भाग-1
सन् 1976 से पूर्व हमारे यहां संविधान में मौलिक अधिकारों का ही उल्लेख था, लेकिन यह हम सभी जानते हैं कि मात्र अधिकारों का निर्वाह हो सकता, कर्तव्य भी साथ-साथ आवश्यक है।
यदि कह दिया जाये तो कोई अतिष्योक्ति नहीं होगी कि अधिकारों और कर्तव्यों का चोली-दामन का साथ है। अधिकारों के बिना कर्तव्यों की कल्पना नहीं की जा सकती, तो कर्तव्यों के बिना अधिकारों की भी कल्पना व्यर्थ है। यदि कर्तव्य है तो अधिकार अपने आप उपलब्ध हो जाते हैं, अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए सन् 1976 में संविधान में 42 वां संशोधन किया गया और इस संशोधन के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए कतिपय मौलिक कर्तव्य निर्धारित किये गये जो निम्नलिखित हैं:-
भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह:-
1. संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें।
3. भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें उसे अक्षुण्ण रखें।
4. देश की रक्षा करें और आह्नान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध है।
6. हमारी संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें।
7. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीवन है, रक्षा करें और उसका संवर्धन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखें।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहें
10. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत्
प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाईयों को छू ले।
भाग-2
राष्ट्रीय ध्वज
1. 22 जुलाई 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा के समक्ष राष्ट्रीय ध्वज प्रस्तुत कर पंजीकृत किये जाने का प्रस्ताव रखा। जिसका स्वरूप एवं प्रारूप अंगीकृत किया गया और 15 अगस्त सन् 1947 को राष्ट्रीय ध्वज प्रथम बार दिल्ली में सचिवालय पर फहराया गया जो राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।
2. राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्र की भावना, राष्ट्रीय परंपरा संस्कृति को प्रतिदर्शित करता है और नई परंपराओं नई विचारधारा, नये विकास और मानवता की सुख समृद्धि को अंगीकृत करता है।
इसकी विशेषता इसकी निरंतरता में है। यह त्याग की भावना को प्रदर्शित करता है। यह प्रत्येक भारतीय को याद दिलाता है, भारत के लोगों के स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान की व भारतीयों की आशाओं, इच्छाओं, राष्ट्र के आदर्शों, आकांक्षाओं, अहिंसा व शांति का प्रतीक है।
3. राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन को नियंत्रित करते हुए भारत सरकार ने ध्वज संहिता निर्मित की है।
जिससे लोगों को राष्ट्रीय ध्वज के सही उपयोग के प्रति जागरूक हो सके। राष्ट्रीय ध्वज विभिन्न अवसरों पर फहराया जाता है और इसका सही प्रयोग किस प्रकार किया जाय इसके लिए ध्वज संहिता में हिदायतें दी हैं।
4. जब किसी भी ध्वज सरकारी तौर पर फहराया जाये तो सिर्फ ऐसा ध्वज काम में लाया जायेगा जो भारतीय मानक संस्थान (इंडियन स्टेण्डर्डस इंस्टीट्यूशन) के निर्धारित विशिष्टियों के अनुरूप हो और जिस पर संस्थान का मानक चिन्ह भी लगा हो। दूसरे अवसरों पर भी अच्छा यही है कि उपयुक्त आकार के ऐसे ध्वज फहराये जाये।
नीचे बताये गये मानक आकार के राष्ट्रीय ध्वज मिलते हैं:-
(1) 2‘ग 14‘ (2) 12‘ग 8‘ (3) 6‘ग 4‘ (4) 3‘ग 2‘ (5) 9‘ग 6‘ (6) 2‘ग 14‘ फहराये जाने के उपयुक्त आकार के ध्वज का चुनाव करना चाहिए। सबसे छोटा ध्वज मोटर कार के लिए है।
नोट:- राष्ट्रीय ध्वज पांच मानक आकारों में मिलता है। मेसर्स खादी ग्रामोद्योग भण्डार, बंबई, भारतीय मानक संस्थान द्वारा निर्धारित विशिष्टियों एवं किस्म के अनुसार सूती खादी के राष्ट्रीय ध्वज बनते हैं।
