पर गर्भावस्था के दौरान सेवामुक्त करने पर भी महिला प्रसूति प्रसुविधा और चिकित्सकीय बोनस की हकदार होगी। परंतु जहां पर महिला को सेवामुक्त उसके द्वारा किसी गलत या बुरे व्यवहार के कारण किया गया हो, वहीं मालिक, महिला को लिखित आदेश द्वारा प्रसूति प्रसुविधा या चिकित्सकीय बोनस या दोनों से वंचित कर सकता है।
कुछ मामलों में मजदूरी में कटौती न किया जाना - प्रसूति प्रसुविधा के हकदार महिला के मजदूरी में से प्रसूति प्रसुविधा के आधार पर उसे दिए गए काम की प्रकृति अथवा उसे शिशु के पोषण के लिए मिलने वाले विश्राम के कारण मजदूरी में कोई कटौती नहीं की जावेगी।
प्रसूति प्रसुविधा का न मिलना - यदि कोई महिला प्रसूति प्रसुविधा के अंतर्गत मिलने वाली छुट्टी के समय किसी अन्य प्रतिष्ठान में काम करती है तो उसका प्रसूति प्रसुविधा का दावा समाप्त हो जाएगा।
मालिक द्वारा अधिनियम का उल्लंघन किए जाने पर सजा - प्रसूति प्रसुविधा का भुगतान न किए जाने पर अथवा किसी महिला को इस दौरान सेवामुक्त करने पर मालिक को तीन महीने से लेकर 1 साल तक ली जेल या दो हजार रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।
निरीक्षकों के कर्तव्य एवं शक्तियॉं -
1- किसी स्थानीय या लोक प्राधिकारी, अन्य स्थान जहां पर महिलाएं काम करती हैं, वहां जाकर रजिस्टर, रिकार्ड आदि का निरीक्षण करना।
2- वहां काम करने वाले किसी व्यक्ति की जांच करना।
3- मालिक से वहां काम करने वाले लोगों का नाम, पता उनके वेतन, आवेदन, नोटिस के बारे में जानकारी देना।
4- किसी रजिस्टर, रिकार्ड नोटिस आदि की कापी लेना।
यदि किसी महिला को प्रसूति लाभ या कोई अन्य रकम जिसकी वह हकदार है, नहीं मिलती है या उसका मालिक इस अधिनियम के अंतर्गत मिलने वाली छुट्टी के कारण अथवा इस दौरान उसे सेवामुक्त कर देता है तो वह निरीक्षक को आवेदन देकर शिकायत कर सकती है तो प्रसूति लाभ देने का आदेश दे सकता है या सेवामुक्त होने की दशा में जो उचित समझे वह आदेश दे सकता है।
कोई व्यक्ति जो निरीक्षक के आदेश से संतुष्ट नहीं है, वह 30 दिन के अंदर नियुक्त किए गए अधिकारी के समक्ष अपील सकता है, ऐसे अधिकारी का आदेश अंतिम आदेश होगा।
अगर कोई व्यक्ति निरीक्षक को रजिस्टर अथवा रिकार्ड नहीं देता है या किसी व्यक्ति को निरीक्षक के समक्ष आने से रोकता है, उसे एक वर्श तक की जेल व 5 हजार रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।
महिला अपने नियोजक से 250/- रू. चिकित्सकीय बोनस पाने की हकदार
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