Monday, 12 September 2016
छत्तीसगढ़ राज्य विरूद्ध मोह. कासिम व अनवर (धारा 399, 201/402 भादंसं)
न्यायालय:- द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग (छ0ग0)
(पीठासीन अधिकारी - ऋ़षि कुमार बर्मन)
सत्र प्रकरण क्रं0-63/2004
संस्थित दिनॉंक -19/03/2004
छत्तीसगढ़ राज्य,
द्वारा - आरक्षी केन्द्र - पुरानी भिलाई,
जिला-दुर्ग (छत्तीसगढ़) --------अभियोजन
// विरूद्ध //
1- मोह. कासिम आत्मज मोह. फाजिल
उम्र 46 साल पेशा- कन्सट्रक्शन, निवासी- बैजनाथपारा,
अखाड़े के पास, थाना सिटी कोतवाली
रायपुर, जिला रायपुर (छ0ग0)
2- अनवर आत्मज शेख अमीर उम्र 46 साल
पेशा- कूलर रिपेयरिंग फिटिंग का कार्य,
निवासी- बैजनाथ पारा, रायपुर थाना सिटी कोतवाली
जिला रायपुर (छ0ग0)- ---- अभियुक्तगण
-----------------------------------------
न्यायालयः- श्री रामकुमार तिवारी, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजि0, दुर्ग,
जिला दुर्ग (छ0ग0) के दांडिक प्रकरण क्रं0-1822/2002, अपराध
क्रं0-175/1994, धारा 399, 201/402 भा0दं0सं0 छ0ग0 राज्य विरूद्ध
मोह. कासिम व अन्य 7 में पारित उपार्पण आदेश दिनॉंक 08/03/2004
से उत्पन्न सत्र प्रकरण।
-----------------------------------------
- निर्णय:-
(आज दिनॉंक 25/09/2014 को घोषित किया गया )
1- अभियुक्त मोह. कासिम एवं अनवर के विरूद्ध दिनांक 25-8-2004
को करीबन 16.35 बजे मुकाम कुम्हारी बस्ती बीरान झोपड़ा थाना पुरानी
भिलाई जिला दुर्ग अन्तर्गत पांच व्यक्तियों के समूह में से अधिक व्यक्तियों
का सदस्य होकर मनीष ठाकुर केडिया कम्पनी वाले के यहॉं डकैती करने
के लिये योजना तथा तैयारी कर डकैती की पूर्व तैयारी करने एकत्रित हुये
तथा डकैती करने की तैयारी करने हेतु धारा 399, 402 भा0द ं0सं0 के
अन्तर्गत दंडनीय अपराध घटित करने का आरोप है।
2- इस प्रकरण में पूर्व में अभियुक्त शमीम अख्तर, फ्य्याज मोहम्मद,
मोह. हामीद उर्फ पप्पू खान एवं राजू उर्फ राजकुमार के विरूद्ध दिनांक
3-2-2007 को निर्णय घोषित हो चुका है। चार अभियुक्तों के विरूद्ध
विचारण शेष है, जिसमें दो अभियुक्त मोह. कासिम एवं अनवर की
उपस्थिति पर उनके विरूद्ध प्रकरण में विचारण पुनः किया गया है।
3- अभियोजन मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 28-5-2004
को शाम करीब 4 बजे चौकी प्रभारी कुम्हारी को मुखबीर जरिये सूचना
मिली कि कुम्हारी बस्ती के पास खदान के सामने एक वीरान झोपड़े में कुछ व्यक्ति बैठकर डकैती करने की योजना बना रहे हैं, उस सूचना पर
रोजनामचा सान्हा क्रमांक 1036 पर दर्ज कर हमराह स्टाफ सहायक उप
निरीक्षक एम.एस. ठाकुर, प्रधान आरक्षक 878, 39 एवं आरक्षक क्रमांक
184, 820, 1371 तथा साक्षी शंकर चौरासिया, इलियास के साथ सूचना
