Sunday 30 October 2016
आप सबके फायदे का कानून, समझें और जानें
1. कोई भी असामाजिक व्यक्ति चाहे वह स्कूल, कालेज का छात्र हो, गुंडा तत्व हो, वह किसी भी महिला अथवा लड़की के साथ किसी भी तरह की छेड़खानी करता है, तो बिल्कुल चुप न रहिये। अपने परिवार के सदस्यों, पुलिस अथवा समाज के लोगों की जानकारी में लायें।
अपने सहयोगी अथवा सहेलियों को भी बतायें, अन्यथा ऐसे तत्वों के हौसले बढ़ेंगे और कोई बड़ी घटना भी वे घटित कर सकते हैं।
2. पति के पास जो भी जायदाद (खेती की जमीन, घर, प्लाट) है, वह पत्नी या दोनों के संयुक्त नाम पर भी रजिस्टर हो सकती है।
3. पत्नी को अपनी शादी के समय और बाद में माता-पिता और ससुराल से मुंह दिखाई के तौर पर जो कुछ भी मिला हो, वह स्त्री धन कहलाता है, उस पर कानूनी हक पत्नी का ही होता है।
4. कानून के तहत कोई भी गैर शादीशुदा या शादीशुदा औरत अनचाहा गर्भपात करवा सकती है। गर्भपात कराना औरत का निजी फैसला है, जिसके लिए उसे कोई भी नहीं रोक सकता है।
5. मॉं-बाप के बीच तलाक हो जाने के बावजूद बच्चे का पिता की जायदाद में हक/हिस्सा बराबर बना रहता है।
6. शादीशुदा पति-पत्नी संयुक्त रूप से अदालत में अर्जी पेश कर आपसी सहमति से बिना विलम्ब के तलाक प्राप्त कर सकते है।
7. जन्म, मुत्यु और विवाह का पंजीयन अवश्य करायें। इससे आप भविष्य में होने वाली परेशानियों से बचे रहेंगे।
8. किसी को टोनही कहना काननून गम्भीर अपराध है। आप दंडित हो सकते हैं।
9. किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य के विरूद्ध कोई अपमानजनक बात न करें, जातिगत गाली न दें, ऐसा करना गम्भीर प्रकृति का अपराध होता है, जो दण्डनीय तथा अजमानतीय है।
10. पी.आई.एल. द्वारा आम लोगों के फायदे या सार्वजनिक महत्व के मामले, जो मौलिक अधिकार से संबंधित हों, उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में पेश किये जा सकते हैं।
11. किसी भी मिलावटी पदार्थ, जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो, उसके आयात करने, बनाने, रखने, बेचने या बांटने से प्रतिकूल असर हो तथा झूठी वारन्टी देना आदि कानूनन अपराध है। इसमें कम से कम 6 माह और अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
12. प्रत्येक नागरिक को संविधान, उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का पूर्ण आदर करना चाहिये। ध्वज फहराने से ठीक पहले सावधान हो जाना चाहिये। ध्वज अभिवादन के बाद राष्ट्रगान (जन,गण,मन) पूर्ण होने तक उसी अवस्था में ही रहना चाहिये।
13. कोई व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य है, स्त्री या बालक है, मानसिक अस्वस्थता, विनाश, जातीय हिंसा, बाढ़, सूखा का शिकार है या वार्षिक एक लाख रूपये से कम है, उसे विधिक सेवा प्राधिकरण जिला न्यायालय, तहसील सिविल कोर्ट में निःशुल्क कानूनी सहायता पाने का अधिकार है।
14. महिला के नाम पर जमीन, मकान की रजिस्ट्री कराये जाने पर शासन द्वारा पंजीयन शुल्क में छूट का प्रावधान किया गया है।
15. रैगिंग एक गम्भीर अपराध है, जिसके लिये कानून में कारावास और जुर्माने के दण्ड का प्रावधान है। ध्यान रहे दंडित होने पर शासकीय सेवा के अयोग्य होने की स्थिति भी निर्मित हो सकती है।
16. शासन द्वारा नागरिकों के हितों के लिये मानव अधिकार आयोग, महिला अधिकार आयोग का भी गठन किया गया है। जहां मानवीय/स्त्री अधिकारों के हनन की शिकायत सीधे भेजी जा सकती है।
17. राज्य शासन ने संपूर्ण छत्तीसगढ़ में 9 से 12 कक्षा तक के शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति-जनजाति की छात्राओं को शाला आवागमन हेतु निःशुल्क सायकल प्रदाय योजना लागू की है। जिसने सुविधा प्राप्त नहीं की है, वे अपने शिक्षा केन्द्र से सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।
18. प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण हेतु चिकित्सीय परीक्षण कराना कानूनन अपराध घोषित किया गया है। परीक्षण कराने वाला और परीक्षण करने वाला चिकित्सक, दोनों को ही दंडित किये जाने का प्रावधान कानून में है।
19. बालिग व्यक्ति, जो कम से कम 21 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका है, स्त्री, जो कम से कम
18 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुकी है, वे अविवाहित रूप में भी साथ-साथ रह सकते हैं।
उनका साथ रहना किसी भी कानून के तहत जुर्म नहीं है। उन्हें कोई (पुलिस प्रशासन या रिश्तेदार) प्रताड़ित करने का हक नहीं रखता है।
