Friday 28 October 2016
छत्तीसगढ़ राज्य विरूद्ध रामाधार यादव व अन्य
न्यायालय: चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश, दुर्ग (छ0ग0)
( पीठासीन न्यायाधीश: श्रीनारायण सिंह )
सत्र प्रकरण क्रमांक-0000144/2015
संस्थित दिनांक-11/12/2015
छत्तीसगढ़ राज्य,
द्वारा: थाना प्रभारी, आरक्षी
केन्द्र-अमलेश्वर, जिला दुर्ग (छ0ग0) ............. अभियोजन
।। विरूद्ध ।।
1. रामाधार यादव आ0 रामकृष्ण यादव,
उम्र-25 वर्ष,
2. त्रिलोकी साहू आ0 महादेव साहू,
उम्र-25 वर्ष,
3. अश्वनी निषाद आ0 ईतवारी निषाद,
उम्र-22 वर्ष,
4. मनीष ठाकुर आ0 नितालू ठाकुर,
उम्र-19 वर्ष,
5. त्रिपुरारी साहू आ0 जीवनलाल साहू,
उम्र-25 वर्ष,
6. आकाश बंछोर आ0 कृष्ण कुमार,
उम्र-18 वर्ष,
सभी निवासी- अमलेश्वर थाना अमलेश्वर,
जिला-दुर्ग(छ0ग0) ............... अभियुक्तगण
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न्यायालय: श्री आनंद प्रकाश दीक्षित, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, भिलाई-3 जिला-दुर्ग द्वारा अपराधिक प्रकरण क्रमांक-570/2015 शासन विरूद्ध रामाधार यादव वगैरह में पारित उपार्पण आदेश दिनांक 30/11/2015 से उद्भुत सत्र प्रकरण।
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अभियोजन की ओर से संतोष शर्मा, अति0 लोक अभियोजक।
अभियुक्तगण की ओर से संतोष वर्मा, अधिवक्ता।
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।। निर्णय ।।
( आज दिनांक 12/04/2016 को घोषित )
(1) आरोपीगण के विरूद्ध धारा 147/149, 148/149, 302/149 भा0दं0वि0 का आरोप है कि उन्होंने दिनांक 30/09/2015 एवं 01/10/2015 के मध्य रात्रि 01-01.30 बजे स्थान ग्राम अमलेश्वर थाना-अमलेश्वर जिला दुर्ग में अपने साथियों के साथ मिलकर अपने सबके सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में मृतक मदन नाग को विधि विरूद्ध जमाव का सदस्य होते हुए बल व हिंसा का प्रयोग कारित कर बलवा कारित किया और उसी दिनांक, समय व स्थान पर अपने साथियों के साथ मिलकर सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में मृतक मदन नाग को विधि विरूद्ध जमाव का सदस्य होते हुए घातक आयुध लाठी, लकड़ी का फट्टा एवं डण्डा लेकर उपयोग किये जिससे मृत्यु कारित होना संभाव्य था से सज्जित होते हुए बलवा कारित किया एवं उसी दिनांक, समय व स्थान को अपने साथियों के साथ मिलकर अपने सबके सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में मृतक मदन नाग को डण्डा एवं लकड़ी के फट्टा से उसके सिर में लाठी से मारकर साशय हत्या कारित कर उसकी मृत्यु कारित कर हत्या का अपराध कारित किया।
(2) (अ) अभियोजन का मामल संक्षेप इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता चंदन बाग आ0 हीरालाल बाग निवासी-नेहरू नगर रायपुर जिला रायपुर ने पुलिस थाना-अमलेश्वर जिला दुर्ग में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराया कि उसने एवं उसके मोहल्ले वालों ने मोहल्ले में सार्वजनिक रूप से गणेश बैठाये थे जिसे दिनांक 30/09/2015 को विसर्जन करने के लिए दो ट्रेक्टर से महादेव घाट रायपुरा आये थे कि गणेश विसर्जन कर वे लोग रायपुर जाने हेतु वन-वे होने से अमलेश्वर खुड़मुड़ा मार्ग से रायपुर वापस जा रहे थे कि रात्रि 01-01.30 बजे वे लोग खुड़मुड़ा मार्ग अमलेश्वर तालाब के पास पहुंचे थे उनके आगे आर्यन ग्रुप गणेश उत्सव समिति अमलेश्वर के लोग थे जिन्होंने आर्यन ग्रुप अमलेश्वर की टीशर्ट पहने थे तथा डीजे लगाकर बीच रोड में नाचते-गाते गणेश विसर्जन हेतु ट्रेक्टर ट्राली से तालाब की ओर ले जा रहे थे जिन्हें उन लोगों ने साईड मांगा और बोला कि भैया उनका गणेश विसर्जन हो गया है उन लोग को जल्दी जाना है थोड़ा साईड दे दो वे लोग निकल जायेंगे। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में विवाद होने लगा इतने में आर्यन ग्रुप अमलेश्वर के आरोपी त्रिलोकी साहू, अश्वनी निषाद, त्रिपुरारी साहू, मनीष ठाकुर, गोविंद साहू, आकाश बंछोर, रामाधार यादव जो आपस में एक-दूसरे का नाम लेकर पुकार रहे थे जिन्हें विवाद के दौरान अच्छी तरह से गाड़ी में लगे लाईट में देखा और पहचाना था, सभी आरोपीगण एक राय होकर झांकी में लगे डण्डा फटटा से उन लोगों को मारने लगे, तब वे लोग भागे और उसके साथ आये मदन नाग को आरोपीगण जो आर्यन ग्रुप ने मारकर वहीं रोड में गिरा दिये और भाग गये तब वे लोग पुनः जाकर देखे तो मदन नाग जिन्दा था और एम्बुलेंश 108 के पहुंचते तक उसकी मृत्यु हो गई कि सूचना के आधार पर पुलिस थाना अमलेश्वर में प्रथम सूचना अपराध क्रं0-86/2015, धारा 147, 148, 149, 302 भा0दं0वि का अपराध दर्ज किया गया।
(ब) उक्त प्रथम सूचना के आधार पर आरक्षी केन्द्र द्वारा शव के पहचान बाद जांच कार्यवाही एवं शव का पंचनामा कार्यवाही किया गया जिसके बाद मृतक के शव का पी0एम0 कराया गया, उक्त पी0एम0 रिपोर्ट में डॉक्टर द्वारा मृतक की मृत्यु हत्यात्मक होना पाया गया। तत्पश्चात घटनास्थल का मौका नक्शा तैयार किया जाकर तहसीलदार को घटनास्थल का नक्शा बनाये जाने हेतु प्रतिवेदन भेजे जाने पर संबंधित पटवारी की ओर से मौका नक्शा तैयार किया गया। तत्पश्चात अन्वेषण अधिकारी द्वारा विवेचना क्रम में घटना के साक्षी चंदन
