Wednesday, 28 September 2016

छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 संक्षिप्‍त जानकारी

 

यह जानकारी सभी को है कि छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत पुराने समय से ही जादू-टोना जैसी कुरीतियॉं एवं अंधविश्वास व्याप्त है। केवल इतना ही नहीं बल्कि महिलाओं को टोनही के नाम से कलंकित एवं प्रताड़ित भी किया रहा है और समाज में ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण मान्यता के कारण ही अत्याचार, कलह एवं हिंसा का वातावरण बना रहता है। जादू-टोना के भय के कारण समाज अविकसित, शोषित और दमित होकर रह गया है। टोनही के नाम पर छत्तीसगढ़ में हत्याएं हो रही है। इसी तारतम्य में माननीय उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के द्वारा एक रिट याचिका में सकारात्मक अभिमत प्रकट करते हुए उच्च न्यायालय ने विधायिका को उसके निवारण के लिए कानून बनाने के निर्देश दिये थे जिसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ राज्य की विधायिका ने छत्तीसगढ़ टोनही प्रताडना अधिनियम 2005 के नाम से इस अधिनियम का निर्माण किया जिससे समाज में स्वस्थ मानसिकता कायम हो सके और टोनही के नाम से उपेक्षित एवं प्रताड़ित व्यक्तियों को विधिक सुरक्षा प्रदान की जा सके। संक्षेप में टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 की संक्षिप्त जानकारी निम्नानुसार है:-
1. इस अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को टोनही के रूप में पहचान, अपने किसी भी कार्य, शब्दों, भाव भंगिमा या व्यवहार से नहीं कर सकेगा, जिससे ऐसे किसी भी व्यक्ति को कोई क्षति पहुंचने की आशंका हो अथवा उसकी सुरक्षा एवं सम्मान में कोई विपरीत प्रभाव पड़े क्योंकि ऐसा करना अपराध है।
2. छततसीगढ़ राज्य में अब किसी व्यक्ति को टोनही के रूप में पहचान करके किसी प्रकार से शारीरिक अथवा मानसिक रूप से प्रताड़ित नही किया जा सकेगा या नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा। क्योंकि ऐसा करना अपराध है।
3. जो कोई किसी व्यक्ति को टोनही के रूप में पहचान किए गये या टोनही द्वारा प्रभावित किये गये व्यक्ति, पशु या जीवित वस्तु पर ओझा के रूप में झाड़फूॅंक या तंत्र-मंत्र का उपयोग करके उपचार पर नियंत्रण करने का दावा करता हो तो वह भी एक अपराध है।
4. छततीसगढ़ राज्य में कोई व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता कि वह किसी प्रकार से काला जादू, बुरी नजर या किसी अन्य रीति से किसी व्यक्ति, पशु अथवा जीवित वस्तुओं को क्षति पहुंचाने की शक्ति रखता है। यदि कोई ऐसा करता है तो वह इस अधिनियम के अनुसार अपराध किया है, यह माना जायेगा।
5. कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को टोनही के रूप में पहचान करता है, या टोनही कहकर प्रताड़ित करता है या प्रभावित व्यक्ति को झाड़-फूॅंक कर उपचार करता है या उपचार करने का दावा करता है, या किसी व्यक्ति को टोनही होने का दावा करता है या इनमें से कोई भी कार्य करता है या कार्य करने का प्रयास करता है तो उस व्यक्ति को कारावास की सजा और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
6. जिस न्यायालय में इस अधिनियम के अधीन किसी व्यक्ति को कारावास की सजा के साथ-साथ जुर्माना होता है तो न्यायालय जुर्मानो की पूरी राशि या उसका कोई अंश व्यथित (परिवादी) व्यक्ति को क्षतिपूर्ति के रूप में दिला सकती है।
साभार - छत्‍तीसगढ़ राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण 
 CHHATTISGARH STATE LEGAL SERVICES AUTHORITY 

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