प्राप्त घटना स्थल पर रवाना हुआ था और वहॉं पहुंचकर झोपड़े में झांककर वहॉं पर 8 व्यक्ति बैठे हुये थे, जिसमें एक मोटा व्यक्ति जिसने गुलाबी कमीज पहनी थी, उसने कहा कि अनवर तुम राजू, पप्पू खान,
शमीम अख्तर, इलाउद्दीन एक साथ रहना तथा फैय्याज तथा
सतीश एक साथ रहेंगे, तब अनवर ने मोटा व्यक्ति का नाम लेकर ठीक
है, कासिम। सभी आठों व्यक्तियों के हाथ में तलवार तथा अन्य हथियार
थे। आपस में वे बातचीत कर रहे थे। अनवर ने कहा मैं तथा फ्य्याज
वह जगह देखकर आये हैं, वह आफिस केडिया कम्पनी के निकट में है,
जिसकी देख रेख मनीष ठाकुर करता है, वहीं उनका पैसा रखा है, जब दो
पार्टी बनाकर मारपीट कर लूट करेंगे तथा जो भी आदमी मिलेगा, उसे
खत्म कर देंगे और उन्हें बचाने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं है। अभियुक्तों
की बात सुनकर पुलिस के कर्मचारियों तथा साक्षियों ने झोपड़े को घेर
लिये और पुलिस की आवाज सुनकर झोपड़े में बैठे हुये अभियुक्तगण
भागने का प्रयास किये थे, तब उन्हें दौड़ाकर हथियार सहित पकड़ा गया,
वहॉं पर तलाशी में अभियुक्त इलाउद्दीन, शमीम अख्तर, राजू उर्फ
राजकुमार, अनवर, फैय्याज, मोह. कासिम के पास से एक-एक तलवार
तथा पप्पू खान से एक कटार और सतीश ठाकुर के पास से एक फरसा
गवाहों के समक्ष जप्त कर जप्ती पंचनामा बनाया गया और घटना स्थल
पर तीन बड़े तलवार, दो छोटी तलवार, एक गुप्ती तथा चार हाकी स्टिक
मिले, उनकी भी जप्ती बनाया गया तथा अभियुक्तों को गिरफ्तार कर
अपराध की सम्पूर्ण विवेचना पश्चात् न्यायिक मजि. प्रथम श्रेणी, दुर्ग के
न्यायालय में अभियुक्तों के विरूद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था।
4- तात्कालीन न्यायिक मजि. प्रथम श्रेणी, दुर्ग के द्वारा प्रकरण
माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के न्यायालय में उपार्पित किया
गया था और वह सत्र प्रकरण क्रमांक 63/2004 पंजीबद्ध हुआ था, और
वह प्रकरण माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दुर्ग के आदेशानुसार
अंतरण पर प्राप्त हुआ है।
5- अभियुक्तों के विरूद्ध न्यायालय ने धारा 399, 402 भा0द ं0सं0 का
आरोप विरचित कर उन्हें पढकर सुनाये व समझाये जाने पर उन्होंने
आरोप से इंकार कर विचारण चाहा था।
6- अभियुक्तों ने धारा 313 द.प्र.सं. के अन्तर्गत अपने परीक्षण में स्वयं को निर्दोष होना और झूठा फंसाये जाना व्यक्त किये हैं और उनकी ओर
से प्रतिरक्षा में कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
7- प्रकरण के निराकरण हेतु निम्न विचारणीय प्रश्न हैंः-
1- क्या घटना दिनांक 28-5-1994 को करीबन 16.35 बजे मुकाम
कुम्हारी बस्ती के आगे विरान झोपड़ा में थाना पुरानी भिलाई
अन्तर्गत 5 या अधिक व्यक्तियों की संख्या में अभियुक्तगण समूह
बनाकर केडिया कम्पनी में डकैती डालने की योजना बनाकर
तैयारी कर रहे थे ?
2- क्या अभियुक्तगण उक्त घटना दिनांक को डकैती डालने की
योजना एवं तैयारी में भाग लिये थे ?
विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 एवं 2 पर निष्कर्ष/आधार
8- विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 एवं 2 के तथ्य एक दूसरे से जुड़े हुये है, साक्ष्य की पुनरावृत्ति न हो, इसलिये सुविधा की दृष्टि से एक साथ निराकरण किया जा रहा है।
9- अभियुक्त मोह. कासिम एवं अनवर के विरूद्ध अभियोजन की ओर से प्रकरण में अभियोजन घटना में घटना स्थल में अभियुक्तों से सम्पत्ति जप्ती व अभियुक्तों को गिरफ्तार करने से संबंधित दो साक्षियों इलियास तथा शंकर चौरसिया में से इलियास का प्रस्तुत किया गया है । इलियास (असा. 1) को पूर्व में भी दिनांक 8-12-2004 को हुये बयान में अभियुक्तों को जानने व पहचानने से इंकार करते हुये अभियुक्तों से किसी वस्तु की जप्ती से भी इंकार करते हुये पक्षद्रोही हो गया था और पक्षद्रोही होने के पश्चात् यह अभियोजन की ओर से प्रस्तुत सुसंगत तथा महत्वपूर्ण सुझावो ं को अस्वीकार किया था और दिनांक 8-9-2014 को पुनः अभियुक्त मोहकासिम एवं अनवर के विरूद्ध हुये बयान में भी उसने अभियुक्तों को नहीं जानता, पहचानना का कहते हुये उनसे किसी वस्तु की जप्ती नहीं की गई थी, कहते हुये अभियुक्तों से अभियोजन घटना अनुसार तलवार, हाकी स्टिक, कटार की जप्ती का समर्थन नहीं किया है, उसे जप्ती पत्रक प्रपी. 6, गिरफ्तारी पत्रक प्रपी. 11 पर अपने हस्ताक्षर को प्रमाणित किया है, लेकिन उन दस्तावेजों को कोरे अवस्था में हस्ताक्षर करना बताया है और इस साक्षी को अभियोजन द्वारा पक्षद्रोही घोषित कर सूचक प्रश्न पूछे जाने पर अभियोजन की घटना को सुसंगत व महत्वपूर्ण सुझावो को उसने स्वीकार नहीं किया है तथा अभियोजन घटना का कोई समर्थन उसकी साक्ष्य से नहीं हुआ हैॅ पूर्व में दूसरे स्वतंत्र जप्ती तथा गिरफ्तारी साक्षी शंकर चौरसिया का दिनांक 17-12-2005 को हुये अपने बयान में अभियुक्तों को नही पहचानने, घटना की कोई जानकारी नहीं है, कहा था। सभवतः इसीलिये अभियोजन की ओर से अभियुक्त मोह. कासिम एवं अनवार के विरूद्ध इस साक्षी को आहुत नहीं किया गया है।
10- स्वतंत्र साक्षी पुनीतराम पटेल ने भी दिनांक 24-2-2005 को हुये बयान में अभियुक्तों ने नहीं जानता, पहचानता कहते हुये पुलिस को बयान देने से भी इंकार किया है और अभियोजन घटना का समर्थन नहीं किया है। संभवतः इसीलिये अभियोजन की ओर से अभियुक्त मोह. कासिम एवं अनवर के विरूद्ध आहुत नहीं किया गया है।
11- प्रकरण में घटना के विवेचक तात्कालीन उप निरीक्षक एस.एनअख्तर (असा. 4) जिसका बयान दिनांक 22-9-2005 को हुआ था, उसने अपने साक्ष्य की कंडिका 2 में उसने तथा गवाहों ने झोपड़े को घेर कर झोपडे के अंदर बैठे अभियुक्तों से तलवार, लोहे का कटार सहित पकड़कर उनसे तलवार की जप्ती करना बताया है और उसने अपने प्रतिपरीक्षण की कंडिका 6 में स्वीकार किया है कि अभियुक्तगण जिस व्यक्ति का नाम ले रहे थे, उसी आधार पर उनका नाम लिखे गये हैं। आगे यह भी बताया है कि वह रिकार्ड देखकर ही बता सकता है। बिना रिकार्ड देखे अभियुक्तों का नाम भी नहीं बता सकता। अर्थात् यह साक्षी अभियुक्तों को चेहरे से नहीं पहचानता, केवल अभियुक्तों के विरूद्ध मामला बनाया है, उसे रिकार्ड देखकर ही अभियुक्तों का नाम बता सकता है। प्रकरण में उसने स्वतंत्र साक्षी इलियास और शंकर चौरसिया के समक्ष