बाग, श्रवण यादव, शंकर सोनी, बादल सागर, सत्यवान बघेल, महादेव नायक, श्रीमती सुखवती नाग, नोहर साहू, जीवनानंद वर्मा, दयानंद सोनकर, मोहन साहू, का कथन उनके बताये अनुसार लेखबद्ध किया गया। इसी प्रकार अन्वेषण के क्रम में घटना स्थल से एक सीलबंद डिब्बा में मृतक मदन नाग का घटना स्थल में गिरा खून आलूदा रूई एवं एक सीलबंद डिब्बा में सादी रूई गवाहों के समक्ष जब्त किया गया और आरक्षक रविकांत श्रीवास के पेश करने पर मृतक के पहने हुए एक भूरे रंगा कमीज, जीन्स पेंट, पुराना जूता, भूरे रंग की चडडी, भूरे रंग का बेल्ट गवाहों के समक्ष पेश करने पर जब्त किया गया तथा थाना अमलेश्वर के आरक्षक सुरेश वर्मा के द्वारा मृतक मदन नाग का पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश करने पर जब्त कर पुलिस कब्जा में लिया गया।
(स) जिसके पश्चात आरोपीगण के द्वारा अपराध घटित होना पाये जाने पर आरोपी रामाधार यादव, त्रिलोकी साहू, अश्वनी निषाद, मनीष ठाकुर, त्रिपुरारी साहू और आकाश बंछोर को दिनांक 01/10/2015 को अभिरक्षा में लेकर उनका मेमोरेढडम कथन लिपिबद्ध किया गया और उक्त मेमोरेढडम के आधार पर आरोपी रामाधार यादव के कब्जे से सम्पत्ति एक काला रंग का टीशर्ट पीछे कॉल लिखा हुआ एवं एक बांस का डण्डा जिसे आरोपी द्वारा पेश करने पर गवाह के समक्ष जब्त किया गया। आरोपी त्रिलोकी साहू के कब्जे से सम्पत्ति एक हरा नीला रंग का टीशर्ट पीछे आर्यन क्लब अमलेश्वर लिखा हुआ एवं एक बांस का बल्ली जिसे आरोपी द्वारा पेश करने पर गवाह के समक्ष जब्त किया गया। आरोपी अश्वनी निषाद के कब्जे से सम्पत्ति एक हल्का पीले रंग का फूलशर्ट एवं एक बांस टुकड़ा जिसे आरोपी द्वारा पेश करने पर गवाह के समक्ष जब्त किया गया। आरोपी मनीष ठाकुर के कब्जे से सम्पत्ति एक लाल गुलाबी रंग का चौखना शर्ट एवं एक बांस डण्डा जिसे आरोपी द्वारा पेश करने पर गवाह के समक्ष जब्त किया गया। आरोपी त्रिपुरारी साहू के कब्जे से सम्पत्ति एक हरा नीले रंग का हाफबांह का टीशर्ट जिसके पीछे आर्यन ग्रुप लिखा हुआ एवं एक लकड़ी का बत्ता जिसे आरोपी द्वारा पेश करने पर गवाह के समक्ष जब्त किया गया। आरोपी आकाश बंछोर के कब्जे से सम्पत्ति एक हरा नीले रंग का टीशर्ट जिसके पीछे आर्यन ग्रुप अमलेश्वर लिखा हुआ एवं एक बांस का बल्ली जिसे आरोपी द्वारा पेश करने पर गवाह के समक्ष जब्त किया गया एवं उपरोक्त जब्तशुदा सम्पत्ति को परीक्षण हेतु अन्वेषण अधिकारी द्वारा पुलिस अधीक्षक के माध्यम से सीलबंद पैकेट में रासायनिक परीक्षण हेतु विधि विज्ञान प्रयोगशाला रायपुर को भेजा गया।
(द) तत्पश्चात सम्पत्ति की पहचान एवं जब्ती कार्यवाही के उपरांत साक्षियों के कथन लिपिबद्ध किया गया और साबूत पाये जाने पर आरोपीगण रामाधार यादव, त्रिलोकी साहू, अश्वनी निषाद, मनीष ठाकुर, त्रिपुरारी साहू और आकाश बंछोर को दिनांक 01/10/2015 को गिरफ्तार किया जाकर प्रथम रिमाण्ड दिनांक 02/10/2015 को पेश किये जाने के पश्चात, सम्पूर्ण अन्वेषण कार्यवाही उपरांत आरोपीगण के विरूद्ध अपराध सबूत पाये जाने पर दिनांक 18/11/2014 को अभियोग पत्र क्रं0-87/2015, धारा 147, 148, 149, 302 भा0द0वि0 का विचारण न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिसके पश्चात विचारण न्यायालय द्वारा दिनांक 30/11/2015 को प्रकरण माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश को उपार्पित किया गया, जिसके पश्चात यह प्रकरण दिनांक 11/12/2015 को माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश को प्राप्ति उपरांत सत्र प्रकरण क्रमांक-144/2015 दर्ज की गयी और तत्पश्चात यह प्रकरण अंतरण पर इस न्यायालय को दिनांक 23/12/2015 को प्रार ंभिक स्तर पर प्राप्त हुआ।
(3) अभियुक्तगण ने कंडिका-1 में उल्लेखित आरोप को अस्वीकार किया है। अभियोजन की ओर से कुल 13 साक्षियों का परीक्षण कराया गया है तथा धारा 313(1)(ख) दं0प्र0सं0 के अंतर्गत परीक्षण किया गया। आरोपीगण ने स्वयं को निर्दोष होना तथा झूठा फंसाया जाना कहा और बचाव साक्ष्य में किसी भी साक्षी का परीक्षण नहीं कराया गया है।
(4) अभियोजन की ओर से महादेव नायक (अ0सा0-1), चंदन बाग प्रथम सूचनाकर्ता (अ0सा0-2), श्रवण यादव (अ0सा0-3), बादल सागर (अ0सा0-4), सुखबतीनाग मृतक की माता (अ0सा0-5), सत्यवान बघेल (अ0सा0-6), मोहन साहू (अ0सा0-7), नोहर साहू (अ0सा0-8), शंकर सोनी (अ0सा0-9), बी0 कठौतिया मेडिकल आफिसर (अ0सा0-10), लक्ष्मण कुमेठी निरीक्षक (अ0सा0-11), रोहित कुमार खुंटे अन्वेषण अधिकारी (अ0सा0-12), एवं विवेक चन्द्रवंशी स.उ.नि. (अ0सा0-13) का कथन न्यायालय में कराया गया है ।
(5) प्रकरण में निम्नलिखित विचारणीय बिन्दु यह है कि:-
1. क्या आरोपीगण ने दिनांक 30/09/2015 एवं 01/10/2015 के मध्य रात्रि 01-01.30 बजे स्थान ग्राम अमलेश्वर थाना-अमलेश्वर जिला दुर्ग में अपने साथियों के साथ मिलकर अपने सबके सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में मृतक मदन नाग को विधि विरूद्ध जमाव का सदस्य होते हुए बल व हिंसा का प्रयोग कारित कर बलवा कारित किया ?
2. क्या आरोपीगण ने उसी दिनांक, समय व स्थान पर अपने साथियों के साथ मिलकर अपने सबके सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में मृतक मदन नाग को विधि विरूद्ध जमाव का सदस्य होते हुए घातक आयुध लाठी, लकड़ी का फट्टा, बांस का बल्ली एवं डण्डा लेकर उपयोग किये जिससे मृत्यु कारित होना संभाव्य था से सज्जित होते हुए बलवा कारित किया ?
3. क्या आरोपीगण ने उसी दिनांक, समय व स्थान को अपने साथियों के साथ मिलकर अपने सबके सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में मृतक मदन नाग को घातक आयुध लाठी, लकड़ी का फट्टा, बांस का बल्ली एवं डण्डा से उसके सिर में लाठी से मारकर साशय हत्या कारित कर उसकी मृत्यु कारित किया ?
