Saturday 24 September 2016
महिलाओं के कानूनी अधिकार . 2
दण्ड प्रक्रिया (जाब्ता फौजदारी) संहिता
इस सहिता की धारा 125 में भरण-पोंषण (खर्चा-पानी) देने बावत् प्रावधान है। यह मुस्लिम महिला को छोड़कर दूसरों को प्राप्त हो सकेगा। मुस्लिम महिला को तलाक के बाद ईद्दत की अवधि तक यह अधिकार होगा। यह पत्नि, बच्चों के अलावा बूढ़े मॉं-बाप को भी प्राप्त हो सकता है, जो अपनी संतान (लड़का-लड़की) में से किसी से भी चाहे वह शादी-शुदा हों, यह प्राप्त कर सकते हैं।
बच्चों की अभिरक्षा:-
माता-पिता के जीवित न रहने पर या माता-पिता का तलाक हो जाने पर बच्चों का लालन व पालन किसके द्वारा होगा यह तय करने के लिये ‘‘गार्जियन एण्ड वार्ड्स एक्ट‘‘ के नाम से एक कानून बनाया गया है।
तलाक के बाद बच्चों का क्या होगा?:-
बच्चा अगर छोटा है तो मॉं का कानूनी अधिकार है कि सात वर्ष का होने तक बच्चा उसी के पास रहेगा। पॉंच साल की उम्र के बाद बच्चा किसके पास रहेगा इस बात का निर्णय अदालत बच्चे के हित को ध्यान में रखते हुये लेगी।
बच्चे का हित अगर मॉं के पास रहने में हो तो बच्चा मां को दिया जायेगा। ऐसी स्थिति में बच्चा चाहे पिता के साथ न रहता हो तो भी पिता को उसका खर्चा वहन करना पड़ेगा।
न्यायालय नाबालिग बच्चों के शरीर व उसकी संपत्ति की सुरक्षा के लिये संरक्षक नियुक्ति कर सकती है जो न्यायालय के प्रति जबावदेह रहता है।
संपत्ति का अधिकार:-
हर महिला को अपने लिये, अपने नाम से संपत्ति खरीदने और रखने का अधिकार है। कोई महिला संपत्ति को जो चाहे कर सकती है, चाहे वह संपत्ति उसे मिली हो या उसकी कमाई की हो।
हर महिला को यह हक है कि अपनी कमाई के पैसे वह खुद ले वह उन पैसों से जो भी करना चाहे कर सकती है।
महिलाओं को यह भी अधिकार है कि पुरूषों की तरह वे भी संपत्ति खरीदे या बेचे। महिलाओं को अपने माता-पिता या दूसरे रिश्तेदार की संपत्ति का हिस्सा भी मिल सकता है, यह उनके निजी कानून पर निर्भर करता है। निजी कानून का मतलब है, वह कानून जो किसी समुदाय पर लागू होता है। जैसे- हिन्दू कानून, मुस्लिम कानून, ईसाई कानून तथा पारसी कानून आदि।
हिन्दू स्त्रियों के संपत्ति का अधिकार:-
आपका हिस्सा आपका अपना है और आप अपनी ईच्छानुसार निपटारा कर सकती हैं। वर्ष 1956 के पहले के कानून में हिन्दू स्त्रियों को ऐसे संपत्ति का पूरा अधिकार नहीं था, उन्हें सिर्फ अपने परवरिश हेतु संपत्ति का इस्तेमाल करने का हक था। जिसे सीमित अधिकार कहा जाता था। परंतु वर्ष 1956 के बाद से महिलाओं का संपत्ति पर पूरा हक है।
कोई महिला चाहे तो इसे बेच सकती है, चाहे तो किसी को दान या बख्शीश दे सकती है, या वसीयत में किसी के नाम छोड़ सकती है।
लड़कियों को भी लड़कों की तरह पिता की संपत्ति के बराबर का अधिकार दिया जा चुका है।
अगर विधवा दूसरी शादी कर ले, तो भी गुजरे हुये पति से मिली संपत्ति उसकी अपनी होगी।
वर्ष 2005 के हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन के द्वार महिलाओं को उनकी पैतृक संपत्ति में बराबर का अधिकार प्रदान किया गया है।
पत्नी के खर्चे का अधिकार:-
पत्नी को पति से खर्चा लेने का अधिकार होता है। यदि पति पत्नि खर्चा न दे तो वह अदालत के जरिये पति से खर्चा ले सकती है। यह अधिकार हिन्दू दत्तक और भरण-पोंषण अधिनियम 1956 के अंतर्गत दिया गया है।
यदि पत्नी किसी ठोस कारण से पति से अलग रहती है तो भी वह पति से खर्चा मॉंग सकती है।
ऐसे निम्न कारण हो सकता हैः-
पति ने उसे छोड़ दिया हो।
पति के दुर्व्यवहार से डरकर पत्नी अलग रहने लगी हो।
पति को कोढ़ हो।
पति का कोई और जीवित पत्नी हो।
पति का किसी दूसरी औरत से अनैतिक संबंध हो।
पति ने धर्म बदल दिया हो।
किंतु अगर पत्नी व्याभिचारिणी हो या वह धर्म बदल ले तो वह खर्चा मांगने की हकदार नहीं रहती।
बच्चों, बूढे या दुर्बल माता-पिता का खर्चा पाने का अधिकार:-
हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोंषण अधिनियम 1956 तथा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत जायज और नाजायज नाबालिग (18 साल से कम उम्र) बच्चों को माता पिता से खर्च मिलने का हक है। बूढ़े या शारीरिक रूप से दुर्बल मॉं-बाप को अपने बच्चे से (बेटे हो या बेटियॉं) खर्चा मिलने का हक है। यह खर्चा लेने का हक सिर्फ ऐसे लोगों को है जो अपनी कमाई या संपत्ति से अपना खर्च नही चला सकते।
विधवा को खर्च पाने का अधिकार:-
(हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोंषण अधिनियम 1956)
हिन्दू विधवा अपनी कमाई या संपत्ति से खर्च नही चला सकती हो तो उसे इन लोगों से खर्चा मिलने का हक हैः-
पति की संपत्ति में से या अपने माता-पिता की संपत्ति से।
अपने बेटे या बेटी से उनकी संपत्ति में से।
इन लोगों से यदि खर्चा न मिले तो उसके ससुर को उसका खर्चा देना होगा।
साभार - छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
About Media4U
Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
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