20. हिन्दू पति-पत्नी क्रूरता, जारता, परित्याग असाध्य रूप से विकृत चित्तता, गुप्तरोग या कुष्ठरोग, सन्यासी हो जाने की स्थिति, दूसरा धर्म अपना लेने, 7 वर्ष से अधिक अवधि तक गायब हो जाने के आधार पर दूसरे पक्ष के विरूद्ध तलाक की डिक्री अदालत में याचिका पेश कर प्राप्त कर सकता है।
21. 21 वर्ष से कम उम्र के बालक व 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका का विवाह कानूनन अपराध है। इस विवाह में सहयोग करने वाले को भी सजा हो सकती है।
22. छत्तीसगढ़ विवाह का अनिवार्य पंजीयन नियम, 2006 के तहत विवाह का पंजीयन कानूनन जरूरी है, जो ग्राम पंचायत, नगरपालिका या नगरपालिक निगम में कराया जा सकता है।
23. कोई पति बिना किसी उचित व पर्याप्त कारण के अपनी पत्नी अथवा बच्चों का परित्याग किया हो तो पत्नी-बच्चे उससे उचित व पर्याप्त भरण-पोषण खर्च पाने के कानूनन अधिकारी होते हैं। इसके लिये उन्हें मजिस्टेªट की अदालत में विवरण सहित अर्जी लगानी चाहिये।
24. संविधान के अंतर्गत बेटियों को भी जन्म लेने और गरिमामय जीवन जीने का अधिकार है। भ्रूण की लिंग जांच एवं कन्या-भ्रूण हत्या दंडनीय अपराध है।
25. विज्ञान के अनुसार महिला के ग क्रोमोसोम से पुरूष का ग क्रोमोसोम मिलता है, तो लड़की का जन्म होता है। यदि महिला का ग क्रोमोसोम से पुरूष का ल क्रोमोसोम मिलता है, तो लड़के का जन्म होता है। अतः पुरूष ही वह प्रधान कारक है, जिसके क्रोमोसोम से लड़के या लड़की का जन्म तय होता है।
26. किसी भी धर्म, सम्प्रदाय या जाति के बालिग पुरूष (21 वर्ष) व स्त्री (18 वर्ष), जो जड़ या पागल न हो, पूर्व पति या पत्नी जीवित न हो, प्रतिसिद्ध कोटि की नातेदारी न हो, विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अंतर्गत विवाह कर सकते हैं। प्रत्येक जिलाधीश कार्यालय में विवाह अधिकारी नियुक्त है। उचित आवेदन पत्र, शपथ पत्र, जन्म तिथि प्रमाण पत्र पेश कर बहुत ही कम व्यय पर विवाह कर सकते हैं।
About Media4U
Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Category
03 A Explosive Substances Act
149 IPC
295 (a) IPC
302 IPC
304 IPC
307 IPC
34 IPC
354 (3) IPC
399 IPC. 201 IPC
402 IPC
428 IPC
437 IPC
498 (a) IPC
66 IT Act
Aanand Math
Abhishek Vaishnav
Ajay Sahu
Ajeet Kumar Rajbhanu
Anticipatory bail
Arun Thakur
Awdhesh Singh
Bail
CGPSC
Chaman Lal Sinha
Civil Appeal
D.K.Vaidya
Dallirajhara
Durg
H.K.Tiwari
HIGH COURT OF CHHATTISGARH
Kauhi
Lalit Joshi
Mandir Trust
Motor accident claim
News
Patan
Rajkumar Rastogi
Ravi Sharma
Ravindra Singh
Ravishankar Singh
Sarvarakar
SC
Shantanu Kumar Deshlahare
Shayara Bano
Smita Ratnavat
Temporary injunction
Varsha Dongre
VHP
अजीत कुमार राजभानू
अनिल पिल्लई
आदेश-41 नियम-01
आनंद प्रकाश दीक्षित
आयुध अधिनियम
ऋषि कुमार बर्मन
एस.के.फरहान
एस.के.शर्मा
कु.संघपुष्पा भतपहरी
छ.ग.टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
जितेन्द्र कुमार जैन
डी.एस.राजपूत
दंतेवाड़ा
दिलीप सुखदेव
दुर्ग न्यायालय
देवा देवांगन
नीलम चंद सांखला
पंकज कुमार जैन
पी. रविन्दर बाबू
प्रफुल्ल सोनवानी
प्रशान्त बाजपेयी
बृजेन्द्र कुमार शास्त्री
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम
मुकेश गुप्ता
मोटर दुर्घटना दावा
राजेश श्रीवास्तव
रायपुर
रेवा खरे
श्री एम.के. खान
संतोष वर्मा
संतोष शर्मा
सत्येन्द्र कुमार साहू
सरल कानूनी शिक्षा
सुदर्शन महलवार
स्थायी निषेधाज्ञा
स्मिता रत्नावत
हरे कृष्ण तिवारी
No comments:
Write commentsमहत्वपूर्ण सूचना- इस ब्लॉग में उपलब्ध जिला न्यायालयों के न्याय निर्णय https://services.ecourts.gov.in से ली गई है। पीडीएफ रूप में उपलब्ध निर्णयों को रूपांतरित कर टेक्स्ट डेटा बनाने में पूरी सावधानी बरती गई है, फिर भी ब्लॉग मॉडरेटर पाठकों से यह अनुरोध करता है कि इस ब्लॉग में प्रकाशित न्याय निर्णयों की मूल प्रति को ही संदर्भ के रूप में स्वीकार करें। यहां उपलब्ध समस्त सामग्री बहुजन हिताय के उद्देश्य से ज्ञान के प्रसार हेतु प्रकाशित किया गया है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है।
इस ब्लॉग की सामग्री का किसी भी कानूनी उद्देश्यों के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हमने सामग्री की सटीकता, पूर्णता, उपयोगिता या अन्यथा के संबंध में कोई ज़िम्मेदारी स्वीकार नहीं की है। उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे इस वेबसाइट पर दी गई जानकारी पर कार्य करने से पहले किसी भी जानकारी को सत्यापित / जांचें और किसी भी उचित पेशेवर से सलाह प्राप्त करें।