।। साक्ष्य-विवेचना एवं सकारण निष्कर्ष ।।
विचारणीय बिन्दु क्रमांक-1, 2 एवं 3 पर निष्कर्ष:-
उपरोक्त सभी विचारणीय बिन्दुओं का निष्कर्ष सह-संबंतिध होने एवं साक्ष्य की पुनरावृत्ति से बचने के लिए एक साथ किया जा रहा है -
(6) चंदन बाग (अ0सा0-2) ने अपने परीक्षण में बताया है कि वह आरोपीगण को नहीं पहचानता, मृतक मदन नाग को जानता है जो उसके मोहल्ले में रहता था। आज से लगभग 3-4 माह पूर्व की रात्रि के 11-12 बजे के बीच गणेश विसर्जन करने रायपुर नेहरू नगर से महादेव घाट रायपुर गये थे। इसी साक्षी का आगे कथन है कि गणेश विसर्जन कर एक अन्य रोड जो अमलेश्वर होकर निकलती है से वापस जा रहे थे तभी रात्रि में दूसरे गणेश समिति की गाड़ियां खड़ी थीं जिससे वे लोग साईड मांगे तो उन लोगों ने साईड नहीं दिया उनके साथ कुछ बच्चे थे जिनके साथ वे लोग गाड़ी लेकर वापस चले गये। उसके बाद क्या हुआ उसकी उसे जानकारी नहीं होना व्यक्त किया है। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि उसने घटना के संबंध में थाना में कोई सूचना नहीं दिया था उसे पुलिस वाले फोन से बुलाकर कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाये थे। इस साक्षी को अकाल एवं आकस्मिक मृत्यु की सूचना पंजी प्र0पी0-5, प्रथम सूचना रिपोर्ट प्र0पी0-6 दिखाये जाने पर अपना हस्ताक्षर होना व्यक्त किया है।
(7) चंदन बाग (अ0सा0-2) ने अपने सूचक परीक्षण की कंडिका-3 में इस बात की जानकारी होने से इंकार किया है कि उसके सामाने आर्यन गु्रप गणेश समिति अमलेश्वर के लोग टीशर्ट हल्के रंग के पहने हुए थे तथा ट्रेक्टर एवं ट्राली में डी0जे0 लगाकर नाचते एवं गाते तालाब की ओर जा रहे थे। इस साक्षी ने इस सुझाव को स्वीकार किया है कि तालाब की ओर जाने वाली ट्रेक्टर से वे लोग यह कहकर साईड मांगे थे कि भैया हम लोगों का गणेश विसर्जन हो चुका है हम लोगों को जल्दी जाना है साईड दे दीजिए। इसी साक्षी ने इस सुझाव को स्वीकार किया है कि तभी साइड देने की बात को लेकर विवाद होने लगा था। इस साक्षी ने इस सुझाव से इंकार किया है कि आर्यन ग्रुप अमलेश्वर के त्रिलोकी साहू, अश्वनी, मुरारी साहू, मनीष साहू, गोविंद, आकाश एवं रामाधार यादव आपस में एक-दूसरे का नाम लेकर पुकार रहे थे और इस साक्षी ने इस सुझाव को भी इंकार किया है कि उन लोगों ने उन्हें ट्रेक्टर की लाईट से देखा था और पहचाना था। उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि वे लोग ही ट्रेक्टर में लगे डण्डा, बत्ता को एक राय होकर मदन नाग से मारपीट किया था जिसकी मृत्यु हो गई।
(8) महादेव नायक (अ0सा0-1) ने अपने परीक्षण में बताया है कि वह आरोपीगण को नहीं जानता। घटना लगभग 6 माह पूर्व की है उसे सूचना प्राप्त हुआ था कि महादेव घाट रायपुर नदी के उस पार मदन नाग की मृत्यु हो चुकी है और पड़ा है, तब वह सूचना पाकर वहां पर पहंुचा था। पुलिस वाले वहां पर मौजूद थे जिसके शव पंचनामा तैयार किये जाने हेतु नोटिस प्र0पी0-1 उसे दी गई थी और पंचनामा प्र0पी0-2 की कार्यवाही उसके सामने की गई थी। इस साक्षी ने आगे कथन किया है कि तत्पश्चात मृतक मदन नाग की मृत्यु की जानकारी होने पर पी0एम0 कराने की सलाह दिये थे पुलिस वालों ने नजरी नक्शा प्र0पी0-3 तैयार किया था। इसी प्रकार बादल सागर (अ0सा0-3) का भी साक्ष्य है कि वह आरोपीगण को नहीं पहचानता, मृतक को जानता है। गणेश विसर्जन के दिन की घटना है वे लोग नेहरू नगर रायपुर गणेश में रखे थे जिसका विसर्जन करने के लिए महादेव घाट गये थे उसके साथ बहुत से लोग गये थे। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि तब वापस आ रहे थे तो बहुत सारे समिति के लोग गणेश विसर्जन के लिए महादेव घाट खारून नदी के लिए जा रहे थे, वह भी अपनी गाड़ी से गया था और गणेश विसर्जन करने के बाद वह वापस आ गया, उसके सामने कोई लड़ाई-झगड़ा, वाद-विवाद, मारपीट जैसी नहीं हुआ। मदन नाग के साथ क्या घटना हुई थी वह नहीं बता सकता, मदन की मृत्यु हो चुकी है।
(9) सुखवती नाग (अ0सा0-5) ने का भी साक्ष्य है कि आरोपीगण को नहीं जानती, मृतक मदन नाग उसका पुत्र था। लगभग 6-7 माह पूर्व गणेश विसर्जन करने उसका पुत्र मोहल्ले वालों के साथ गया था वह घर में सो रही थी, दूसरे दिन सुबह मोहल्ले वाले घर में उसे बताये कि गणेश विसर्जन के समय लड़ाई-झगड़ा होने पर मदन को अज्ञात लोगों ने लाठी, डण्डा से मार डाला है। घटना के संबंध में इतना ही जानती है। सत्यवान बघेल (अ0सा0-6) का भी साक्ष्य है कि वह आरोपीगण को नहीं पहचानता, मृतक को जानता है। मृतक उसके पड़ोस में रहता था वह वाहन चालक का काम करता है कि लगभग 5-6 माह पूर्व गणेश विसर्जन के समय की बात है वह नेहरू नगर रायपुर से ट्रेक्टर चलाते हुए गणेश विसर्जन के लिए गणेश व बहुत से लोगों को लेकर महादेव घाट गया था गणेश विसर्जन करने महादेव घाट से वापस आ रहा था तभी रास्ते में अमलेश्वर के पास कुछ लफड़ा हुआ था जिससे ट्रेक्टर में सवार सभी लोग कूद गये जिसमें मृतक भी था वह ट्रेक्टर लेकर वापस आ गया उसके बाद क्या हुआ जानकारी नहीं होना व्यक्त किया है।
(10) मोहन साहू (अ0सा0-7) का साक्ष्य है कि वह डी0जे0 बजाने का काम करता है दिनांक 30 दिसंबर 2015 को ग्राम अमलेश्वर में गणेश विसर्जन के लिए उसके डीजे का बुकिंग आर्यन ग्रुप गणेश उत्सव समिति द्वारा कराया गया था। उक्त बुकिंग करने जो व्यक्ति आये थे उन्हें एक ही बार देखा था इस कारण उन व्यक्तियों को नहीं पहचान सकता। इसी साक्षी ने आगे कथन है कि थाना अमलेश्वर में उसे बुलाया गया था तब वह अमलेश्वर थाना गया था। नोहर साहू (अ0सा0-8) का साक्ष्य है कि वह भी आरोपीगण को नहीं जानता, वे सभी उसके गांव के रहने वाले हैं। ग्राम अमलेश्वर में पान की दुकान चलान चलाता है बचपन से वह दोनों पैर से विकलांग है। वह ग्राम अमलेश्वर की गणेश आर्यन उत्सव समिति का सदस्य है उसके अलावा और भी सदस्य है जिनका नाम पन्ना, चिंटू, विष्णु और भी लोग थे उसे घटना के संबंध में कोई भी जानकारी नहीं है।
