- विक्रेता द्वारा बेचा गया कोई पदार्थ जो कि खरीददार की आशा से कम प्रकृति, गुण या महत्व का हो।
- अगर पदार्थ में कोई मिलावट हो जो कि उसके गुण, महत्व को प्रभावित करे या जिससे कोई हानि होती हो।
- अगर कोई सस्ता पदार्थ उस खाद्य पदार्थ में मिलाया गया हो, जिससे उसके गुण और महत्व में कमी हो तथा वह हानिकारक हो।
- अगर कोई पदार्थ अस्वच्छ अवस्था में तैयार, पैक या रखा गया है, जिसमें वह गंदा या रोगयुक्त हो।
- अगर पदार्थ में किसी प्रकार का विष या कोई हानिकारक वस्तु मिली हो, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो।
- जिस डिब्बे में पदार्थ रखा गया हो, अगर वह डिब्बा किसी ऐसी चीज से बना है, जिससे वह पदार्थ जहरीला या स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाए।
- अगर पदार्थ में प्रतिबंधित रंग या अनुमति से अधिक मात्रा में रंग मिलाया गया हो।
- अगर पदार्थ का गुण, महत्व या उसकी शुद्धता तय किए गए मानक से कम है।
- दूध में पानी मिलावट खाद्य पदार्थ में मिलावट के अंतर्गत आती है।
निम्नलिखित परिस्थितियों में खाद्य पदार्थों को गलत नाम देना माना जाएगा:-
- अगर उसका नाम किसी दूसरे पदार्थ से ऐसे मेल खाता हो कि ग्राहक को धोखा हो जाए।
- अगर वह झूठ बोलकर उस पदार्थ को विदेशी बताया हो।
- अगर वह किसी और पदार्थ के नाम से बेचा जाए।
- अगर उसमें किसी भी प्रकार का बदलाव करके उसको ज्यादा मूल्य का दिखाया जाए।
- अगर उसके लेबल पर पैकेट के अंदर की वस्तुओं का विवरण न दिया गया हो या गलत विवरण दिया गया हो।
- अगर उसका लेबल किसी झूठे व्यक्ति या कम्पनी द्वारा बनाए जाने के बारे में बताता हो।
- अगर वह पोषक आहार के रूप में बनाया गया हो और उसका लेबल उसमें प्रयोग की गई सामग्रियों के बारे में न बताता हो।
- अगर उसमें कोई भी बनावटी रंग, खुशबू या स्वाद का प्रयोग हुआ हो, जिसके बारे में लेबल पर न लिखा गया हो।
- अगर उसका लेबल इस अधिनियम के अंदर बनाए गए नियमों के अनुसार न हो।
खरीददार (उपभोक्ता) के अधिकार:- इस अधिनियम के अंदर खरीददार या खरीददारों का संघ किसी भी खाद्य पदार्थ को सरकारी प्रयोगशाला में जांच करवा सकता है। जिसके लिए उसको निर्धारित फीस देनी पड़ेगी। जांच में अगर पदार्थ खाद्य पदार्थ में किसी भी प्रकार की मिलावट पायी गई, तो खरीददार या खरीददार संघ जांच के लिए दी गई फीस वापस पाने का हकदार है।
अपराध और सजा:- किसी भी मिलावटी पदार्थ जो कि स्वास्थ्य और शुद्धता के लिए हानिकारक हो, उसके आयात करने, बनाने, रखने, बेचने या बांटने से प्रतिकूल असर हो। यदि खाद्य निरीक्षक को उस खाद्य पदार्थ के नमूने लेने और उसके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही करने से रोका जाए। किसी भी खाद्य पदार्थ के लिए झूठी वारण्टी देना। उपभोक्ता अपराध के लिए कम से कम 6 माह और अधिकतम 3 वर्ष तक का कारावास और कम से कम 1000 रूपये का जुर्माना भी हो सकता है।
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