5. आमतौर पर राष्ट्रीय ध्वज महत्वपूर्ण सार्वजनिक इमारतों जैसे उच्च न्यायालयों, सचिवालय, कमिश्नर कार्यालयों, जिला कचहरियों, जेल तथा जिला मंडल के कार्यालयों, नगर पालिकाओं तथा जिला परिषदों जैसी मुख्य सार्वजनिक इमारतों पर फहराया जायेगा। सीमांत क्षेत्रों में सीमा शुल्क चौकियों, जांच (बैंक, पोस्ट, सीमा चौकियों, आउट पोस्ट) और दूसरी ऐसी खास जगहों पर, जहां कि ध्वज फहरने का विशेष महत्व होता है ध्वज फहराया जा सकता है। इसके अलावा सीमांत प्रहरियों (बार्डर पेट्रोल) के शिविरों पर भी ध्वज फहराया जा सकता है।
6. निम्नलिखित महानुभावों के मुख्यालयों पर उनके स्थायी निवास स्थानों और मुख्यालय से बाहर जहां यह वास करें, राष्ट्रीय ध्वज फहराया जायेगा तथा जैसी ही ऐसे महानुभाव उस स्थान को छोड़ते हैं तब राष्ट्रीय ध्वज उतार दिया जायेगा और जैसे ही वह ऐसी इमारत में वापस पदार्पित करते हैं राष्ट्रीय ध्वज पुनः फहराया जायेगा।
1. राष्ट्रपति 2. उपराष्ट्रपति 3. राज्यपाल 4. लेफ्टीनेंट गवर्नर बाहर के देशों में जहां कि राजनायिक प्रतिनिधियों में अपना राष्ट्रीय ध्वज सरकारी निवास स्थानों पर फहराने की परंपरा है, दूतावासों के अध्यक्ष ध्वज फहरा सकते है। ऐसी ही परिस्थितियों में, यदि उनके कार्यालय उनके निवास स्थान से भिन्न हो, तो उन कार्यालयों पर भी ध्वज फहराया जा सकता है।
7. शिक्षण संस्थानों, खेल-कूद शिविरों में ध्वज फहराना - राष्ट्रीय ध्वज स्कूलों, कालेजों, खेल-कूद शिविरों तथा बाल शिविरों आदि में विशेष अवसरों पर और साथ ही राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान बढ़ाने के लिए फहराया जा सकता है, इस संबंध में मार्गदर्शन के लिए निर्देश अनुबंध में दिये गये हैं।
ध्वज फहराने के लिए निर्देश:-
(1) स्कूल के विद्यार्थी एक खुले वर्ग की आकृति बनाकर इकट्ठे होंगे, जिसकी तीन भुजाओं पर विद्यार्थी खडे़ होंगे और चौथी भुजा के बीच में ध्वजदण्ड गड़ा होगा। मुख्य अध्यापक, मुख्या छात्र को फहराने वाला व्यक्ति (यदि वह मुख्य अध्यापक न होकर कोई दूसरा हो) ध्वज के डंडे से तीन कदम पीछे खडे़ होंगे।
(2) छात्र कक्षा क्रम से दस-दस के दल में (अथवा कुल संख्या के अनुसार किसी दूसरे हिसाब से) खडे़ होंगे ये एक के पीछे एक होंगे। कक्षा का मुख्य छात्र अपनी कक्षा की पहली पंक्ति की दायी ओर खड़ा होगा। कक्षाएं वर्ग की आकृति बनाते हुए इस प्रकार खड़ी होगी कि सबसे ऊंची कक्षा दायी ओर से रहे बाद में उतरते क्रम से और कक्षाएं आयें।
(3) हर पंक्ति के बीच कम से कम एक कदम (30 इंच) का फासला होना चाहिए और उतना ही फासला हर कक्षा के बीच में होना चाहिए।
(4) जब हर कक्षा तैयार हो जाये तो कक्षा का नेता आगे बढ़कर स्कूल के चुने हुए छात्र नेता को अभिवादन करेगा। जब सारी कक्षाएं तैयार हो जाये तो स्कूल का छात्र नेता मुख्य अध्यापक की ओर बढ़कर उसका अभिवादन करेगा। इसके बाद ध्वज फहराया जायेगा। इसमें स्कूल छात्र नेता सहायता कर सकता है। स्कूल का छात्र नेता जिसे परेड (या सभा) का भार सौंपा गया है ध्वज फहराने से ठीक पहले परेड को ’’सावधान’’ हो जाने की आज्ञा देगा और ध्वज के लहराने पर अभिवादन करने की आज्ञा देगा। परेड कुछ देर तक अभिवादन की अवस्था में रहेगी और फिर ’’आर्डर’’ का आदेश पाने पर ’’सावधान’’ अवस्था में जा जायेगी।
(5) ध्वज अभिवान के बाद राष्ट्रगान ( जन गण मन) होगा। उसक समय परेड सावधान अवस्था में रहेगी।
(6) शपथ लेने के सभी अवसरों पर शपथ राष्ट्रगान के बाद ली जायेगी शपथ लेने के समय सभा सावधान अवस्था में रहेगी।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’ फ्लॉप शो का उल्टा-पुल्टा कलाकार - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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