(11) रोहित कुमार खूटे (अ0सा0-12) का साक्ष्य है कि वह पुलिस थाना अमलेश्वर में दिनांक 01/10/2015 को प्रशिक्षु उपनिरीक्षक के पद पर पदस्थ होते हुए उक्त दिनांक को थाना प्रभारी के पद पर भी पदस्थ था। दिनांक 01/10/2015 को उसे मदन नाग की अकाल व आकस्मिक मृत्यु के संबंध में सूचना देने चंदन बाग पिता हीरालाल बाग निवासी किला मंदिर कालीबाड़ी चौक रायपुर आया था तब उसने अकाल मृत्यु की सूचना प्र0पी0-5 लेखबद्ध किया था। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि तत्पश्चात उसी व्यक्ति द्वारा आरोपीगण के विरूद्ध नामजद रिपोर्ट गणेश विसर्जन के समय मारपीट करते हुए मदन नाग की मृत्यु कारित करने के संबंध में दर्ज कराया था जिसे उसने प्रथम सूचना अपराध क्रं0-86/2015 प्र0पी0-6 दर्ज किया था। इसी साक्षी का आगे कथन है कि तत्पश्चात उसने दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रतिलिपि न्यायिक मजिस्ट्रेट को
भिजवाया था जो प्र0पी0-6-ए है।
(12) डॉ0 बी0 कठौतिया (अ0सा0-2) का साक्ष्य है कि वह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र झीट ब्लाक पाटन में अक्टूबर 2015 से मेडिकल आफिसर के पद पर पदस्थ है, वह दिनांक 01/10/15 को मदन नाग उम्र 35 वर्ष का मृत शरीर परीक्षण किया जिसे थाना अमलेश्वर के आरक्षक 1097 रमनराज ने पेश किया था। इसी साक्षी का कथन है कि शव के बाह्य परीक्षण में उसने पाया कि मृतक सामान्य कद, काठी, आंख मुंह खुला हुआ था, शरीर में अकड़न मौजूद था, नाक कान से रक्त स्राव था, नाखून नीला, वीर्य मौजूद था, मृतक के शरीर में निम्नलिखित चोटे मौजूद थी- चोट क्रं0-1 घर्षण दाये बांये घुटने पर तीन चार थे, चोट क्रं0-2 घर्षण भुजा पर दो इंच था कोहनी के हिस्से में तीन इंच बांये पेलबिसरिजन पांच इंच मौजूद था, चोट क्रं0-3 एल0डब्ल्यू0 बांया आक्सोपिटो पेराइटलरिजन दो इंच का था कंटुजन मौजूद था, चोट क्रं0-4 बांये छाती पर कंटूजन मौजूद था। मृतक के शरीर का भीतरी परीक्षण करने पर उसने पाया कि बांये छाती पर हिमोथेरेक्स, बांये फेफड़े पर एब्रेजन मौजूद था और क्वेटी में खून स्राव था, सांस नली में कंठ में ब्लड मौजूद था, लीवर, कीडनी, स्लीम, कंजेस्टेड थे, छेाटी आंत और पेट में अधपचा भोजन मौजूद था, बड़ी आंत में मल पदार्थ मौजूद था, खोपड़ी के अंदर रक्त स्राव मौजूद था। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि उसके मतानुसार वाईटल आर्गन इंजुरी था, जिसमें खोपड़ी के अंदर रक्त स्राव और हीमोथारेक्स मौजूद था इसलिये मौत का कारण रक्त स्राव और शॉक था, समयावधि 12 से 24 घण्टे पोस्टमार्टम से पहले की थी और उसके मतानुसार मृतक की मृत्यु हत्यात्मक प्रकृति की थी, उसके द्वारा दी गई रिपोर्ट प्र0पी0-30 है।
(13) इस प्रकार प्रकरण में उपरोक्त साक्षियों के साक्ष्य से यह स्पष्ट है कि घटना दिनांक को जब मृतक के साथ अन्य व्यक्ति ट्रेक्टर में अमलेश्वर खारून नदी में गणेश विसर्जन करने गये थे और विसर्जन कर वापस आ रहे थे तब सामने से विसर्जन करने वाली कई समितियां के लोग आ रहे थे जिसमें डीजे की धून में लोग नाचते-गाते आ रहे थे। तब मृतक के ट्रेक्टर के चालक के कथन के अनुसार कि जब सामने वाले ट्रेक्टर को साईड मांगे तब उसी बात पर विवाद हुआ था और तब सत्यवान बघेल (अ0सा0-6) के अनुसार ट्रेक्टर से सभी लोग कूद गये और वह ट्रेक्टर लेकर चलाया गया बाद में क्या हुआ जानकारी होने से इंकार किया है। परन्तु प्रकरण में चिकित्सक साक्षी एवं उपरोक्त अन्य साक्षियों के कथन से यह तो स्पष्ट है कि घटना घटित हुआ था जिसमें मृतक मदन नाग को चोट लगने के कारण मृत्यु हुई थी जिसका शवपंचनामा और शव परीक्षण कराया गया था जिस तथ्य पर अविश्वास किये जाने का ऐसा कोई कारण अभिलेख में उपलब्ध नहीं है।
(14) चंदन बाग (अ0सा0-2) ने अपने परीक्षण की कंडिका-2 में बताया है कि उसने घटना के संबंध में पुसिल को कोई सूचना नहीं दिया था पुलिस वाले उसे फोन करके बुलाये और कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाया था, साक्षी को अकाल एवं आकस्मिक मृत्यु की सूचना पंजी प्र0पी0-5 एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट प्र0पी0-6 दिखाये जाने पर अपना हस्ताक्षर होना व्यक्त किया हैं इसी साक्षी ने अपने प्रतिपरीक्षण की कंडिका-7 के अंतिम में इस सुझाव को स्वीकार किया है कि प्र0पी0-5 एवं 6 में पुलिस के कहने पर उसने हस्ताक्षर किया था उस समय उस पर कुछ नहीं लिखा था। ऐसी दशा में इस साक्षी ने मृतक मदन नाग की मृत्यु होने का बयान कि आरोपीगण के द्वारा मदन नाग से मारपीट की गई थी जिस चोट के कारण मदन नाग की मृत्यु हुई है के संबंध में रिपोर्ट किये जाने से इंकार किया है। केवल पुलिस के द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट प्र0पी0-5 एवं 6 पर हस्ताक्षर करा लिये जाने का अभिकथन किया है। जिस संबंध में अन्वेषण अधिकारी रोहित कुमार खूंटे (अ0सा0-12) ने चंदन बाग के द्वारा थाना में सूचना देने के पश्चात अकाल मृत्यु की सूचना प्र0पी0-5 एवं मृतक की मृत्यु आरोपीगण के द्वारा मारपीट किये जाने की सूचना किये जाने के पश्चात आरोपीगण के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट प्र0पी0-6 पंजीबद्ध किया था।
(15) चंदन बाग (अ0सा0-2) ने अन्वेषण अधिकारी रोहित कुमार खूटे (अ0सा0-12) के द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट का स्पष्ट रूप से समर्थन किया हो, ऐसा आंशिक रूप से दर्शित होता है। परन्तु अकाल मृत्यु की सूचना प्र0पी0-5 एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट प्र0पी0-6 पर अपना हस्ताक्षर होना व्यक्त किया है जिससे अन्वेषण अधिकारी के द्वारा दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट का आंशिक रूप से पुष्टि होती है। जिससे घटना घटित हुई और अन्वेषण अधिकारी के द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई, जिस तथ्य के संदर्भ में स्पष्ट रूप से खण्डन प्रस्तुत नहीं होने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रास्थापित प्रकृति का परिलक्षित होता है।
(16) अब प्रकरण में देखना यह है कि क्या संयोजित आरोपीगण ने ही मृतक मदन नाग को लकड़ी, बत्ता, लाठी, डण्डा से मारकर उसके हत्या की थी ? जिस संबंध में चंदन बाग (अ0सा0-2) ने अपने सूचक परीक्षण की कंडिका-4 में इस सुझाव से इंकार किया है कि आर्यन ग्रुप अमलेश्वर के त्रिलोकी साहू, अश्वनी साहू, मुरारी, गोविंद, आकश एवं रामाधार यादव आपस में एक-दूसरे का नाम लेकर पुकार रहे थे। इस साक्षी ने इस सुझाव से भी इंकार किया है कि उन लोगों को उस समय ट्रेक्टर की लाईट में देखा था और पहचाना था। महादेव नायक (अ0सा0-1) ने अपने परीक्षण की कंडिका-1 में आरोपीगण को पहचानने से इंकार किया है और सूचक परीक्षण की कंडिका-4 में उसे पता चला कि मदन नाग को मारपीट कर घटना स्थल पर उसकी मृत्यु कारित की गई है। इस साक्षी ने अपने प्रतिपरीक्षण की कंडिका-5 में इस सुझाव को स्वीकार किया है कि वह घटना के समय वह घटना स्थल पर मौजूद नहीं था तथा प्रतिपरीक्षण की कंडिका-6 के अंतिम में इस सुझाव को स्वीकार किया है कि वह आज जो न्यायालय के समक्ष बताया है वह सुनी-सुनाई बात बता रहा है।
