132- अतः स्पष्ट है कि अभियोजन अ.सा.76 आर0के0 राय एवं अ.सा.77 राकेश भट्ट एवं अ.सा.45 धीरज शर्मा के साक्ष्य के माध्यम से आरोपी मंगल सिंह के बयान मेमोरेण्डम एवं की गयी जप्ती के तथ्य को शंका से परे प्रमाणित करने में सफल हुआ है।
नोट- आरोपी शैलेन्द्र ठाकुर के मेमोरण्डम एवं जप्ती के संबध में प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों के साक्ष्य की विवेचना के समय अ.सा.76 आर0के0 राय के साक्ष्य का उल्लेख एवं विवेचन इस निर्णय की कंडिका क्रमांक 78 से 81 में किया जा चुका है ।
शेष आरोपियों के संबध में
133- चूंकि उक्त आरोपियों से कट्टा, पिस्टल, कारतूस व खोखा बरामद हुआ था, अतः उनके संबंध में अभियोजन द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य का विस्तार से उल्लेख किया गया है। जहां तक आरोपी राजू खंजर, आरोपी छोटू उर्फ कृष्णा, आरोपी पिताम्बर, आरोपी बिज्जू उर्फ महेश, आरोपी बच्चा उर्फ अब्दुल जैयद से लिए गए बयान मेमोरेण्डम एवं उनसे की गयी जप्ती का प्रश्न है तो प्रकरण के विवेचक अ.सा.76 आर0के0 राय, अ0सा077 राकेश भट्ट ने अपने -अपने साक्ष्य में जो कथन किया है, उससे एवं राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से निम्नलिखित तथ्य प्रमाणित होते हैं:-
1- आरोपी राजू खंजर के बयान मेमोरेण्डम प्रदर्श पी 44 के आधार पर उसके निवास से आर्टिकल-एस की बनियान एवं आर्टिकल -आई का लोहे का दांव प्रदर्श पी 45 के अनुसार जप्त किया गया है, जिसमें एफ.एस.एल. रिपोर्ट प्रदर्श पी 218 के अनुसार रक्त होना पाया गया है। उक्त दोनों बयान मेमोरेण्डम एवं जप्ती के साक्षी अ.सा.14 मनोज ने उसमें अपने हस्ताक्षर को होना स्वीकार किया है। आरोपी राजू खंजर की यह भी प्रतिरक्षा है कि अ0सा07 चंदन साव ने पिस्टल रखना बताया है, और अ0सा075 जे0एल0साहू के साक्ष्य की कण्डिका 25 के अनुसार लोहे के दांव में रक्त के धब्बे नही दिखे थे। इन प्रतिरक्षाओं के संबंध में इस न्यायालय का यह निष्कर्ष है कि अ0सा07 चंदन साव विशेष रूप से आरोपी राजू खंजर द्वारा पिस्टल रखना नही बताया है, इसके अतिरिक्त अ0सा075 जे0एल0साहू को भले ही दांव पर रक्त नही दिखा, लेकिन एफएसएल रिपोर्ट प्रदर्श पी 218 के अनुसार दांव में रक्त होना पाया गया है। अतः उक्त दोनों प्रतिरक्षाएं स्वीकार योग्य नही है।
2- आरोपी छोटू उर्फ कृष्णा के बयान मेमोरेण्डम प्रदर्श पी 100 के आधार पर आरोपी छोटू उर्फ कृष्णा से उसके निवास से आर्टिकल एल का लोहे का दांव जप्तीपत्र प्रदर्श पी 103 के अनुसार जप्त किया गया है।
3- आरोपी पिताम्बर के बयान मेमोरेण्डम प्रदर्श पी 101 के आधार पर उसके निवास से आर्टिकल-के का दांव प्रदर्श पी 104 के अनुसार जप्त किया गया है।
4- आरोपी विद्युत चौधरी के बयान मेमोरेण्डम प्रदर्श पी 158 के आधार पर उसके निवास से आर्टिकल-जे का एक लोहे का खुखरी जप्तीपत्र प्रदर्श पी 140 के अनुसार उपनिरीक्षक अ.सा.67 प्रकाश सोनी द्वारा जप्त किया गया है, जिसमें राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट प्रदर्श पी 218 के अनुसार रक्त पाया गया है। जहां तक अभियोजन साक्षी द्वारा मात्र बेनी चौधरी का उल्लेख किये जाने का प्रश्न है तो अभियोजन साक्षियों के प्रति परीक्षण में ऐसा कोई भी प्रश्न नही किया गया है कि बेनी चौधरी विद्युत चौधरी नही है।
