Tuesday, 16 August 2016
सुशील मुले आ0 रामचंद्र मुले विरूद्ध छ0ग0 शासन
न्यायालयः- श्री श्रीनारायण सिंह, चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के
जमानत आवेदन क्रमांक-1029/2016,
सुशील मुले आ0 रामचंद्र मुले, उम्र-42 साल,
निवासी-शिवाजी नगर, सुपेला भिलाई
जिला-दुर्ग (छ.ग.) ..........आवेदक/आरोपी
//विरूद्ध//
छ0ग0 शासन,
द्वाराः- जिला दंडाधिकारी,
दुर्ग (छ.ग.) ...................अभियोजन
में दिनांक- 12/08/2016 को पारित किया गया।
-------------------------------------------
12-08-2016 अभियुक्त/आवेदक सुशील मुले की ओर से श्री रवि शर्मा अधिवक्ता उपस्थित।
राज्य की ओर से विद्वान अति0 लोक अभियोजक श्री महेन्द्र सिंह राजपूत अधिवक्ता उपस्थित।
आवेदक/अभियुक्त की ओर से उसके अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 439 दं0प्र0सं0 जमानत पर रिहा किये जाने बाबत् प्रस्तुत आवेदन पत्र का निराकरण इस आदेश द्वारा किया जा रहा है।
आवेदक/आरोपी द्वारा प्रस्तुत प्रथम जमानत आवेदन पत्र संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक/आरोपी थाना सुपेला भिलाई पुलिस के द्वारा अपराध क्र0 656/16, धारा 295(क) भा0दं0वि0 एवं धारा 66 आई0टी0 एक्ट का अपराध पंजीबद्ध किया जाकर आवेदक/आरोपी को गिरफ्तार कर दिनांक 09/08/2016 को विचारण न्यायालय में रिमांड में पेश करने पर न्यायिक अभिरक्षा में निरूद्ध किया गया है। आवेदक/आरोपी द्वारा धार्मिक विरूद्ध संदेश भेजा है जो कि झूठा है वास्तव मंे आवेदक/आरोपी को प्रकरण में झूठे आधारो ंपर संलग्न किया गया है।
आवेदक/आरोपी इंजीनियर है उसके अधिक दिनों से न्यायिक अभिरक्षा में निरूद्ध रहने से उसके परिवार के समक्ष पालन पोषण की समस्या उत्पन्न हो जाय ेगी। आवेदक/आरोपी तथाकथित अपराध कारित नहीं किया है न ही उसका इस अपराध से किसी प्रकार का सरोकार है। आवेदक/आरोपी को उक्त अपराध में किसी साजिश के तहत दर्ज है। आवेदक/आरोपी जिला-दुर्ग (छ0ग0) का स्थायी निवासी है, जिसके भागने व फरार होने की कोई संभावना नहीं है। आवेदक/आरोपी जमानत पर रिहा होने के पश्चात् माननीय न्यायालय द्वारा अधिरोपित समस्त शर्तो ं का सशर्त पालन करने करेगा एवं जमानत उपरान्त अभियोजन साक्षियों को प्रभावित एवं प्रताडि ़त नहीं करेगा एवं प्रकरण के विचारण में पूर्ण सहयोग करेगा।
आवेदक/अभिय ुक्त की ओर से यह प्रथम जमानत आवेदन पत्र है, इसके पूर्व उसके द्वारा अग्रिम जमानत आवेदन अंतर्गत धारा 438 दं.प्र0सं0 खारिज किया गया है। आवेदक द्वारा गिरफतार होने के बाद धारा 439 दं0प्र0सं0 के तहत यह प्रथम जमानत आवेदन है इसके अतिरिक्त कोई अन्य जमानत आवेदन पत्र माननीय सत्र न्यायालय तथा माननीय उच्च न्यायालय में लंबित नहीं है और न ही निरस्त हुआ है, जिसके समर्थन में आवेदक ने स्वय ं का शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
आवेदक/आरोपी के अधिवक्ता ने आवेदन में दर्शाये अनुसार तर्क प्रस्तुत करते हुये जमानत पर रिहा किये जाने का निवेदन किया।
विद्वान अति0 लोक अभियोजक श्री संतोष शर्मा ने जमानत आवेदन का घोर विरोध करते हुये जमानत आवेदन को निरस्त करने का निवेदन किया।