(17) बादल सागर (अ0सा0-4) ने अपने परीक्षण की कंडिका-1 में आरोपीगण को पहचानने से इंकार किया है तथा परीक्षण में ही बताया है कि उसके सामने कोई लड़ाई-झगडा, वाद-विवाद मारपीट जैसी घटना नहीं हुई है और मदन के साथ क्या घटना हुई वह नहीं बता सकता। मदन की मृत्यु हो चुकी है इतना जानता है। इसी साक्षी ने आगे अपने सूचक परीक्षण की कंडिका-4 में इस सुझाव से इंकार किया है कि आरोपीगण त्रिलोकी साहू, अश्वनी साहू, मुरारी, गोविंद, आकश एवं रामाधार यादव आपस में एक-दूसरे का नाम लेकर पुकार रहे थे, गाड़ी में लगे लाईट से भी नजर आ रहे थे से इंकार किया है। मृतक की मॉ सुखबती नाग (अ0सा0-5) ने भी अज्ञात व्यक्तियों के द्वारा घटना कारित किये जाने का अभिकथन किया है। सत्यवान बघेल (अ0सा0-6) ने भी आरोपीगण को पहचानने से इंकार किया है कि और अपने सामने घटना घटित होने से भी इंकार किया है और पुलिस कथन प्र0पी0-27 को पुलिस के समक्ष दिये जाने से इंकार किया है। इसी साक्षी ने अपने प्रतिपरीक्षण की कंडिका-5 में इस सुझाव को स्वीकार किया है कि उसने अपने बयान प्र0पी0-27 में पुलिस को बता दिया था कि मदन नाग को मारपीट होते हुए उसने नहीं देखा। मोहन साहू (अ0सा0-7) ने भी अपने सूचक परीक्षण की कंडिका-3 में इस सुझाव से इंकार किया है कि विवाद के समय आर्यन गु्रप के त्रिलोकी साहू, अश्वनी साहू, मुरारी, गोविंद, आकश एवं रामाधार यादव थे जिसे वह जानता है, वे भी लड़ाई-झगड़ा करने के लिए आमादा थे, जिन्हें लड़ाई-झगड़ा करते देखा था। पुलिस कथन प्र0पी0-28 को पुलिस के समक्ष दिये जाने से इंकार किया है। नोहर साहू (अ0सा0-8) ने आरोपीगण को पहचानना तो बताया है जो ग्राम अमलेश्वर के गणेश समिति आर्यन गणेश उत्सव समिति के सदस्य हैं उसके अलावा अन्य सदस्य होना भी बताया है। परन्तु इस साक्षी ने आरोपीगण उक्त आर्यन समिति के सदस्य थे से संबंधित तथ्य स्पष्ट नहीं किया है। इस साक्षी ने अपने सूचक परीक्षण की कंडिका-2 में इस तथ्य से इंकार किया है कि उसने पुलिस को ग्राम अमलेश्वर के आर्यन गणेश उत्सव समिति के सदस्य आरोपीगण त्रिलोकी साहू, अश्वनी साहू, मुरारी, गोविंद, आकश एवं रामाधार यादव आपस में एक-दूसरे का नाम लेकर पुकार रहे थे, गाड़ी में लगे लाईट से भी नजर आ रहे थे से इंकार किया है। इस साक्षी ने अपने प्रतिपरीक्षण की कंडिका-4 में इस सुझाव को स्वीकार किया है कि आरोपीगण जब गांव अमलेश्वर के ही रहने वाले है उस आधार पर उन्हें पहचानता है। इस साक्षी ने यह भी स्वीकार किया है कि वह गणेश विसर्जन में नहीं गया था।
(18) इस प्रकरण में घटना स्थल पर आरोपीगण मौजूद थे अथवा वहां पर वे उपस्थित थे तथा जो किसी भी अभियोजन साक्षी के द्वारा यह व्यक्त नहीं किया गया है कि आरोपीगण वहां पर अंतिम रूप से देखे गये, ऐसा किसी भी साक्षी ने स्पष्ट रूप से अपने परीक्षण अथवा प्रतिपरीक्षण में व्यक्त नहीं किया है। तत्संबंध में नोहर साहू (अ0सा0-8) ने केवल आरोपीगण उसके गांव के निवासी होने के आधार पर उन्हें पहचानना व्यक्त किया है। परन्तु आरोपीगण घटना के समय उपस्थित थे ऐसा उसके साक्ष्य से स्पष्ट नहीं है। तथापि प्रकरण के अन्य साक्षियों महादेव नायक (अ0सा0-1), चंदन बाग (अ0सा0-2), बादल सागर (अ0सा0-4), सुखवती नाग (अ0सा0-5), सत्यवान बघेल (अ0सा0-6), मोहन साहू (अ0सा0-7), एवं नोहर साहू (अ0सा0-8) उपरोक्त किसी भी साक्षी ने घटना स्थल पर मौजूद होने के संबंध में तथ्य व्यक्त नहीं किया है। ऐसी दशा में स्वतंत्र साक्षी के साक्ष्य के माध्यम से प्रकरण में यह स्थापित नहीं होने से की आरोपीगण घटना के समय घटना स्थल पर भीड़ में उपस्थित थे और न ही उन्हें घटना के समय अंतिम बार देखा गया है, जिससे उपरोक्त स्वतंत्र साक्षियों के साक्ष्य से अभियोजन के प्रकरण को समर्थन प्राप्त नहीं है।
(19) अन्वेषण अधिकारी रोहित कुमार खुंटे (अ0सा0-12) ने अपने परीक्षण की कंडिका-2 में बताया है कि उसने आरोपी रामाधार यादव को साक्षियों के समक्ष अभिरक्षा में लेकर उसका मेमोरेढडम कथन लेखबद्ध किया था। इसी प्रकार आरोपी त्रिलोकी साहू, अश्वनी निषाद, त्रिपुरारी साहू, आकाश बंछोर, मनीष ठाकुर का मेमोरेंडम कथन क्रमशः प्र0पी0-8, 11, 14, 17, 20 एवं 23 के आधार पर लेखबद्ध किया था। उपरोक्त मेमोरेढडम के आधार पर आरोपीगण के बताएनुसार की घटना में प्रयुक्त डण्डा, लकड़ी का बत्ता, बांस का डंडा रोड के किनारे झाड़ियों में भागते समय छिपाने की बात बताया था, जिसको बरामद करा देने का अभिकथन किया था। उक्त मेमोरेढडम के साक्षी श्रवण यादव (अ0सा0-3), और शंकर सोनी (अ0सा0-9) ने अपने परीक्षण में आरोपीगण को पहचानने से इंकार करते हुए उनके समक्ष आरोपीगण से कोइ्र पूछताछ नहीं किये जाने का अभिकथन किया गया है और न ही उनके समक्ष किसी भी प्रकार की सम्पत्ति जब्त किये जाने का अभिकथन किया है, मेमोरेढडम कथन प्र0पी0-8, 11, 14, 17, 20 एवं 23 पर अपना हस्ताक्षर करा लिये जाने का अभिकथन किया है और उपरोक्त साक्षियों ने अपने सूचक परीक्षण में अपने समक्ष उक्त कार्यवाही किये जाने से इंकार किया है और
किसी भी तथ्य पर अभियोजन के प्रकरण की पुष्टि नहीं किये हैं। तथापि उपरोक्त दोनों साक्षी श्रवण यादव (अ0सा0-3), और शंकर सोनी (अ0सा0-9) ने अपने प्रतिपरीक्षण की क्रमशः कंडिका-12 व 11 में स्वीकार किया है कि उसके मोहल्ले के बहुत से लोक थाना गये थे तब वे भी उनके साथ थाना चले गये थे, और इस सुझाव को भी स्वीकार किया है कि जब वे थाना गये तो न्यायालय में उपस्थित आरोपीगण थाना में मौजूद नहीं थे पुलिस वाले उससे मोहल्ले के एक व्यक्ति की मृत्यु होना बताते हुए कुछ कोरे कागजों पर उनके हस्ताक्षर ले लिया था। इस प्रकार उपरोक्त दोनों ही मेमोरेढडम के साक्षी ने धारा 27 भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कार्यवाही का अन्वेषण अधिकारी के कथनों का स्वतंत्र साक्षियों ने अपने परीक्षण, सूचक परीक्षण में समर्थन नहीं किया है। तथापि अपने प्रतिपरीक्षण में पुलिस कार्यवाही का स्पष्ट रूप से खण्डन किये हैं जिससे मेमोरेढडम कथन प्र0पी0-8, 11, 14, 17, 20 एवं 23 की पुष्टि नहीं होती और इस कारण अभियोजन के प्रकरण को अन्वेषण अधिकारी द्वारा की गई मेमोरेढडम कथन की कार्यवाही का समर्थन प्राप्त नहीं होता है।