अभियुक्तों से तलवार, लोहे की कटार और घटना स्थल से तलवार और हाकी स्टिक वगैरह जप्त किया था, लेकिन उसका समर्थन दोनों ही स्वत ंत्र साक्षियों ने नहीं किये हैं। तात्कालीन प्रधान आरक्षक पोखन सिंह राजपूत इस प्रकरण में अभियुक्त मोह. कासिम एवं अनवर के विरूद्ध साक्षी के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन उसने अपने साक्ष्य में बताया है कि मुखबीर से जो सूचना मिली थी, उसे रोजनामचा सान्हा दिनांक 28-5-1994 में दर्ज किया था, मुख्य परीक्षण में ही बताया है कि चालन के साथ रोजनामचा सान्हा संलग्न नहीं है, अर्थात् मुखबीर से मिली सूचना संबंधी लिखे रोजनामचा सान्हा को प्रस्तुत कर प्रमाणित नहीं किया गया है। पूर्व में भी इस साक्षी के द्वारा दिनांक 22-9-2005 को दिये गये बयान ऐसा ही साक्ष्य दिया गया है।
12- उपरोक्त परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से प्रकरण में अभियुक्तगण घटना तिथि को घटना स्थल पर मौजूद थे, यह प्रमाणित नहीं होता है। स्वतंत्र साक्षी इलियास, शंकर चौरसिया ने अभियुक्तों की उपस्थिति एवं उनकी पहचान को प्रमाणित नहीं किये हैं और अभियुक्तों से घटना स्थल पर जप्त किये गये तलवार एवं अन्य हथियारों की जप्ती करना भी प्रमाणित नहीं किये हैं। घटना की सूचना मुखबीर द्वारा जो मिली थी, उसे रोजनामचा सान्हा में लिखा गया था, लेकिन रोजनामचा सान्हा भी प्रमाणित नहीं किया गया है। घटना के विवेचक श्री एस.एनअख्तर के साक्ष्य का समर्थन स्वतंत्र साक्षी इलियास, शंकर चौरसिया ने नहीं किये हैं, जबकि अभियोजन घटना अनुसार उन दोनों साक्षियों को मुखबीर की सूचना बताकर उन्हें घटना स्थल पर ले जाया गया था, लेकिन उक्त साक्षी अभियोजन घटना के विवेचक एस.एन. अख्तर द्वारा दिये गये कथनों का समर्थन नहीं करते हैं, ऐसी स्थिति में घटना तिथि 28-5-1994 को अभियुक्तगण पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह बनाकर डकैती की योजना एवं तैयारी कर कुम्हारी बस्ती के आगे विरान झोपडे में एकत्रित हुये थे और डकैती के प्रयोजन में भाग लेने के आशय से एकत्रित हुये थे, यह प्रमाणित नहीं होता है। फलस्वरूप अभियोजन का मामला शंका से परे अभियुक्त मोह. कासिम एवं अनवर के विरूद्ध प्रमाणित नहीं होता है। फलस्वरूप विचारणीय प्रश्न क्रमांक 1 एवं 2 को प्रमाणित होना नहीं पाया जाता है । परिणामस्वरूप अभियुक्त मोहकासिम एवं अनवर को आरोपित अपराध धारा 399, 402 भा0दं 0सं0 के दं डनीय अपराध से शंका का लाभ देते हुये दोषमुक्त करते हुये स्वतंत्र किया जाता है। उक्त अभियुक्तों के जमानत मुचलका निरस्त किया जाता है।
13- प्रकरण के दो अन्य अभियुक्त सतीश ठाकुर एवं इलाउद्दीन अनुपस्थित है, वे फरार हैं उनके विरूद्ध विचारण शेष है। ऐसी स्थिति में प्रकरण में जप्तशुदा सम्पत्ति के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
14- निर्णय की निःशुल्क प्रतिलिपि अति लोक अभियोजक एवं जिला दण्डाधिकारी को दी जावे ।
खुले न्यायालय में निर्णय मेरे निर्देशन में टंकित दिनांकित, हस्ताक्षरित कर घोषित।
(ऋषि कुमार बर्मन)
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश,
दुर्ग(छ0ग0)
25-9-2014
About Media4U
Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
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