5- आरोपी बिज्जू उर्फ महेश के बयान मेमोरेण्डम प्रदर्श पी 113 के आधार पर उसके निवास से भी एक लोहे का दांव जप्तीपत्र प्रदर्श पी 114 के अनुसार जप्त किया गया है तथा आरोपी बिज्जू उर्फ महेश के बयान मेमोरण्डम और जप्ती की कार्यवाही को अ.सा.45 धीरज शर्मा ने पूर्णतः प्रमाणित किया है।
6- आरोपी बच्चा उर्फ अब्दुल जैयद के बयान मेमोरेण्डम प्रदर्श पी 116 के आधार पर उसके निवास से एक बटनदार चाकू आर्टिकल-बी जप्तीपत्र प्रदर्श पी 117 के अनुसार जप्त किया गया है, जिसके साक्षी अ.सा.47 मनीष द्वारा जप्ती और मेमोरेण्डम पर अपने हस्ताक्षर को स्वीकार किया गया है।
134- अतः माननीय उच्चतम न्यायालय के उक्त उल्लेखित न्यायदृष्टांत के अनुसार प्रकरण के विवेचक ने उक्त आरोपियों के बयान मेमोरेण्डम एवं उनके आधार पर की गयी जप्ती की कार्यवाही को भी प्रमाणित किया है।
135- आरोपी सत्यन माधवन एवं आरोपी तपन के विद्वान अधिवक्ता द्वारा जप्तशुदा कट्टे एवं खोखे, कारतूस के संबंध में यह प्रतिरक्षा ली गयी है कि उसमें आरोपीगण के हस्ताक्षर नहीं है। अतः यह नहीं कहा जा सकता कि न्यायालय में प्रसतुत कट्टा व खोखा उनके आधिपत्य से जप्त किए गए है। इस संबंध में उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायालय का न्यायदृष्टांत 1995 क्रि.लॉ.जन. 3992 एस.सी. प्रस्तुत किया है। लेकिन इस न्यायदृष्टांत में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह सिद्धांत प्रतिपादित ही नहीं किया है कि जप्तशुदा संपत्ति कट्टा, कारतूस, खोखा में आरोपी का हस्ताक्षर होना चाहिए। इस न्यायदृष्टांत में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह पाया था कि आरोपी के कथन प्रदर्श पी 9 में आरोपी के हस्ताक्षर नहीं थे, जब कि इस प्रकरण में आरोपी प्रभाष सिंह, आरोपी सत्यन माधवन, आरोपी तपन सरकार और शेष सभी आरोपियों के हस्ताक्षर उनके सुसंगत कथनों में है, जिसका उल्लेख इस निर्णय की ऊपर की कंडिका में किया जा चुका है। अतः स्पष्ट है कि माननीय उच्चतम न्यायालय का उक्त न्यायदृष्टांत इस प्रकरण में लागू नहीं किया जा सकता है।
136- इस प्रकरण में आरोपीगण की यह भी प्रतिरक्षा है कि जप्तशुदा संपत्ति को मौके पर सीलबंद नहीं किया गया था और उसे रासायनिक परीक्षण हेतु भेजे जाने तक कहां रखा गया था, इसका कोई साक्ष्य नहीं है। यह बात सही है कि इस प्रकरण में जप्तशुदा संपत्तियों को रासायनिक परीक्षण हेतु भेजे जाने तक कहां रखा गया था, इस संबंध में प्रकरण में कोई साक्ष्य नहीं है। स्वयं अ.सा.76 आर0के0 राय ने इस संबंध में स्वीकारोक्ति अपने साक्ष्य की कंडिका 97 में किया है, लेकिन आरोपी की यह प्रतिरक्षा स्वीकार योग्य नहीं है कि अ.सा.76 आर0के0 राय और अ.