(20) अन्वेषण अधिकारी रोहित कुमार खुंटे (अ0सा0-12) ने अपने परीक्षण की कंडिका-7 में बताया है कि उसने आरोपी अश्वनी निषाद के मेमोरेंडम के आधार पर एक पीला रंग का फूल टीशर्ट जब्ती पत्रक प्र0पी0-15 के माध्यम से जिसे आर्टिकल-ई के रूप में चिन्हित किया गया है और उक्त टीशर्ट को न्यायालय में आर्टिकल-सी के रूप में चिन्हित किया गा है। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि आरोपी अश्वनी के द्वारा घटना में उपयोग बांस का डण्डा आम बगीचा रोड तालाब के पास रोड के किनारे से पेश करने पर जब्त पत्रक प्र0पी0-16 के माध्यम से जिसे आर्टिकल-एफ के रूप में चिन्हित किया गया है और जिसे न्यायालय में आर्टिकल-जे के रूप में चिन्हित किया गया है। इस प्रकार अन्वेषण अधिकारी ने आरोपी मनीष ठाकुर से एक गुलाबी चौखना शर्ट जब्त कर जब्ती पत्रक प्र0पी0-18 तैयार किया था जिसे एफ0एस0एल0 में भेजे जाने के पूर्व उसे आर्टिकल-जी चिन्हित किया गया और जिसे न्यायालय में आर्टिकल-डी से चिन्हित किया गया है। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि इसी आरोपी के मेमोरेढडम के आधार पर आम बगीचा तालाब के बगल झाड़ियों से निकालकर पेश करने पर एक बांस का डण्डा जब्त कर जब्ती पत्रक प्र0पी0-19 तैयार किया था जिसे एफ0एस0एल0 प्रतिवेदन में आर्टिकल-एच के रूप में चिन्हित किया गया जिसे न्यायालय में आर्टिकल-जे के रूप में चिन्हित किया गया है।
(21) रोहित कुमार खुंटे (अ0सा0-12) ने अपने परीक्षण की कंडिका-9 में बताया है कि उसने आरोपी त्रिपुरारी साहू के कब्जे से एक हाफ टीशर्ट जब्त पत्रक प्र0पी0-21 के माध्यम से, जिसे एफ0एस0एल0 प्रतिवेदन में आर्टिकल-आई के रूप में चिन्हित किया गया जिसे न्यायालय में आर्टिकल-ई के रूप में चिन्हित किया गया है। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि उसने इसी आरोपी से आम बगीचा रोड तालाब के किनारे झाडियों से निकालकर पेश करने पर एक नग लकड़ी का बत्ता जब्ती पत्रक प्र0पी0-22 के माध्यम से जब्त किया था जिसे एफ0एस0एल0 प्रतिवेदन में आर्टिकल-जे एवं न्यायालय में आर्टिकल-एल0 के रूप में चिन्हित किया गया है। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि उसने आरोपी आकाश बंछोर के कब्जे से एक हाफ टीशर्ट जब्ती पत्रक प्र0पी0-24 के माध्यम से जब्त किया था जिसे एफ0एस0एल0 प्रतिवेदन में आर्टिकल-के तथा न्यायालय में आर्टिकल-जी के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसे आम बगीचा रोड तालाब के किनारे झाड़ियों से निकालकर पेश करने पर एक बांस का बल्ली जब्त पत्रक प्र0पी0-25 के माध्यम से जब्त किया था जिसे एफ0एस0एल0 प्रतिवेदन में आर्टिकल-एल के रूप में और न्यायालय में आर्टिकल-एन के रूप में चिन्हित किया गया है।
(22) इस प्रकार प्रकरण में जब्ती पत्रक प्र0पी0-9, 10, 12, 13, 15, 16, 18, 19, 21, 22, 24 एवं 25 के साक्षी श्रवण यादव (अ0सा0-3), और शंकर सोनी (अ0सा0-9) ने अपने परीक्षण में अपने समक्ष किसी भी प्रकार की सम्पत्ति जब्त किये जाने से इंकार करते हुए मृतक को देखने गये थे तब उस पर हस्ताक्षर करा लिये जाने का अभिकथन किया है और श्रवण यादव (अ0सा0-3) ने अपने सूचक परीक्षण की कंडिका-6 से 10 तक में अपने समक्ष सम्पत्ति जब्त किये जाने से इंकार किया है। इसी प्रकार शंकर सोनी (अ0सा0-10) ने अपने सूचक परीक्षण की कंडिका-4 से 9 तक में संपत्ति जब्ती किये जाने से इंकार किया है तथा उपरोक्त दोनों ही साक्षियों ने अपने प्रतिपरीक्षण की क्रमशः कंडिका-12 एवं 11 में इस सुझाव को स्वीकार किया है कि पुलिस वाले ने उनसे मोहल्ले के एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है को बताते हुए हस्ताक्षर करा लिये जाने का अभिकथन किया है। ऐसी दशा में उपरोक्त दोनों ही स्वतंत्र साक्षियों ने अन्वेषण अधिकारी के अन्वेषण कार्यवाही का किसी भी स्तर पर समर्थन न करते हुए पुष्टि नहीं की है जिससे अभियोजन के प्रकरण को स्वतंत्र साक्षियों के साक्ष्य से समर्थन प्राप्त नहीं है।
(23) विवेक चंद्रवंशी (अ0सा0-13) ने अपने परीक्षण में बताया है कि उसने घटना स्थल पर उपस्थित साक्षियों के समक्ष नजरी नक्शा प्र0पी0-3 तैयार किया था और घटना स्थल को साक्षियों के समक्ष खून आलूदा मिट्टी एवं अन्य डिब्बा में सादी मिट्टी जब्त कर जब्ती पत्रक प्र0पी0-4 तैयार किया था। लक्ष्मण कुमेठी (अ0सा0-11) का साक्ष्य है कि वह थाना अमलेश्वर में प्रभारी के पद पर पदस्थ था तब उक्त अपराध में शासकीय अस्पताल पाटन से पांच पैकेट संपत्ति प्राप्त होने पर जब्त किया था जो जब्ती पत्रक प्र0पी0-31 है। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि आरक्षक सुरेश शर्मा के द्वारा मृतक मदन नाग का शव परीक्षण रिपोर्ट लेकर आया था जिसे जब्त कर जब्ती पत्रक प्र0पी0-32 तैयार किया था एवं शव परीक्षण को संलग्न किया था जो प्र0पी0-30 है। इसी साक्षी ने आगे बताया है कि उसने प्रकरण के जब्त वस्तुओं की क्वेरी करने हेतु सहायक सर्जन पाटन को भेजा था जो प्रतिवेदन प्र0पी0-33 है। इसी प्रकार विवेचना के दौरान जब्त वस्तुओं को रासायनिक परीक्षण हेतु कार्यालय पुलिस अधीक्षक दुर्ग के माध्यम से राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला रायपुर भेजा था जो ड्राफ्ट प्र0पी0-34 एवं जमा करने की पावती प्र0पी0-35 है।
(24) इस प्रकार प्रकरण में राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला रायपुर के द्वारा उक्त आधार पर परीक्षण प्रतिवेदन/अभिमत प्रस्तुत की गई है जिसमें आर्टिकल-ए टीशर्ट आरोपी रामाधार यादव से जब्त होने के आधार पर परीक्षण हेतु भेजा गया था जिसमें मानव रक्त नहीं होने के संबध में प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार हाफ टीशर्ट जो आरोपी त्रिलोकी साहू के कब्जे से जब्त की गई थी जिसे आर्टिकल-बी के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें मानव रक्त के धब्बे पाये जाने का परीक्षण हेतु भेजा गया था जिसमें मानव रक्त पाया गया हैं। राज्य न्यायालयिक प्रयोगशाला के रिपोर्ट के अनुसार आरोपी अश्वनी निषाद के कब्जे से जब्त फूलशर्ट जिसे आर्टिकल-सी के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें अन्वेषण के दौरान रक्त पाया गया था और जिसमें परीक्षण में मानव रक्त होने के संबंध में प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार आरोपी मनीष ठाकुर के कब्जे से जब्त शर्ट जिसे आर्टिकल-डी के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें कोई रक्त नहीं होना पाया गया है। आरोपी त्रिपुरारी साहू के कब्जे से जब्त टीशर्ट जिसे आर्टिकल-ई के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें अन्वेषण के दौरान रक्त पाया गया है और परीक्षण उपरांत उक्त टीशर्ट में मानव रक्त होना पाया गया है।