उभयपक्ष के प्रस्तुत तर्क के परिप्र ेक्ष्य में प्रथम सूचना रिपोर्ट का अवलोकन किया गया। जिसके अनुसार प्रार्थी मिर्जा मोहम्मद बेग ने इस आशय की शिकायत आरक्षी केन्द्र सुपेला जिला दुर्ग में दर्ज कराई कि दिनांक 09/07/2016 को उसके मोबाईल नंबर 9926845654 में रात के 11.53 बजे मोबाईल सिम धारक 7869225138 के धारक सुशील मुले द्वारा मुस्लिम धर्मगुरू हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्ति जनक शब्द जैसे रमजान ने मोहम्मद की अपनी बेटी से सुहागरात की सालगिराह मोहम्मद ने अपनी चांद सी बेटी आइशा से निकाह किया था तब 30 दिनों तक आइशा मोहम्मद के साथ सोने को राजी नहीं हुई जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससे वह उसके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहु ंचा है जिसको शमशूल खान, अब्दुल नसीम खान को बताया है, जिससे हजरत मोहम्मद साहब के बारे में बहुत ही अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है जिसे पढकर धार्मिक भावनाये आहत है और उसे दुख व मानसिक कष्ट हुआ की रिपोर्ट दर्ज करायी गई। जिसके आधार पर आरक्षी केन्द्र में अपराध क्र0 656/16 धारा 295(क) भा0दं0वि0 एवं धारा 66 आई0टी0 एक्ट का अपराध पंजीबद्ध किया गया। तत्पश्चात आरोपी को दिनांक 09/08/2016 को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में निरूद्ध किया गया है।
आवेदक/अभियुक्त द्वारा कारित अपराध न्या0मजि0 प्रथम श्रेणी द्वारा विचारणीय होकर मृत्युदण्ड अथवा आजीवन कारावास से दण्डनीय नहीं है। विचारण मे समय लगने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता। आवेदक सुशील मूले दिनॉक 09-08-2016 से न्यायिक अभिरक्षा निरूद्ध है। गिरफ्तारी की कंडिका-11 के अनुसार वह मजदूरी करने के संबंध में उल्लेख किया गया है, तथा कंडिका-12 में खतरनाक होने, अक्सर सशस्त्र होने, आपराधिक रिकार्ड होने, फरार होने, अन्य प्रकरण से वंचिन होने का उल्लेख नहीं किया गया है और न ही उक्त संबंध में आरक्षी केन्द्र द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है।
अतः प्रकरण के तथ्यों, परिस्थितियां, अपराध की प्रकृति पर समग्रता से विचार करते हुए तथा आवेदक सुशील मूले के न्यायिक अभिरक्षा की अवधि को देखते हुए आवेदक/अभियुक्त को जमानत की सुविधा का लाभ दिया जाना निम्न शर्तो के साथ उचित प्रतीत होता है-
1. आवेदक/अभियुक्त द्वारा 15,000/-रू0 (अक्षरी पन्द्रह हजार रू0) की सक्षम प्रतिभूति एवं इतनी ही राशि का व्यक्तिगत बंधपत्र निम्न न्यायालय के सन्तुष्टि योग्य पेश किया जावेगा ।
2. आवेदक/अभियुक्त विचारण न्यायालय में विचारण की प्रत्येक कार्य वाही में नियमित रूप से उपस्थित होते रहेगे ।
3. आवेदक/अभियुक्त पुनः इस प्रकार के अपराध में संलिप्त नहीं रहेगे ।
4. आवेदक/अभियुक्त द्वारा अभियोजन साक्षियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं किया जावेगा ।
उपरोक्त शर्तो का पालन किये जाने पर आवेदक/अभियुक्त सुशील मूले आ0 रामचंद्र मूले उम्र-42 वर्ष निवासी-शिवाजी नगर, सुपेला, भिलाई जिला दुर्ग को जमानत पर रिहा किया जावे तथा उपरोक्त शर्तो में से किसी भी शर्त के अपालन की दशा में यह जमानत आदेश स्वमेव निरस्त माना जावेगा।
आदेश की प्रति संबंधित न्यायालय एवं केस डायरी आरक्षी केन्द्र सुपेला मय का आदेश की प्रति के साथ आदेश के पालनार्थ भेजी जावे।
प्रकरण समाप्त।
परिणाम दर्ज कर अभिलेखागार में भेजा जावे।
सही/-
(श्रीनारायण सिंह)
चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश,
दुर्ग (छ0ग0)
प्रतिलिपिः-
1-श्री पंकज शर्मा, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जिला-दुर्ग (छ0ग0) को
सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित ।
2-थाना प्रभारी थाना-सुपेला की ओर आदेश की प्रति सूचनार्थ प्र ेषित।
सही/-
(श्रीनारायण सिंह)
दुर्ग, चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश,
दिनॉंक 12/08/16 दुर्ग (छ0ग0)
About Media4U
Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
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