सा.77 राकेश भट्ट ने जप्तशुदा संपत्तियों को मौके पर सीलबंद नहीं किया था। जहां तक जप्त कट्टा, कारतूस, खाली खोखे का प्रश्न है तो आरोपी शैलेन्द्र से की गयी जप्ती की कार्यवाही, आरोपी प्रभाष सिंह से की गयी जप्ती की कार्यवाही प्रदर्श पी 54, आरोपी तपन सरकार से की गयी जप्ती की कार्यवाही प्रदर्श पी 55, आरोपी सत्यन माधवन से की गयी जप्ती की कार्यवाही प्रदर्श पी 72, आरोपी मंगल सिंह से की गयी जप्ती की कार्यवाही प्रदर्श पी 112, आरोपी बिज्जू से की गयी जप्ती की कार्यवाही प्रदर्श पी 114, आरोपी बच्चा उर्फ अब्दुल जैयद से की गयी जप्ती की कार्यवाही प्रदर्श पी 117 के जप्तीपत्र में ही यह उल्लेख है कि जप्त वस्तुओं को सीलबंद किया गया। यद्यपि उस सील को चस्पा नहीं किया गया है। तथापि यदि जप्तीपत्र में ही सीलबंद होने का उल्लेख है, तब यह मानने के लिए प्रकरण में कुछ भी नहीं है कि उक्त आरोपियों से जप्त संपत्ति को मौके पर सीलबंद नहीं किया गया था।
137- इसके अतिरिक्त कार्यालय, निदेशक, राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला के पत्र प्रदर्श पी 218 में भी यह उल्लेखित है कि -
इस कार्यालय में दिनांक 17/08/05 को प्राप्त हुए उसमें 11 पैकेट चिन्हित ए, बी, सी, डी, आई, जे, के, एल, एम, एन, ओ पाए गए जो कपड़े और चिन्दी के आवरण में थाना व अस्पताल के नमूना चपड़ा सील से सीलबंद थे । सील अविकल मिली । इस संबंध में अ.सा.76 आर0के0राय ने अपने साक्ष्य की कंडिका 39 में कथन किया है कि दिनांक 29/7/05 को पत्र क्रमांक पत्र क्रमांक-उमनि/वपुअ/ डीपीओ/दुर्ग/264/05 के द्वारा निदेशक, एफएसएल रायपुर को क्रमांक 1 से 15 तक की सामग्री आर्टिकल ए से ओ तक परीक्षण हेतु भेजी गयी थी । पत्र के अ से अ भाग पर उनके हस्ताक्षर है जो कि प्रदर्श पी 212 है।
138- अतः प्रदर्श पी 212 एवं प्रदर्श पी 218 के अवलोकन से ही यह दर्शित होता है कि राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला को कुल 11 पैकेट में 15 संपत्ति दिनांक 17/8/05 को प्राप्त हुई थी, जिसमें ‘‘थाने की सील और अस्पताल का नमूना सील‘‘ अंकित है। अतः ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि प्रकरण के विवेचक अ0सा076 आर0के0 राय, एवं अ.सा.77 राकेश भट्ट ने जप्तशुदा संपत्ति को मौके पर सीलबंद नहीं किया था ।
139- कंडिका इसी प्रकार अ.सा.76 आर0के0 राय ने अपने साक्ष्य की 39 में यह कथन किया है कि उन्होंने क्रमांक-उमनि/वपुअ/डीपीओ/दुर्ग/265/05 दि0 29/07/05 के द्वारा केंद्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला चंडीगढ़ को आर्टिकल ए से जी तक की सामग्री परीक्षण हेतु भेजी थी, जो प्रदर्श पी 213 है, जिसके अ से अ भाग पर उनके हस्ताक्षर है । इस साक्षी का यह भी कथन है कि उन्होंने एक प्राधिकार पत्र केंद्रीय प्रयोगशाला को दिया था जो प्रदर्श पी 214 है।
140- इस संबंध में केंद्रीय राज्य विज्ञान प्रयोगशाला चंडीगढ़ के वैज्ञानिक अ.सा.63 डॉ.पी.सिद्दम्बरी ने अपने साक्ष्य की कंडिका 2 में कथन किया है कि उन्होने नमूना सील के अनुसार सीलबंद स्थिति में होना पाया था। इस साक्षी को नमूना सील भी प्रेषित की गयी थी, जिसके संबंध में उन्होंने अपने साक्ष्य की कंडिका 5 में कथन किया है कि उन्हें उक्त पत्र प्रदर्श पी 134-ए के साथ नमूना सील भी प्राप्त हुआ था। इस साक्षी ने स्वतः होकर कथन किया है कि परीक्षण के लिए सीलबंद संपत्ति नमूना सील के साथ ही ली जाती है। इस नमूना सील को इस साक्षी के परीक्षण के दौरान प्रदर्श पी 134 ए-बी एवं प्रदर्श पी 134-सी एवं प्रदर्श पी 135 से संबंधित नमूना सील को प्रदर्श पी 135 बी तथा फोटोप्रति को प्रदर्श पी 135 बी/सी अंकित किया गया है।
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