(25) इसी प्रकार एफ0एस0एल0 रिपोर्ट में आरोपी गोविंद साहू के कब्जे से जब्त टीशर्ट जिसे आर्टिकल-एफ के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें रक्त नहीं पाया गया है। आरोपी आकाश बंछोर के कब्जे से जब्त हाफ टीशर्ट जिसे आर्टिकल-जी के रूप में चिन्हित किया गया है उक्त हाफ टीशर्ट में रक्त पाये जाने पर परीक्षण हेतु भेजे जाने पर परीक्षण में मानव रक्त होना पाया गया है। इसी प्रकार आरोपी त्रिलोकी साहू के कब्जे से जब्त बल्ली जिसे आर्टिकल-आई के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें मानव रक्त होने के आधार पर परीक्षण हेतु भेजा गया था जिसमें मानव रक्त नहीं पाया गया है। इसी प्रकार आरोपी अश्वनी निषाद के कब्जे से जब्त सम्पत्ति बांस का टुकड़ा जिसे आर्टिकल-जे के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें परीक्षण में मानव रक्त नहीं पाया गया है। इसी प्रकार आरोपी मनीष ठाकुर के कब्जे से जब्त डण्डा जिसे आर्टिकल-के के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें रक्त पाये जाने पर परीक्षण हेतु भेजे जाने पर परीक्षण में मानव रक्त होने के संबंध में प्रतिवेदन प्रस्तुत की गई है। आरोपी आकाश बंछोर के कब्जे से जब्त संपत्ति बल्ली जिसे आर्टिकल-एन के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें रक्त पाये जाने पर परीक्षण हेतु भेजे जाने पर उसमें मानव रक्त नहीं पाया गया है। घटना स्थल से जब्तशुदा रूई जिसे आर्टिकल-ओ एवं आर्टिकल-पी जिसमें मानव रक्त पाया गया है। इसी प्रकार घटना स्थल से जब्त मृतक मदन नाग का शर्ट, पेंट, जूता, चडडी एवं बेल्ट जिसे क्रमशः आर्टिकल-क्यू, के, एस, टी और यू के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें जूता आर्टिकल-एस के रूप में चिन्हित किया गया है को छोड़कर सभी में मानव रक्त होना पाया गया है।
(26) इस प्रकार उपरोक्त राज्य न्यायालयिक प्रयोगशाला रायपुर के परीक्षण प्रतिवेदन के अनुसार अन्वेषण अधिकारी के द्वारा जब्त आरोपीगण के कब्जे से कपड़े तथा घटना स्थल से जो घटना में प्रयुक्त बांस की लकड़ी, बत्ता, डण्डा एवं बांस की बल्ली को जब्त की गई है में मानव रक्त होने के संबंध में प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है। परन्तु प्रकरण में किसी भी साक्षी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आरोपीगण घटना के दौरान वहां पर उपस्थित थे अथवा वहां पर देखे गये थे। तत्संबंध में बचाव पक्ष की ओर से प्रस्तुत न्यायदृष्टांत रमेश विरूद्ध म0प्र0 राज्य 2000 क्रि0लॉ0जन0 एम0पी0 45 में सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि हत्या - परिस्थितिजन्य साक्ष्य - जब्त की गई वस्तुओं पर मानव रक्त पाया गया किन्तु मानव रक्त समूह की जांच नहीं हुई रक्त रंजिश वस्तुओं की बरामदगी महत्व की नहीं - अंतिम बार देखे जाने का साक्ष्य विश्वसनीय नहीं - मृतक के अपीलांट के साथ देखे जाने का तथ्य स्थापित नहीं परिस्थितियों की सम्पूर्ण श्रृंखला साबित नहीं हुई - अभिनिर्धारित - विचारण न्यायालय ने अपीलांट को दोषसिद्ध करने पर त्रुटि की गई।
(27) प्रकरण में अन्वेषण अधिकारी के अन्वेषण कार्यवाही के दौरान धारा 27 भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत मेमोरेढडम कथन अभिलिखित किया गया जिसकी पुष्टि किसी भी स्वतंत्र साक्षियों के द्वारा किया गया हो ऐसा स्पष्ट नहीं है। जिस संबंध में न्यायादृष्टांत नेहरू एवं अन्य विरूद्ध छ0ग0 राज्य 2004 (1) सी0जी0 एल0जे0 340 में प्रतिपादित निर्णय की कंडिका-7 में सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 27 - वस्तुओं का अभिग्रहण मे कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की कि वस्तुओं में पाये गये खून के धब्बे मानव खून के धब्बे थे और मृतक के रक्त समूह से मिलते थे, यह भी साबित नहीं की अभिग्रहण अभियुक्त के ज्ञान से प्राप्त की - साक्ष्य विश्वसनीय नहीं। इसी प्रकार न्यायदृष्टांत अमर साय विरूद्ध छ0ग0 राज्य 2006 (3) सी0जी0एल0जे0 55 की कंडिका-3 में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि भारतीय दण्ड संहित 1860 की धारा 302 - खून का ग्रुप इस आशय की सिरयोलाजिस्ट की रिपोर्ट के बिना खून जो कुल्हाड़ी में पाया गया वह मृतक के खून के गु्रप का नहीं था केवल कुल्हाड़ी जब्ती के आधार पर अभियुक्त को मृतक की हत्या से जोड़ा नहीं जा सकता।
(28) प्रकरण में यह भी उल्लेखनीय है कि घटना स्थल में गणेश विसर्जन का दिन था जहां पर रायपुर तथा दुर्ग के अनेक विसर्जन टोलियां गणेश विसर्जन किये जाने हेतु गये थे और उक्त भीड़-भाड वाले स्थान में अन्वेषण अधिकारी के अनुसार खुले स्थान से लाठी, बत्ता, बांस का डण्डा एवं बल्ली जो मृतक को कथित घटना कारित किये जाने में उपयोग किये जाने के संबंध में बताया गया है जिस संबंध में न्यायदृष्टांत मुकेश साहू विरूद्ध छ0ग0 राज्य 2003 (1) सी0जी0एल0जे0 343 की कंडिका-7 में भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 27 - प्रगटीकरण खुले स्थान पर 100 से 10-20 फीट की दूरी पर वस्तु पाया गया जब्ती के साक्षी पक्षद्रोही घोषित किया गया - अभिनिर्धारित - ऐसा नहीं कहा जा सकता कि पत्थर/वस्तु का ज्ञान केवल अभियुक्त को ही था - अतः प्रगटीकरण विधिसम्मत नहीं अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि अभियुक्त के कपड़े में पाया गया रक्त मृतक के रक्त समूह दोनों एक ही रक्त समूह के है। इसी प्रकार न्यायदृष्टांत धनीराम विरूद्ध म0प्र0 राज्य (अब छ0ग0) 2009 (1) सी0जी0एल0जे0 472 (डी0बी0) की कंडिका-3 में सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि भारतीय दण्ड संहित 1860 की धारा 302 - खून का ग्रुप - जब्तशुदा वस्तुओं में पाये गये खून के स्रोत के अभाव में और गु्रप की जांच के अभाव में जब्ती अभियुक्त के विरूद्ध अपराधिक परिस्थिति निर्मित नहीं करेगी।
(29) इस प्रकार प्रकरण में यह स्पष्ट है कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला के रिपोर्ट के अनुसार आर्टिकल-बी, सी, ई, जी, के, क्यू, आर, टी, यू में मानव रक्त होने के संबंध में परीक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत किये गये हैं। परन्तु अन्वेषण अधिकारी के अन्वेषण के दौरान आरोपीगण के कब्जे से जब्त उक्त कपड़े एवं डण्डा, बल्ली, बत्ता, लाठी में जो खून पाया गया है उसे सिरयोलाजिस्ट से परीक्षण कराया गया हो ऐसा प्रकरण में दर्शित नहीं है। तब उपरोक्त कपड़ा और डण्डा, लाठी में मानव रक्त होना पाया गया है जो मृतक के ग्रुप का ही रक्त था ऐसा सिरयोलाजिस्ट के रिपोर्ट के अभाव में यह दर्शित नहीं होता कि आरोपीगण ने उपरोक्त जब्तशुदा सम्पत्तियों पर मृतक के ही खून के झीटे थे।
(30) आरोपीगण ने अपने अभियुक्त कथन के प्रश्न क्रमांक-91 से लेकर 100 तक में उनके कब्जे से उपरोक्त जब्त संपत्ति में मानव रक्त होने के संबंध में प्रश्न पूछे गये है जिसमें आरोपीगण ने मालूम नहीं होने के संबंध में जवाब दिया है। जिससे प्रकरण में यह परिस्थितियां मौजूद नहीं होती कि आरोपीगण के कब्जे से जब्त उपरोक्त संपत्ति में मानव रक्त होना पाये जाने पर मृतक के ही खून थे यह अभिनिर्धारित नहीं किया जा सकता। क्योंकि अभियोजन के द्वारा प्रकरण में मृतक के खून का नमूना परीक्षण (सिरयोलाजिस्ट रिपोर्ट) प्रस्तुत नहीं किया है। ऐसी दशा में आरोपीगण के उपरोक्त जब्त संपत्ति पर मानव रक्त होना पाये जाने से ही मृतक की हत्या किये जाने के संबंध में ऐसा कोई परिस्थितियां मौजूद होना दर्शित नहीं होता। इसलिये उपरोक्त साक्ष्य विवेचना से यह स्थापित एवं विश्वसनीय नहीं पाया जाता कि आरोपीगण ने अपने सबके सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में अपने न्य साथियों के साथ मिलकर विधि विरूद्ध जमाव का सदस्य होते हुए उसके अग्रसरण में बल व हिंसा कारित किया और उक्त दिनांक, समय व स्थान पर अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में मृतक मदन नाग को विधि विरूद्ध जमाव का सदस्य होते हुए घातक आयुध लाठी, डण्डा, फट्टा, बल्ली का उपयोग किया जिससे मृतक की मृत्यु होना सम्भाव्य था से सज्जित होते हुए बलवा कारित किया और उसी दिनांक को अपने सबके सामान्य उद्देश्य के अग्रसरण में अपने साथियों के साथ मिलकर घातक आयुध लाठी, डण्डा, फटटा, एवं बल्ली से मारकर मृतक मदन नाग की हत्या कारित कर मृत्यु कारित किया, जिसे प्रमाणित करने में अभियोजन असफल रहा है।
(31) उपरोक्तानुसार अभिलेखगत सामग्री अंतर्गत उपलब्ध साक्ष्य पर विवेचना के आधार पर अभियोजन ने अभियुक्तगण रामाधार यादव, त्रिलोकी साहू, अश्वनी निषाद, मनीष ठाकुर, त्रिपुरारी साहू और आकाश बंछोर के विरूद्ध धारा 147/149, 148/149, 302/149 भारतीय दण्ड विधान का अपराध युक्तियुक्त रूप से सारवान साक्ष्य द्वारा ‘संदेह से परे’ प्रमाणित करने में असफल रहा है। इसलिये अभियुक्तगण के विरूद्ध युक्तियुक्त ‘संदेह से परे’ प्रमाणित नहीं पाये जाने के कारण अभियुक्तगण रामाधार यादव, त्रिलोकी साहू, अश्वनी निषाद,
मनीष ठाकुर, त्रिपुरारी साहू और आकाश बंछोर को धारा 147/149, 148/149, 302/149 भारतीय दण्ड संहिता के अपराध से दोषमुक्त किया जाता है।
(32) प्रकरण में जब्तशुदा सम्पत्ति मूल्यहीन होता पाते हुए प्रकरण में अपील न होने की दशा में तथा अपील अवधि पश्चात नष्ट किया जावे। अपील होने पर माननीय अपीलीय न्यायालय के आदेशों का पालन किया जावे।
(33) अभियुक्तगण ने आदेश दिनांक 30.03.2013 के परिप्रेक्ष्य में धारा 437(1)(क) दं0प्र0सं0 के प्रावधान के तहत जमानत और मुचलका प्रस्तुत नहीं किया है यदि उनके द्वारा आगामी तिथि पर जमानत प्रस्तुत की जाती है जो निर्णय दिनांक से 6 माह के अवधि तक प्रभावशील रहेगा तत्पश्चात अभियुक्तगण द्वारा प्रस्तुत जमानत मुचलके भारमुक्त माना जावे।
प्रकरण में धारा 428 दं0प्र0सं0 का प्रोफार्मा बनाया जावे।
तद्नुसार निर्णय पारित।
निर्णय खुले न्यायालय में दिनांकित, मेरे निर्देश परे टंकित
हस्ताक्षरित व घोषित किया गया । किया गया ।
सही/-
( श्रीनारायण सिंह )
चतुर्थ अपर सत्र न्यायाधीश
दुर्ग (छ0ग0)
About Media4U
Sanjeev Tiwari, Advocate. Chambers of Om Sai Associates (Advocates and Legal Consultants) December 2004 – Present (12 years) Handling Cases and advise clients on all the legal matters. Attended District Court Proceedings. Worked on several matters related to Property Laws, Revenue Laws, Civil Laws, Companies Law, Contract Law and Acquisitions laws. Specifically studied and prepared briefs on Property Laws, Acquisitions law and matters. Learned drafting plaint and legal notices, Drafted reply of various legal matters and also attended various personal hearing. Investigation of Titles, Searches, Title clearance reports, Property Registration, Diversion of land use and Documentation etc.
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437 IPC
498 (a) IPC
66 IT Act
Aanand Math
Abhishek Vaishnav
Ajay Sahu
Ajeet Kumar Rajbhanu
Anticipatory bail
Arun Thakur
Awdhesh Singh
Bail
CGPSC
Chaman Lal Sinha
Civil Appeal
D.K.Vaidya
Dallirajhara
Durg
H.K.Tiwari
HIGH COURT OF CHHATTISGARH
Kauhi
Lalit Joshi
Mandir Trust
Motor accident claim
News
Patan
Rajkumar Rastogi
Ravi Sharma
Ravindra Singh
Ravishankar Singh
Sarvarakar
SC
Shantanu Kumar Deshlahare
Shayara Bano
Smita Ratnavat
Temporary injunction
Varsha Dongre
VHP
अजीत कुमार राजभानू
अनिल पिल्लई
आदेश-41 नियम-01
आनंद प्रकाश दीक्षित
आयुध अधिनियम
ऋषि कुमार बर्मन
एस.के.फरहान
एस.के.शर्मा
कु.संघपुष्पा भतपहरी
छ.ग.टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
जितेन्द्र कुमार जैन
डी.एस.राजपूत
दंतेवाड़ा
दिलीप सुखदेव
दुर्ग न्यायालय
देवा देवांगन
नीलम चंद सांखला
पंकज कुमार जैन
पी. रविन्दर बाबू
प्रफुल्ल सोनवानी
प्रशान्त बाजपेयी
बृजेन्द्र कुमार शास्त्री
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम
मुकेश गुप्ता
मोटर दुर्घटना दावा
राजेश श्रीवास्तव
रायपुर
रेवा खरे
श्री एम.के. खान
संतोष वर्मा
संतोष शर्मा
सत्येन्द्र कुमार साहू
सरल कानूनी शिक्षा
सुदर्शन महलवार
स्थायी निषेधाज्ञा
स्मिता रत्नावत
हरे कृष्ण तिवारी
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